ललितपुर

शैक्षणिक भ्रमण के लिए देवगढ़ पहुंची छात्राएं

एनपीटी ब्यूरो ललितपुर 

ललितपुर। राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद नैक द्वारा मूल्यांकित संस्थान पहलवान गुरुदीन महिला महाविद्यालय में  शैक्षिक कैलेंडर के अंतर्गत शैक्षिक भ्रमण का आयोजन किया गया जिसमें छात्राओं ने ऐतिहासिक भूमि देवगढ़ के दशावतार मंदिर एवं दिगंबर जैन मंदिर का भ्रमण किया। शैक्षिक भ्रमण का शुभारंभ महाविद्यालय की प्राचार्य द्वारा हरी झंडी दिखाकर किया गया।

शैक्षिक भ्रमण में एनसीसी/एनएसएस/ रोवर्स रेंजर्स उन्नत/ भारत के वालंटियर एवं अन्य पाठ्यक्रमों में अध्यनरत छात्राओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सेदारी दिखाई। 

शैक्षिक भ्रमण में तकरीबन 176 छात्राओं ने प्रतिभाग किया, वहीं महिला महाविद्यालय के समस्त शिक्षक गण भी शैक्षिक भ्रमण को लेकर उत्साहित दिखाई दिए।

शैक्षिक भ्रमण स्थान देवगढ़ पहुंचते ही महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ सूफिया ने देवगढ़ की प्राचीन दीवारों पर की गई बेहतरीन नक्काशी के बारे में छात्राओं को जानकारी देते हुए कहा कि ललितपुर के देवगढ़ में स्थित दशावतार मंदिर भगवान विष्णु के प्राचीन मंदिरों में से एक है। पत्थर और चिनाई वाली ईंटों से बना यह मंदिर भगवान विष्णु के दस अवतारों को दर्शाता है। मंदिर की दीवारों पर देवी-देवता, हाथी और कमल समेत अन्य फूलों की प्रतिमा उकेरी गई है। दरवाजे पर गंगा और यमुना की नक्काशी है। वहीं पट्टी पर वैष्णव पौराणिक कथाओं की झलक देखने को मिलती है। इसके अलावा कृष्ण जन्म, कृष्ण-कंस लड़ाई और पांच-पांडवों की मूर्तियां हैं। 1975 में सर एलेक्जेंडर कनिंघम के अभिलेखों के मुताबिक कभी यहां गुप्त शासन काल का राज हुआ करता था। उस समय देवगढ का मार्ग, सांची, उज्जैन, झांसी, प्रयागराज, बनारस और पटना से जुड़ा था। साथ ही साथ दिगंबर का जैन मंदिर देवगढ़ एक प्राचीन स्थल है। यहां विभिन्न भाषाओं और लिपियों में कई शिलालेख पाए गए हैं, जैसे कि हिंदू, जैन और बौद्ध स्मारकों की एक श्रृंखला है। इनसे पता चलता है कि यह एक बार एक महत्वपूर्ण मानव बस्ती थी, संभवतः एक शाही व्यापार मार्ग पर एक स्थान जो विभिन्न भाषाई पृष्ठभूमि के लोगों को यहां लाता था। माधो वत्स के अनुसार, देवगढ़ उत्तर, पश्चिम और दक्षिण में सुरम्य पहाड़ियों के बीच बसा हुआ था ऐसी अन्य रोचक जानकारियां प्राचार्य द्वारा छात्राओं को दी गई।

एनसीसी कैप्टन डॉ. वंदना याज्ञिक ने बताया कि देवगढ़ में ही बेतवा नदी के किनारे प्राचीन जैन मंदिर भी है। यहां किले के भीतर 31 जैन मंदिर हैं। इनमें सबसे सुंदर जैन तीर्थंकर शांतिनाथ का मंदिर है। इन मंदिरों पर चंदेलों की झलक देखने को मिलती है। इसके अलावा मंदिर की दीवारों पर महाभारत और रामायण के चित्र भी उकेरे गए हैं। 500 ई. देवगढ़ का मंदिर विष्णु को समर्पित है, लेकिन इसमें शिव , पार्वती , कार्तिकेय , ब्रह्मा , इंद्र , नदी देवियों गंगा और यमुना जैसे विभिन्न देवताओं की छोटी पदचिह्न छवियां शामिल हैं, साथ ही हिंदू महाकाव्य महाभारत के पांच पांडवों को दिखाने वाला एक पैनल भी है। 

शैक्षिक भ्रमण दल का संचालन असि.प्रो. प्रकाश खरे, असि. प्रो. प्रीति शुक्ला,बी.एड. विभागाध्यक्षप्रो. रत्ना  याज्ञिक, एनएसएस द्वितीय इकाई कार्यक्रम अधिकारी असि. प्रो. साधना नागल,असि.असि प्रो.रंजना श्रीवास्तव, असि. प्रो. सुषमा पटेल, असि. प्रो. आरती बुंदेला, श्रीमती रजनी यादव की देखरेख में सम्पन्न हुआ वहीं अन्य सहयोगी सदस्य के रूप में राघवेंद्र सिंह, मुस्ताक खान , दीपेंद्र यादव, श्रीमती गेंदा, मालती राज, नेहा अहिरवार, श्रीमती विमला, मती सविता, राम सहाय, परमानंद आदि मौजूद रहे।

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