पाकुड़

बगैर हेलमेट के बाइक चला रहे युवक की सड़क हादसा में मौत

एनपीटी पाकुड़ ब्यूरो,

पाकुड़ (झा०खं०), महेशपुर थाना क्षेत्र में लगातार एक्सीडेंट हो रहा है। मंगलवार को भी इसी क्षेत्र में तीन युवकों की सड़क हादसे में दर्दनाक मौत हो गई थी। बुधवार को भी एक ऐसी घटना प्रकाश में आया। महेशपुर गुम्मा मोड मुख्य सड़क पर स्थित डिग्री कॉलेज के समीप दर्दनाक सड़क हादसे में एक युवक जिसकी उम्र करीब 18 वर्ष बताई जा रही है की एक्सीडेंट में उनकी की मौत हो गई। जिसकी पहचान शहरी गांव निवासी मनोज राय के रूप में हुई है। वही जानकारी के अनुसार घटना उस समय हुई जब मनोज रोला ग्राम से अपना घर लौट रहा था, कॉलेज के पास टर्निंग पर स्थित पुलिया से उसकी बाइक टकरा गई। टक्कर इतनी जोरदार थी कि युवक पूरी तरह से घायल हो गया और मौके पर ही दम तौर दी। वही जानकारी मिली कि युवक हेलमेट के बिना ही बाइक चला रहा था। इस घटना की सूचना स्थानीय महेशपुर थाना को दी गई, तत्पश्चात थाना के एसआई अरविंद कुमार राय पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे और शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम हेतु पाकुड़ सदर अस्पताल भेज दिया। साथ ही बाइक को भी पुलिस द्वारा जप्त कर लिया गया। एक्सीडेंट की रोकथाम के लिए हेलमेट लगाने पर पुलिस को सख्त कदम उठाने की जरूरत है। अक्सर हेलमेट सिर्फ पुलिस के भय से लोग इस्तेमाल करते हैं, वही अगर इस हेलमेट का उपयोग एक्सीडेंट के भय से किया जाए तो शायद एक्सीडेंट होने के पश्चात भी मौत से बचा जा सकता है। क्योंकि अक्सर जो मौत एक्सीडेंट में होती है चोट ज्यादातर घटनाओं में सर पर लगती है, जिसके कारण मौके पर ही मौत हो जाती है। वही अगर हेलमेट का उपयोग करने के लिए सभी को बाध्य कर दिया जाए तो शायद एक्सीडेंट होने के बावजूद भी मौत से बचा जा सकता है। जिसके लिए पाकुड़ पुलिस को पूरी तरह से सख्त होने की जरूरत है। पाकुड़ पुलिस प्रशासन के द्वारा हेलमेट प्रयोग कर बाइक ड्राइव करना अनिवार्य कर देना चाहिए, ताकि सड़क हदसे में जान व माल की नुकसान होने से बचाया जा सके। बहुत सारे सड़क हदसे में परिवार के लिए मुख्य रूप से रोजगार करने वाले व्यक्ति की भी मौके पर ही मौत हो जाती या फिर गंभीर चोटें आने की वजह से उपचार हेतु अस्पताल में भर्ती कराया जाता। इलाज के उपरांत पूरी तरह स्वास्थ्य हो रही है या नहीं,  इसकी भी संशय बनी हुई रहती है। साथ ही रोजगार की मुख्य व्यक्ति की सड़क हदसे में अस्वस्थ रहने या शारीरिक रूप से तन्दरूस्त न होने की स्थिति में रोजगार नहीं कर पाने की वजह से परिवार की भरण-  पोषण की देयनीय स्थिति अपने आप आ जाती है और अन्ततः नुकसान की आशांका ज्यादा देखने को मिलता है।

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