पाकुड़

वाटर रिचार्ज कर हम अपनी धरती को खुशहाल बना सकते हैं – डीसी

एनपीटी पाकुड़ ब्यूरो,

पाकुड़ (झा०खं०), ग्रामीण विकास विभाग, झारखण्ड सरकार व प्रधानमंत्री कृषी सिंचाई योजना 2.0 के तत्वावधान में आयोजित झारखण्ड जलछाजन मिशन के तहत वाटेरशेड यात्रा कार्यक्रम का आयोजन 21 फरवरी 2024 को पाकुड़ स्थित रविन्द्र भवन में किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ उपायुक्त मनीष कुमार, डीडीसी महेशपुर कुमार संथालिया, संसाद प्रतिनिधि श्याम यादव, विधायक प्रतिनिधि अजीजुल इसलाम, कांग्रेस जिलाध्यक्ष श्रीकुमार सरकार, पाकुड़ विधायक प्रतिनिधि गुलाम अहमद व जिला परिषद उपाध्यक्ष अशोक भगत अन्य के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम के माध्यम से गांव का पानी गांव में रोकना मुख्य उद्देश्य के तहत टीसीबी, जलकुंड अन्य का निर्माण कर जल संरक्षण की बहुमुखी अवयवों पर प्रकाश डाला गया। वही जिला प्रशासन द्वारा आयोजित इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम का लिट्टीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र के विधायक प्रतिनिधि अजीजुल इसलाम ने सरानाह किया। उन्होंने कहा कि इस महत्वाकांक्षी योजना की बासस्तविक क्रियान्वयन लक्ष्य के अनुरूप तभी माकूल होगा, जब ग्रामीणों की भी अहम भागीदारी सुनिश्चित हो, उन्होंने कहा कि ग्रामीणों के बगैर सहयोग के सफलता की शिखर पर ले जाने कभी भी सम्भव नहीं है। अतः सकारात्मक पहल करना सुनिश्चितता करना चाहिए। वही जिलाध्यक्ष श्रीकुमार सरकार ने भी पानी का संरक्षण से सम्बन्धित की सुझाव साझा किया। साथ सांसद प्रतिनिधि श्याम यादव ने भी कार्यक्रम के ध्यानार्थ विशेष रूप से सम्बन्धित अवयवों पर प्रकाश डाला। वही उपायुक्त मनीष कुमार ने कहा कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य मृदा एवं जल संरक्षण हेतु लोगों में जन भागीदारी के माध्यम से जलछाजन के बारे में जागरूकता, ग्रामीणों की सहभागिता बढ़ाने, प्राकृतिक संसाधनों जैसे- उपजाऊ मिट्टी, भू-गर्भ जल, जंगल, पशुधन का उचित प्रबंधन करने तथा खेती एवं आजीविका को बढ़ाकर लोगों के जीवन स्तर में सुधार करना है। उपायुक्त ने जल है तो कल है का नारा लगाया। उपायुक्त ने सभी लोगों से जल की बर्बादी न करने की अपील किया। उपायुक्त ने कहा कि पानी बचाना एक मानवता के लिए सबसे बड़ा काम है जो आप कर सकते हैं। इस परिसर में मॉडल भी लगे हैं, आप देखिए कैसे जल को बचाया जा सकता है। टीसीबी कैसे किया जा सकता है। मनरेगा से योजनाओं को कैसे ले। हम जलकुंड कैसे निर्माण कर सकते हैं। पाकुड़ जिला जहां अनियमित वर्षा के कारण अधिकांश क्षेत्र सूखा तथा कृषि कार्य को प्रभावित करती है, जिसके कारण जलछाजन कार्यक्रम की प्रासंगिकता और बढ़ जाती है। इस कार्यक्रम द्वारा संसाधनों का सही उपयोग तथा वर्षा जल का समुचित प्रबंधन कर ग्रामीण क्षेत्र का सर्वागीण विकास संभव है। उप विकास आयुक्त  महेश कुमार संथालिया ने बताया कि जल संरक्षण आज के दौर की सबसे बड़ी जरूरत है। जल संरक्षण के लिए जन भागीदारी को बढ़ावा देना है, ताकि वर्षा जल का संरक्षण कर खेती-बाड़ी और आजीविका को सुनिश्चित किया जा सके। बताया कि मिट्टी हमारे जीवन का आधार है और इसका संरक्षण कृषि उत्पादकता और पर्यावरण संतुलन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। भूमि संरक्षण प्रबंधन से वर्षा जल का संरक्षण और उपयोग करना, मिट्टी के कटाव को रोकना, भूजल स्तर को बढ़ाना और जल संसाधनों का समुचित उपयोग करना है। जलछाजन के प्रति लोगों को जागरूक होना बहुत जरूरी है।

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