प्रतिपक्ष नेता के बगैर 12 संवैधानिक संस्थाओं में अध्यक्ष व सदस्यों के खाली पदों की नियुक्ति हो रही है प्रभावित- विजय शंकर नायक

एनपीटी रांची ब्यूरो
रांची, आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केन्द्रीय उपाध्यक्ष सह- पूर्व प्रत्याशी, हटिया विधानसभा विजय शंकर नायक ने महामहिम मुख्य न्यायाधीश झारखण्ड उच्च न्यायालय, रांची को अपने भेजे गये ईमेल ज्ञापन में कहा है कि विपक्ष का नेता घोषित नहीं किये जाने के कारण 12 संवैधानिक संस्थाओं मे अध्यक्ष व सदस्यों के खाली पदों की नियुक्ति नहीं होने पर भाजपा झारखण्ड अध्यक्ष को भी अवमानना याचिका एंव अन्य जनहित याचिकाओं में पार्टी बनाये झारखण्ड उच्च न्यायालय। इन्होंने ईमेल ज्ञापन में आगे कहा है कि झारखण्ड में प्रतिपक्ष का नेता भारतीय जनता पार्टी के द्वारा अब तक घोषणा नहीं किये जाने के कारण लोकायुक्त, सूचना आयोग, मानवाधिकार आयोग एंव अन्य 12 संवैधानिक संस्थाओं में अध्यक्ष व सदस्यों के खाली पदों की नियुक्ति झारखण्ड सरकार के द्वारा नहीं किया जा रहा है। आज सदन मे झामूमो गठबंधन की सरकार है और विपक्ष में भारतीय जनता पार्टी है। शंकर नायक ने कहा है कि इससे पूर्व भारतीय जनता पार्टी ने विधायक बाबु लाल मरांडी को झारखण्ड विधान सभा में विधायकों एवं भारतीय जनता पार्टी के द्वारा विपक्ष का नेता बनाया गया था। मगर किसी कारणवश वह मामला दलबदल कानुन के अन्तर्गत विवाद में आ गया। जिसकी सुनवाई विधानसभा अध्यक्ष के द्वारा पांच वर्ष के बाद भी फैसला नहीं सुनाया गया और ना ही भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व, आलाकमान ने कोई अन्य भाजपा के विधायक को विपक्ष का नेता (नहीं) मनोनयन किया। जिस कारण बिना प्रतिपक्ष नेता के बगैर झारखण्ड विधान सभा चला और दुष्परिणाम यह हुआ कि आज तक झारखण्ड राज्य में झारखण्ड में प्रतिपक्ष का नेता भारतीय जनता पार्टी के द्वारा अब तक घोषणा नहीं किये जाने के कारण लोकायुक्त, सूचना आयोग, मानवाधिकार आयोग समेत लगभग 12 संवैधानिक संस्थाओं में अध्यक्ष व सदस्यों के खाली पदों की नियुक्ति नहीं हो सकी। जिसके कारण राज्य की आम जनता खासकर राज्य के सदियों से शोषित पीड़ित अधिकार से वंचित अनु० जाति/ जनजाति/ महिलाओ एंव अन्य पीड़ित कमजोर वर्गो को न्याय और लाभ से वंचित होना पड़ा। जिसके लिए झारखण्ड में सबसे ज्यादा भारतीय जनता पार्टी का नेतृत्व, आलाकमान दोषी है। क्योंकि कुछ कुछ संवैधानिक संस्थान के पद ऐसे हैं जिसमें बिना प्रतिपक्ष के नेता के अनुशंसा के बगैर पद में मनोनयन, नियुक्ति कि जा ही नहीं सकती। नायक ने आगे कहा कि महामहिम मुख्य न्यायाधीश, झारखण्ड उच्च न्यायालय आदरणीय एमएस रामचन्द्र राव व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ से अनुरोध और सादर रुप से निवेदन किया है कि जब तक भाजपा के झारखण्ड प्रदेश अध्यक्ष को अवमानना याचिका , एंव अन्य जनहित याचिकाओं में पार्टी नहीं बनाया जायेगा, तब तक इस याचिका से सम्बन्धित मामलों का निष्पादन नहीं होगा । कयोंकि राज्य की सरकार ने खंडपीठ को यह बता चुकी है कि नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है, मगर जब तक नेता प्रतिपक्ष को लेकर अब तक कोई अधिसूचना जारी नहीं हुई है, जिसके चलते नियुक्ति प्रक्रिया को अंतिम रुप नहीं दिया जा रहा है । महोदय जब तक नेता प्रतिपक्ष बनाने की दिशा मे भाजपा नेतृत्व पहल नहीं करेगी, तब तक सरकार इसी तरह खंडपीठ को अपना जवाब देती रहेगी और डेट पर डेट मिलता रहेगा और समय पार होता रहेगा और आम जनता अपने संवैधानिक अधिकारों से वंचित होते रहेंगे। नायक ने आगे कहा कि यह तो वही कहावत को इंगित करती है कि ना नौ मन तेल हाेगा ना राधा नाचेगी ना प्रतिपक्ष नेता का मनोनयन होगा और ना ही इन संवैधानिक संस्थानो के पद भरे जायेंगे। विजय शंकर नायक ने कहा है कि पुनः खंडपीठ से अनुरोध होगा कि जब तक भाजपा अध्यक्ष झारखण्ड को इस केस में पार्टी नहीं बनाया जाता, तब तक समाधान नहीं होगा।