अमरोहा

अमरोहा में बगैर कागजात शिक्षिका को दे दी 42 दिन की छुट्टी, बीएसए-बीईओ समेत सात के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी

एनपीटी अमरोहा ब्यूरो

अमरोहा में शिक्षिका को फर्जी गर्भपात अवकाश पर 42 दिन का वेतन दिलाने के आरोप में बीएसए, बीईओ समेत सात अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए हैं। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने डीएम को जांच कर कोर्ट को रिपोर्ट देने को कहा है

अमरोहा के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ओमपाल सिंह ने बीएसए व जोया बीईओ समेत शिक्षा विभाग के सात अधिकारी व कर्मचारियों के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। यह जांच डीएम को सौंपी गई हैं। जांच के दायरे में तत्कालीन बीएसए, विभागीय लिपिक (पटल सहायक) व दो विभागीय कर्मचारी व एक शिक्षिका शामिल हैं

मामले की जांच कर जल्द ही कोर्ट को अवगत कराने के आदेश दिए हैं। मनु शर्मा एडवोकेट की शिकायत पर यह कार्रवाई की गई है। आरटीआई एसोसिएशन ऑफ इंडिया के जिलाध्यक्ष मनु शर्मा एडवोकेट ने शिक्षिका वर्षा गुप्ता की शिकायत मृत महिला के राशन कार्ड से सरकारी राशन घोटाले को लेकर भी शिकायत की थी

इस संबंध में मुकदमा कोर्ट में विचाराधीन है। मनु शर्मा के मुताबिक इसकाे लेकर शिक्षिका वर्षा गुप्ता व उनका शिक्षक पति उनसे रंजिश मानते हैं। आरोप है कि अध्यापिका सरकारी विभागों से पैसा हड़पने और अपने पद का दुरुपयोग करती हैं।

वर्षा ने चार जुलाई से 14 अगस्त 2016 तक बिना कार्य किए बेसिक शिक्षा परिषद को धोखा देकर बिना किसी चिकित्सीय उपचार, परामर्श संबंधित दस्तावेजों के आधार पर 42 दिवस का वेतन हड़पने और सरकारी धन का गबन करने की मंशा से गर्भपात अवकाश प्राप्त किया था। वास्तव में शिक्षिका कोई गर्भपात ही नहीं हुआ था

बीईओ जोया ने 23 फरवरी 2022 को इसकी जानकारी दी थी। इस संबंध में बीएसए और डीएम को कई शिकायतीपत्र दिए गए और फर्जी गर्भपात अवकाश संबंधी प्रकरण की जांच व कार्रवाई कराने की मांग की गई। जांच में पाया गया कि नियम विरुद्ध शिक्षिका के मात्र प्रार्थनापत्र और शपथपत्र के आधार पर ही उसे 42 दिवस का गर्भपात अवकाश स्वीकृत किया गया है।
सीडीओ की जांच में दोषी पाया जा चुका है पटल सहायक
मामले में डीएम के आदेश पर सीडीओ ने 27 सितंबर 2024 जांच में मौजूदा बीएसए को उनके कार्यालय में तैनात पटल सहायक को मामले में लापरवाही बरतने और गर्भपात अवकाश संबंधी मूल पत्रावली नहीं दिए जाने का दोषी माना था। साथ ही उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही के लिए भी निर्देशित किया, लेकिन वर्तमान बीएसए मोनिका ने विभागीय संरक्षण देने के कारण कोई कार्रवाई नहीं की

जबकि, तत्कालीन बीईओ जोया और बीएसए ने अपने सरकारी पद का दुरुपयोग करते हुए शिक्षिका से हमसाज होकर बिना चिकित्सीय परामर्श, उपचार संबंधी अभिलेखों और जरूरी साक्ष्यों के 42 दिवस का गर्भपात अवकाश पूर्ण वेतन पर स्वीकृत किया गया

कार्रवाई न होने पर दायर की थी याचिका
इस कारण 42 दिन के वेतन का सरकार को धोखा देकर गबन किया गया। फर्जीवाड़े में संयुक्त निदेशक अभियोजन का अभिमत लेकर अभियोजन कार्रवाई के लिए आग्रह किया गया। इस संबंध में अभी तक मामले की कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई और न ही थाने पर कोई सुनवाई हुई

इसी को लेकर जनसुनवाई पोर्टल व एसपी को भी शिकायतीपत्र दिया, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। लिहाजा उन्होंने मनु शर्मा ने न्यायालय की शरण ली। शिकायतीपत्र पर सुनवाई करते हुए सीजेएम ने डीएम को इस प्रकरण में सभी के खिलाफ जांच कर न्यायालय को अवगत कराने का आदेश दिए है

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