गुरुग्राम

मेदांता ने अपने वार्षिक वीमेंस कॉन्क्लेव, मेदांता शक्ति’25 के दूसरे संस्करण का आयोजन किया; महिलाओं की उपलब्धियों को सम्मानित कर देर से होने वाली गर्भावस्था के बारे में जागरुकता बढ़ाई

एनपीटी गुरुग्राम ब्यूरो

गुरुग्राम, 8 मार्च, 2025 – अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मेदांता ने अपने वार्षिक महिला कॉन्क्लेव – मेदांता शक्ति’25 के दूसरे संस्करण का आयोजन कर महिलाओं के स्वास्थ्य व सशक्तीकरण की अपनी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया है। यह प्लेटफॉर्म किसी भी क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने वाली महिलाओं को सम्मानित करता है। इस साल कॉन्क्लेव में महिलाओं को उनके उत्कृष्ट नेतृत्व, शासन, स्वास्थ्यसेवा, उद्यमिता और सामाजिक प्रभाव के लिए 8 श्रेणियों में सम्मानित किया गया। इन महिलाओं ने अपने-अपने क्षेत्रों में अभूतपूर्व समर्पण, दृढ़ता और इनोवेशन का परिचय दिया है। सम्मानित महिलाओं में रेनु भाटिया, चेयरपर्सन, हरियाणा स्टेट कमीशन फॉर वीमेन; डॉ. श्यामा गुप्ता, सीएमओ, सुप्रीम कोर्ट एवं हरियाणा स्टेट कमीशन फॉर वीमेन; चारु बाली, एडीजीपी, हरियाणा; डॉ. महिमा बक्षी, वीमेन एंड चाईल्ड वैलनेस एक्सपर्ट; और कृति रहेजा, लाईफस्टाईल कंटेंट क्रिएटर हैं। उनकी उपलब्धियाँ विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के बढ़ते वर्चस्व का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिससे समाज में उनके योगदान के महत्व को बल मिलता है।
कार्यक्रम में मौजूद मेहमानों और कार्यकर्ताओं में मेदांता के प्रतिष्ठित डॉक्टर शामिल थे। डॉ. नरेश त्रेहान और डॉ. प्रीति रस्तोगी भी यहाँ मौजूद थे। कार्यक्रम में नृत्य प्रदर्शन के साथ ‘‘बैलेंसिंग करियर एंड फैमिली – चॉईसेज़ फॉर वीमेन रिप्रोडक्टिव हैल्थ’ पर एक पैनल वार्ता का आयोजन भी किया गया।
विलंब से गर्भधारण करने और उससे जुड़े जोखिमों के बारे में बताते हुए डॉ. प्रीति रस्तोगी, डायरेक्टर, ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी, मेदांता गुरुग्राम ने कहा, ‘‘आजकल कई महिलाएं करियर और आर्थिक स्थिरता को प्राथमिकता दे रही हैं, जिससे 30 और 40 की उम्र के बाद मां बनने के मामले बढ़ रहे हैं। लेकिन उम्र बढ़ने के साथ प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने की क्षमता कम होती जाती है—35 के बाद और खासतौर पर 40 के बाद, गर्भधारण की संभावना काफी घट जाती है, जबकि गर्भपात का जोखिम बढ़कर 40% तक पहुंच जाता है, जो 20 की उम्र में 15% से भी कम होता है। 30 की उम्र के बाद महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और मोटापे जैसी समस्याएं होने का खतरा भी बढ़ जाता है, जिससे मां और बच्चे दोनों की सेहत पर असर पड़ सकता है। इसके अलावा, 35 साल की उम्र में जन्मजात बीमारियों, जैसे डाउन सिंड्रोम, की संभावना 1 में से 350 होती है, जो 40 की उम्र में बढ़कर 1 में 100 हो जाती है। इन जोखिमों को देखते हुए, जो महिलाएं देर से मां बनने की योजना बना रही हैं, उन्हें समय रहते स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए, ताकि वे सही निर्णय लेकर सुरक्षित और स्वस्थ गर्भावस्था सुनिश्चित कर सकें।”
उन्होंने आगे कहा, “इन जोखिमों से बचने के लिए, एग फ्रीजिंग जैसी आधुनिक तकनीक महिलाओं को अपनी प्रजनन क्षमता बनाए रखने का मौका देती है, जिससे वे परिवार नियोजन को अपनी सुविधा के अनुसार तय कर सकती हैं। इस प्रक्रिया में कम उम्र, खासतौर पर 30-35 साल से पहले, अंडाणुओं (एग्स) को निकालकर फ्रीज किया जाता है, ताकि भविष्य में गर्भधारण की संभावना बेहतर हो। वर्षों से एग फ्रीजिंग के अच्छे नतीजे देखे गए हैं, खासकर अगर इसे जल्दी किया जाए। विशेषज्ञों की सलाह है कि बेहतर परिणामों के लिए फ्रीज किए गए अंडाणुओं का 10 साल के भीतर उपयोग किया जाए। यह तकनीक महिलाओं को भविष्य में गर्भधारण का एक सुरक्षित और भरोसेमंद विकल्प देती है। जो महिलाएं करियर और परिवार के बीच संतुलन बनाना चाहती हैं, उन्हें समय रहते किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ या फर्टिलिटी एक्सपर्ट से सलाह लेनी चाहिए, ताकि वे सही निर्णय ले सकें।”
डॉ. नरेश त्रेहान, चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर, मेदांता ने कहा, “महिलाएं समाज की मजबूत आधारशिला हैं, जो अपने करियर और परिवार दोनों की जिम्मेदारियां निभाते हुए अहम जीवन निर्णय लेती हैं। आजकल कई महिलाएं करियर और व्यक्तिगत कारणों से देर से मां बनने का फैसला कर रही हैं, लेकिन इससे जुड़ी सेहत से जुड़ी जोखिमों को समझना जरूरी है। इस वार्षिक सम्मेलन के जरिए, मेदांता महिलाओं की उपलब्धियों को सम्मानित करने, जरूरी स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने और समाज में उनके अमूल्य योगदान को सराहने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराता है।”
मेदांता का भरोसा महिलाओं को सशक्त बनाकर महिलाओं और पुरुषों के लिए समानतापूर्ण वातावरण का विकास करने में है, जिसमें महिलाओं को आगे बढ़कर जीवन के हर पहलू में नेतृत्व करने का प्रोत्साहन मिले। ‘मेदांता शक्ति’25’ जैसे अभियानों द्वारा यह संगठन महिलाओं के सशक्तीकरण और उनकी उपलब्धियों को सम्मानित करने की अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित कर रहा है।

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