नारायण नाम लेने मात्र से अजामिल को मिली मुक्ति-आचार्य गोपाल शरण शास्त्री

एनपीटी बहराइच ब्यूरो
महसी (बहराइच)। तहसील महसी के ग्राम पंचायत वीरशाहपुर के मजरा एडौरा स्थित ब्रह्मचारी हनुमान मंदिर परिसर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन काशी विश्वनाथ की नगरी बनारस से पधारे प्रवाचक गोपाल शरण शास्त्री महाराज ने अजामिल की कथा सुनाते हुए कहा कि अजामिल का जन्म कान्यकुब्ज के एक कुलीन ब्राह्मण परिवार में हुआ था वह धर्मपरायण, सदाचारी, बुद्धिमान और भगवान विष्णु का भक्त था एक दिन वह गांव से बाज़ार जा रहा था, तो उसने एक नर्तकी को देखा नर्तकी वेश्या थी, लेकिन वह उसे अपने घर ले आया जिससे उसे नौ लड़कियां हुई,अजामिल अपने नौ बच्चों के साथ रहने लगा औल उनके पालन पोषण के लिए चोरी डकैती आदि बुरें कामों में लिप्त हो गया,एक दिन पच्चीस संतों का एक काफ़िला अजामिल के गांव से गुज़र रहा था,साधुओं ने अजामिल से दक्षिणा मांगी, लेकिन अजामिल के पास दक्षिणा नहीं थी,साधुओं ने कहा कि हमें तुम्हारी स्तिथि तो बहुत ही खराब है हमें तुमसे दक्षिणा में कोई रुपया-पैसा नहीं चाहिए तुम सिर्फ अपने होने वाले पुत्र का नाम नारायण रख लेना, अजामिल की पत्नी को पुत्र पैदा हुआ, तो अजामिल ने उसका नाम नारायण रख लिया जिसके बाद जब भी वह अपने पुत्र को पुकारता तो नारायण का नाम लेता जिसके कारण जब अजामिल का अंत समय आया, तो यमदूतों को भगवान के दूतों के सामने अजामिल को छोड़कर जाना पड़ा।इससे हमें यह पता चलता है कि भगवान के नाम का उच्चारण करने से पापियों को भी मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। कथा के दौरान आयोजक शिव कुमार शुक्ला, लक्ष्मी देवी, दिलीप शुक्ला, देवांश पंडित, मुकेश कुमार, प्रदीप कुमार, अनीता शुक्ला, पल्लवी शुक्ला, रेसु शुक्ला, रोहित मिश्रा, दिनेश मिश्रा, पवन शुक्ला आदि मौजूद रहे।