करीब एक दर्जन महिलाओं ने गांव में संचालित कलारी बंद करवाने को लेकर दिया धरना, की नारेवाजी

एनपीटी ब्यूरो ललितपुर
ललितपुर साहब गांव में संचालित होने वाली कलारी पर बिकने वाली शराब के कारण गांव के कई परिवार उजाडते की कगार पर हैं, इसलिए गांव की कलारी बंद करवाकर कहीं और स्थानांतरित भी करवा दीजिए। यह गुहार थाना जखौरा क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम लगोन की महिलाओं ने जनपद के मुखिया जिलाधिकारी कार्यालय पर पहुंच कर लगाई। इस दौरान महिलाओं ने धरना प्रदर्शन करते हुए कलारी बंद करवाने के लिए नारेबाजी की और परिसर में ही धरने पर बैठ गई। महिलाओं का आरोप है कि गांव में शराब की कलारी संचालित होने से उनके परिवार के लोग शराब पीने के आदी हो गए हैं और घर की महिलाओं के साथ मारपीट भी करते हैं। इतना ही नहीं शराबियों के आतंक से गांव की महिलाएं भी काफी परेशान हैं। आजकल जनपद के शहरी और ग्रामीण इलाकों में रहने वाली महिलाएं अब शराब के प्रति जागरूक होने लगी हैं, और लगातार गांव गांव में संचालित होने वाली शराब की दुकानों को बंद करने के लिए हल्ला बोल कर रही है। जिसका जीता जाता नमूना उस समय देखने को मिला, जब जखौरा के ग्राम लागौन की करीब दो दर्जन महिलाएं सोमबार को अपने गांव में संचालित कलारी को बंद करवाने के लिए शहर की सडकों पर प्रदर्शन करते हुए कलेक्ट्रेट परिसर पहुंची। इस दौरान महिलाओं ने क्लैक्ट्रेट परिसर में करीब 2 घंटे तक धरना प्रदर्शन किया और कलारी बंद करवाने के लिए नारेबाजी भी की। इस दौरान उन्होंने अपने गांव में संचालित कलारी की दुकान के साथ-साथ गली-कूचों में बिक रही शराब को तत्काल प्रभाव से बंद करने की मांग उठाई। गांव की महिलाओं ने जिलाधिकारी को संबोधित कर सक्षम अधिकारी को ज्ञापन भी दिया। जिलाधिकारी के नाम दिए गए ज्ञापन में गांव की किरन सावित्री क्रांति रैना सहित तमाम महिलाओं ने अवगत कराया कि उनके गांव में कलारी की दुकान खुली हुई है, जिस पर सुबह से लेकर देर रात तक शराब की बिक्री की जाती है। कलारी पर बिकने वाली शराब के साथ-साथ गली-कूचों की दुकानों पर बिकने वाली शराब ने उनके परिवार की सुख शांति को छीन लिया है। आलम यह है कि उनके परिवार के मुखिया के साथ-साथ अन्य सदस्य सुबह से ही शराब पीकर आ जाते हैं और घर में उथल-पुथल की स्थिति पैदा कर देते हैं। उनके घर के लोग काम नहीं करते, जबकि घर में रहने
वाली सभी महिलाएं खेती किसानी के काम के साथ-साथ मेहनत मजदूरी का काम कर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण चलती हैं। शराब ने उनके परिवारों की सुख शांति को इस कदर भंग कर दिया है, कि ना वह जी पा रही हैं और नाम मर पा रही हैं। घर परिवार का आलम यह है कि घर में परिवार के सदस्य भूखे-प्यासे बैठे रहे, लेकिन उनके लोगों को शराब पीने के लिए पैसा चाहिए। यदि वे मेहनत मजदूरी कर पैसा नहीं देती, तो वह उनके साथ बेतहाशा मारपीट कर जानवरों जैसा बर्ताव करते हैं। उनके परिवार के लोगों ने उनके घर गृहस्ती के समान के साथ-साथ उनके गहने जेवर आदि को भी शराब के लिए बेच दिया है। महिलाओं ने यह भी आवाहन किया कि यदि शासन प्रशासन उनके गांव में संचालित शराब की दुकान को बंद नहीं करवाता, तो वह स्वयं सड़कों पर उतरकर शराब की दुकान बंद करवाने के लिए मजबूर होगी, जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।