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मोहम्मद महबूब रशीदी बोले: रोजेदार भूखे-प्यासों का दर्द समझते हैं

चौसाना,मोहम्मद महबूब रशीदी ने कहा कि रोजेदार भूखे-प्यासों का दर्द समझते हैं और रमजान का महीना नेकियां कमाने व गुनाहों से तौबा करने का होता है।*रोजा और इसका महत्व*रोजा एक ऐसी इबादत है जिसके जरिए इंसान के अच्छे आचरण की शिक्षा भी होती है। रोजे से सब्र, हमदर्दी और सहायता करने की इच्छाशक्ति पैदा होती है। रोजेदार को दूसरे की भूख-प्यास का एहसास होता है।*रमजान का महत्व*रमजानुल मुबारक वह मुकद्दस महीना है, जिसमें अल्लाह पाक ने तमाम इंसानों की भलाई के लिए अपनी सबसे पवित्र किताब कुरान मजीद को नाजिल फरमाया है। इसलिए हर रोजेदार को चाहिए कि इस मुबारक महीने में कुरान मजीद की तिलावत का एहतिमाम करें।*नेकियां कमाने और गुनाहों से तौबा करने का महीना*रमजान का महीना नेकियां कमाने और गुनाहों से तौबा करने का होता है। इस महीने में अल्लाह पाक अपने बन्दों को रहमत भरी नजर से देखते हैं । और बन्दा जो भी नेक नीयत और साफ दिल से मांगता है, अल्लाह पाक उसको जरूर अता करते हैं *कुरान मजीद की तिलावत*रमजान में ही नहीं बल्कि हमेशा कुरान शरीफ की खूब तिलावत करनी चाहिए। नफिल नमाज पढ़नी चाहिए। सारी बुराइयों से दूर रहना चाहिए। यह महीना ऐसा है जो आदमी को आदमी से मिलाते हुए ग्यारह महीनों तक लगातार नेक काम करने और बुराई से बचने का अभ्यास कराता है।

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