ब्रह्माकुमारीज सेवा केंद्र में लाइफ चेंजिंग कार्यक्रम के दूसरे दिन विभिन्न एक्टिविटीज एवं बहुत रोचक ढंग से जीवन को खुशियों से भरपूर करने की विधि सिखाई

एनपीटी बूंदी ब्यरो
बूंदी! 23 मार्च प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय तिरुपति विहार स्थित ब्रह्माकुमारीज सेवा केंद्र में आयोजित “तीन दिवसीय लाइफ चेंजिंग” प्रोग्राम “खुशियों का बिग बाजार” के दूसरे दिन के कार्यक्रम में विभिन्न एक्टिविटीज और बहुत रोचक ढंग से जीवन को खुशियों से भरपूर करने की विधि सिखाते हुए आदरणीय राजयोगी ब्रह्माकुमार डॉ शक्तिराज जी ने अपने वक्तव्य में बताया कि मन की शक्ति से हम अपने जीवन को बदल सकते हैं। उन्होंने कहा कि लगभग 75% बीमारियों का कारण हमारा मन है। हम मन को जो पाठ पढ़ाते हैं वह वैसा ही सोचता है। उन्होंने एक उदाहरण दिया कि जैसे एक जिन्न को जो भी आदेश मिलता है वह सिर्फ यही कहता है जो हुक्म मेरे आका ।इसी तरह हम अपने मन को अगर पॉजिटिव सोच सिखाते हैं तो वह वैसा ही सोचता है और वैसे ही ऊर्जा उत्पन्न करता है। हमारा अवचेतन मन हमारे जीवन को बनाता या बिगाड़ता है। उन्होंने कहा कि हमारे चेतन मन में केवल 10% शक्ति है, जबकि अवचेतन मन में 90% शक्ति है। लेकिन चेतन मन में 10% शक्ति होते भी वह मालिक है, जबकि अवचेतन मन गुलाम है अवचेतन मन को सिर्फ स्वीकार करने का ही पता है, और उसे हम जो भी विचार देते हैं वह मानता है। उन्होंने कहा कि अगर हम पॉजिटिव सोचते हैं तो हमारे जीवन में पॉजिटिव परिवर्तन होंगे, लेकिन अगर हम नेगेटिव सोचते हैं तो हमारा अवचेतन मन हमारे जीवन को नेगेटिव परिवर्तन में ही लाएगा। अगर हम सोचते हैं कि “मैं स्वस्थ हूँ, मैं शक्तिशाली हूँ, मेरे जीवन में जो भी घटना हो रही हो वो मेरे पॉजिटिव परिवर्तन के लिए है”, तो हमारा अवचेतन मन हमारे जीवन को वही ऊर्जा देने लगता है। लेकिन अगर हम अपने मन को विचार देते हैं कि “मेरे साथ बहुत बुरा हुआ, मैं बहुत दुखी हूँ, मेरे अंदर बहुत बुराइयाँ हैं, कमियाँ हैं”, तो हमारा अवचेतन मन हमें वैसा ही बना देता है।
आदरणीय डॉ शक्तिराज जी ने कहा कि हमें अपने अवचेतन मन को पॉजिटिव सोच सिखाना चाहिए ताकि वह हमारे जीवन को अच्छा बना सके। मनुष्य सुख, शांति और खुशी बाहर की दुनिया में ढूंढ रहा है, लेकिन वास्तव में यह सभी चीजें भीतर से ही मिलती हैं। अपने भीतर जाने की विधि ही मेडिटेशन है।उन्होंने कहा कि हमें अपने मन को शांत करने के लिए मेडिटेशन का अभ्यास करना चाहिए।
आदरणीय डॉ शक्तिराज जी ने हीलिंग मेडिटेशन के माध्यम से लोगों को आत्म-शांति इस मेडिटेशन के दौरान, आदरणीय शक्तिराज जी ने लोगों को अपने बचपन की यादों में ले गए, जब वे आनंद और बेफिक्री की स्थिति में थे। इसके बाद, उन्होंने लोगों को अपने जीवन के अनुभवों को याद करने के लिए प्रेरित किया, जैसे कि कुछ अच्छे अनुभव, कुछ गलतियाँ भी हुई, कमियाँ और दुख।
उन्होंने कहा इन अनुभवों के कारण हमारा मन प्रभावित होता है और हम अपने आप को कमजोर और दुखी महसूस करने लगते हैं। लेकिन इसके बाद, उन्होंने लोगों को परमात्मा की उपस्थिति की अनुभूति कराई और उन्हें अपने सारे बोझ और कमियों को परमात्मा को सौंपने के लिए प्रेरित किया।
इस मेडिटेशन के दौरान, लोगों ने अपने आप को हल्का और शांत महसूस किया और अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन की अनुभूति की। इस हीलिंग मेडिटेशन से लोगों को आत्म-शांति, परमात्म प्यार और वरदानों की अनुभूति की।
आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत के शुभ संकल्प की खुशी में सभी के ऊपर पुष्प वर्षा की गई।आत्मज्योति का प्रतीक सभी ने कैंडल जलाई और सभी ने मेडिटेशन को अपने जीवन में लाने के संकल्प से रक्षा सूत्र बांधा।केक काटकर जन्मोत्सव मनाया गया। सभी ब्रह्मकुमारी बहनों ने शिव ध्वज लहराकर सारी सभा को ईश्वरीय वरदानों और शक्तियों की अनुभूति कराई। इन सभी एक्टिविटी से पूरे सभागार में खुशियों और उमंग उत्साह भरा माहौल बना रहा। जिसको सभी ने खूब एंजॉय किया।