असम के तिनसुकिया जिले में कोयला डंपिंग जारी रहने से मार्घेरिटा के गांवों पर भूस्खलन का खतरा ।

एनपीटी असम ब्यूरो
असम के तिनसुकिया जिले के लिडो, मार्घेरिटा सम-जिला में चाइना बस्ती, झरना बस्ती और मालू पहाड़ के निवासियों को कोयला डंपिंग के कारण होने वाले भूस्खलन के कारण विस्थापन का खतरा बढ़ रहा है। कोल इंडिया लिमिटेड की सहायक कंपनी नॉर्थ ईस्टर्न कोलफील्ड्स ने इस क्षेत्र में कोयला डंपिंग ग्राउंड स्थापित किया है, जिससे गंभीर सुरक्षा चिंताएँ पैदा हो गई हैं।पीढ़ियों से वहाँ रह रहे 1,000 से अधिक परिवार रहने वाले प्रभावित गाँव अब खतरे में है क्योंकि लगातार भूस्खलन से भूमि का क्षरण हो रहा है। स्थानीय लोगों को डर है कि अगर डंपिंग ग्राउंड चालू रहा तो वे अपने घर और आजीविका खो सकते हैं। हाल ही में, नॉर्थ ईस्टर्न कोलफील्ड्स ने इस क्षेत्र को लाल झंडों से चिह्नित किया, इसे “खतरे का क्षेत्र” घोषित किया – एक ऐसा कदम जिसने निवासियों के डर को और बढ़ा दिया है। जानकारी के अनुसार “वहां 102 तांगसा समुदाय के लोग रहते हैं और उनका खुदका पांडुलिपियां, भाषा और परंपराएं हैं। यहां कोयला डंप करने का नॉर्थ ईस्टर्न कोलफील्ड्स (एनईसी) का फैसला उनके पहचान को खतरे में डालता है।” जानकारी के मुताबिक , “उनके द्वारा बार-बार एनईसी मार्गेरिटा से जमीन मांगी गई थी , जहां वे लोग स्थानांतरित हो सकें, लेकिन एनईसी ने कोई विकल्प देने से मना कर दिया था । पटकाई पहाड़ियों में अवैध कोयला खनन ने भूस्खलन की समस्या को बढ़ा दिया है, जिससे निवासी संकट में हैं। मालू गांव के कुछ स्थानीय निवासी ने चेतावनी दी कि कभी भी आपदा आ सकती है। निवासियों ने कहा है कि , “हमने देखा है कि उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश में क्या हुआ। अगर यहां की स्थिति को नहीं संभाला गया, तो उन्हें इसी तरह की आपदा का डर है।” जान और विरासत दांव पर लगे होने के कारण, ग्रामीण सरकार प्रशासन को इस बात पर हस्तक्षेप की अपील कर रहे हैं और उम्मीद कर रहे है कि सरकार, प्रशासन यहां भारी आपदा आने से पहले कोई उचित कार्रवाई करेंगे।