डायट भवन, पाकुड़ में आयोजित कार्यशाला में दी गई पॉक्सो एक्ट की जानकारी

एनपीटी पाकुड़ ब्यूरो,
पाकुड़ (झा०खं०), जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान पाकुड़ में 25 मार्च 2025 को प्राचार्य के मार्गदर्शन में पॉक्सो एक्ट 2012 पर एक कार्यशाला आयोजित किया गया। जिसमें जिले के सभी कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय के 210 छात्राओ ने भाग लिए। इस कार्यक्रम में प्राचार्य संतोष गुप्ता एवं प्रभारी प्राचार्य राकेश रजक दिप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। कार्यक्रम में पॉक्सो एक्ट की बास्तविकता पर विस्तृत जानकारी साझा किया गया। कार्यशाला के दौरान पॉक्सो एक्ट की जानकारी साझा करते हुए बताया गया कि पॉक्सो एक्ट का निर्माण महिला एंव बाल विकास मंत्रालय द्वारा साल 2012 में पॉक्सो Pocso Act -2012 के नाम से किया गया था। 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों के साथ किसी भी प्रकार से सैक्सुअल शोषण करने वाले व्यक्ति पर इस एक्ट के तहत कार्यवाही की जाती है। इस कानून का निर्माण नाबालिग बच्चों के साथ हो रहे यौन उत्पीड़न, यौन शोषण, पोर्नोग्राफी और छेड़छाड़ के मामलों को रोकने के लिए किया गया था। इस कानून के द्वारा अलग-अलग अपराधों के लिए अलग सजा का प्रावधान है। पॉक्सो एक्ट कब लागू होता है कि जानकारी साझा करते हुए बताया गया कि 18 वर्ष से कम उम्र के नाबालिग बच्चों के शरीर के किसी भी अंग में लिंग या कोई अन्य वस्तु डालना या अन्य किसी प्रकार से गलत बर्ताव करना, यौन शोषण कहलाता है। यदि कोई व्यक्ति किसी नाबालिग बच्चे (माइनर चाइल्ड) का यौन शोषण करता है तो उस व्यक्ति पर पॉक्सो एक्ट (POCSO ACT) के तहत मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही की जाती है। पॉक्सो POCSO अधिनियम के अनुसार ‘यौन हमला’ एक बच्चे पर की गई निम्नलिखित गतिविधियों में से किसी को संदर्भित करता है। भेदनात्मक यौन हमला। Penetrative Sexual Assault (धारा 3):- इसमें बच्चे के साथ योनि, गुदा या मौखिक संभोग शामिल है। गंभीर प्रवेशन यौन हमला। Aggravated penetrative Sexual Assault (धारा 5):- यह धारा 3 के तहत यौन हमले को संदर्भित करता है जो कुछ गंभीर परिस्थितियों में किया जाता है, जैसे कि जब अपराधी बच्चे का रिश्तेदार, अभिभावक या शिक्षक हो, या जब बच्चा शारीरिक या मानसिक रूप से अक्षम। यौन हमला। Sexual Assault (धारा 7):- इसमें बच्चे के साथ यौन प्रकृति का कोई भी अवांछित शारीरिक सम्पर्क शामिल है, जैसे कि बच्चे के गुप्तांगों को छूना या बच्चे को अपराधी के गुप्तांगों (Private parts) को छूना। उग्र यौन हमला (धारा 9):- यह धारा 7 के तहत यौन हमले को संदर्भित करता है जो कुछ गंभीर परिस्थितियों में किया जाता है, जैसे कि जब अपराधी बच्चे का रिश्तेदार, अभिभावक या शिक्षक हो, या जब बच्चा शारीरिक या मानसिक रूप से अक्षम हो। बच्चे का यौन उत्पीड़न। Child Sexual abuse (धारा 11):- इसमें कोई भी अवांछित यौन इशारा या व्यवहार शामिल है, जैसे यौन टिप्पणी करना या बच्चे को अश्लील साहित्य दिखाना। पॉक्सो एक्ट POCSO Act 2012 के तहत शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया क्या है? अगर आप या आपका कोई जानने वाला यौन शोषण का शिकार हुआ है तो आप पॉक्सो एक्ट के तहत शिकायत दर्ज करा सकते हैं। पॉक्सो POCSO अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया इस प्रकार है: पुलिस से सम्पर्क करे;- पहला कदम पुलिस से सम्पर्क करना और घटना की रिपोर्ट करना है। आप या तो व्यक्तिगत रूप से पुलिस स्टेशन जा सकते हैं या शिकायत दर्ज (Complaint Register) कराने के लिए पुलिस हेल्पलाइन नंबर पर कॉल भी कर सकते हैं। विवरण प्रदान करे:- आपको घटना की तिथि, समय और स्थान के साथ-साथ यदि संभव हो तो अपराधी की पहचान जैसे विवरण प्रदान करने की आवश्यकता होगी। मेडिकल जांच:- पुलिस दुर्व्यवहार के सबूत इकट्ठा करने के लिए पीड़िता की मेडिकल जांच की व्यवस्था करेगी। प्राथमिकी दर्ज करना (FIR):- अगर पुलिस को पता चलता है कि शिकायत POCSO अधिनियम के दायरे में आती है, तो वे प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करेंगे और जांच शुरू करेंगे। परीक्षण:- POCSO अधिनियम के तहत एक नामित अदालत में मामले की कोशिश की जाएगी। पीड़िता और गवाहों (Witnesses) को कोर्ट में गवाही (Testimony) देनी होगी। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पॉक्सो अधिनियम पीड़ित (Victim) और गवाहों की पहचान की सुरक्षा के लिए भी प्रावधान करता है। POCSO Case के तहत पुलिस की क्या जिम्मेदारियां हैं? पुलिस इस कानून को लागू करने और ऐसे अपराधों के पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पॉक्सो एक्ट के तहत पुलिस की जिम्मेदारियों में शामिल हैं:- शिकायत का पंजीकरण:- जब किसी बच्चे के खिलाफ यौन अपराध की शिकायत प्राप्त होती है, तो पुलिस को तुरन्त शिकायत दर्ज करनी चाहिए। बयान दर्ज करना:- पुलिस पीड़ित या किसी गवाह के बयान को इस तरह से दर्ज करने के लिए जिम्मेदार है जो बच्चे की उम्र, लिंग और मानसिक स्थिति के प्रति संवेदनशील हो। मेडिकल जांच:- पुलिस को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अपराध के सबूत इकट्ठा करने के लिए शिकायत के 24 घंटे के भीतर पीड़िता की मेडिकल जांच हो। अभियुक्तों की गिरफ्तारी:- यदि अपराध में उनकी संलिप्तता (Involvement) का उचित संदेह है तो पुलिस के पास आरोपी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार करने की शक्ति है। पीड़ित की सुरक्षा:- पुलिस को जांच और मुकदमे के दौरान सुरक्षा और सहायता प्रदान करने सहित पीड़ित की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। जांच और साक्ष्य संग्रह:- पुलिस को अपराध की गहन जांच करनी चाहिए, अपराध से संबंधित सभी सबूतों को इकट्ठा करना चाहिए और उसे Court में पेश करना चाहिए। फास्ट-ट्रैक ट्रायल:- पुलिस को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि POCSO अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार अभियुक्तों का मुकदमा समयबद्ध तरीके से चलाया जाए और उसमें तेजी लाई जाए। बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के अपराधियों को न्याय दिलाने के लिए POCSO अधिनियम के तहत पुलिस की एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। इस कार्यक्रम में संकाय सदस्य रविकांत , बरूण गणाई उपस्थित हुए।
कार्यक्रम का संचालन डायट प्रभारी राकेश रजक के द्वारा किया गया।