केंद्रीय बजट के खिलाफ वाम दलों का राजभवन मार्चमनोज कुमार कुशवाहा व्यूरो रिपोर्ट

एनपीटी झारखंड ब्यूरो
रांची, _: मोदी सरकार द्वारा प्रस्तुत जनविरोधी केंद्रीय बजट के खिलाफ वाम दलों द्वारा 14 फरवरी से 20 फरवरी,एक सप्ताह तक चलाए गए जन अभियान का समापन आज एक विशाल राजभवन मार्च के रूप में संपन्न हुआ। यह मार्च जिला स्कूल, रांची से प्रारंभ होकर अल्बर्ट एक्का चौक तक गगनभेदी नारों और जनसंघर्ष की प्रतिबद्धता के साथ निकाला गया, जहां नुक्कड़ सभा के माध्यम से जनता को संबोधित किया गया।
मार्च के दौरान “जनविरोधी केंद्रीय बजट वापस लो”, “कॉरपोरेट पक्षपाती बजट नहीं चलेगा”, “मनरेगा में बजट बढ़ाओ”, “शिक्षा पर जीडीपी का 6% खर्च करो”, “स्वास्थ्य क्षेत्र में बजट वृद्धि करो”, “रोजगार का निजीकरण बंद करो” जैसे नारे गूंजते रहे।
सभा को संबोधित करते हुए वाम दलों के नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा प्रस्तुत केंद्रीय बजट मजदूरों, किसानों, छात्रों और युवाओं के विरोध में है। यह बजट पूर्ण रूप से कॉरपोरेट घरानों के हितों की रक्षा करने वाला है, जिसमें श्रमिकों और किसानों के लिए कोई ठोस प्रावधान नहीं किया गया है। सरकार की नई शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा पर जीडीपी का 6% खर्च करने का वादा किया गया था, लेकिन इस बजट में शिक्षा के लिए आवंटन को और कम कर दिया गया है। इसी तरह, मनरेगा, जिससे करोड़ों मजदूरों का जीवन यापन होता है, उसमें भी बजट में कटौती कर दी गई है। स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति भी अत्यंत दयनीय बनी हुई है।
इस आंदोलन में भाकपा (माले) के त्रिलोकी नाथ, सीपीआई के संतोष, सीपीएम के सुखनाथ लोहारा, फॉरवर्ड ब्लॉक के अरुण मंडल ने अपनी बात रखी। कार्यक्रम का संचालन भाकपा (माले) की केंद्रीय कमेटी के सदस्य सुवंधु सेन ने किया। प्रमुख रूप से सीपीआई के राज्य सचिव महेंद्र पाठक, सीपीएम के राज्य सचिव प्रकाश विप्लव, भाकपा (माले) की केंद्रीय कमेटी के आरडी मांझी, मोहन दत्त, नंदिता भट्टाचार्य, शांति सेन, ऐती तिर्की, भीम साव सहित सैकड़ों लोग इस जनसंघर्ष में शामिल हुए।
वाम दलों ने संकल्प लिया कि जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए इस संघर्ष को और अधिक व्यापक स्तर पर आगे बढ़ाया जाएगा और मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा।