हर्षोल्लास के साथ मनाया गया बैसाखी पर्व

ललितपुर,श्री गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के तत्वावधान में खालसा पंथ स्थापना दिवस बैसाखी पर्व बड़े धूमधाम के साथ मनाया गया इस अवसर पर सुबह श्री साप्ताहिक पाठ जी का समापन हुआ उपरांत निशान साहिब जी के चोले की सेवा व लंगर की सेवा व 5 दिवसीय नितनेम साहिब जी के पाठ की सेवा सरदार पलविंदर सिंह परमार परिवार द्वारा हुई गुरुनानक धर्मशाला पर निशान साहिब के चोले की सेवा राजू सिंधी परिवार द्वारा हुई इस अवसर पर हजूर साहब नांदेड से पधारे ज्ञानी गुरबचन सिंह जी के जत्थे का अध्यक्ष ओंकार सिंह सलूजा परसन सिंह परमार,वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरविंदर सिंह सलूजा, मंत्री मनजीत सिंह सलूजा, कोषाध्यक्ष परमजीत सिंह छतवाल, व मुख्य ग्रंथी जसबीर सिंह, का मंत्री चरणजीत सिंह ने सरोपा भेट कर सम्मान किया इस अवसर पर छोटे-छोटे बच्चे रूबी कौर, कर्मन सिंह, हरजस कौर,अक्षय तिवारी, ने भी अपनी प्रस्तुति दी व इन सभी का सम्मान वीरेंद्र सिंह वीके सतवंत सिंह भोगल,व श्रीमती बिंदु कालरा ने किया हजूर साहिब नांदेड़ से पधारे ज्ञानी गुरबचन सिंह ने कहा कि खालसा पंथ की स्थापना 30 मार्च, 1699 को बैसाखी के दिन हुई थी. इसे सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने स्थापित किया था. खालसा पंथ की स्थापना
इस दिन गुरु गोबिंद सिंह ने सबसे पहले पांच प्यारों को अमृत पान करवाया था.
इसके बाद, उन्होंने उन पांच प्यारों के हाथों से खुद भी अमृत पान किया था.
इस दिन खालसा पंथ के नाम के पीछे ‘सिंह’ लग गया था.
गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ को ‘अकाल पुरख की फ़ौज’ कहा था.
उन्होंने खालसा पंथ के पांच प्रतीकों को भी परिभाषित किया था. ये प्रतीक थे – केश, कंघा, कड़ा, कछेरा, और कृपाण.
खालसा पंथ की स्थापना का मकसद सिखों को यह सिखाना कि कोई भी अनुष्ठान या अंधविश्वास सर्वशक्तिमान से ऊपर नहीं है.
इस्लामिक युग के दौरान हिंदुओं पर उत्पीड़न का जवाब देना.
अंतरात्मा और धर्म की आज़ादी के लिए आदेश देना.
खालसा पंथ की स्थापना गुरु गोबिन्द सिंह जी ने 13अप्रैल सन 1699, बैसाखी वाले दिन आनंदपुर साहिब में की इस अवसर पर अध्यक्ष ओंकार सिंह सलूजा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरविंदर सिंह सलूजा,मंत्री मनजीत सिंह सलूजा, कोषाध्यक्ष परमजीत सिंह छतवाल, चरणजीत सिंह, जगजीत सिंह, सतवंत सिंह भोगल, सतनाम सिंह भाटिया,अनिल वर्मा,अशोक स्वर्णकार,राजू सिंधी, मनिंदर सिंह मंगे,जसपाल सिंह पप्पू,गुरमुख सिंह,अवतार सिंह, वीरेंद्र सिंह बीके, मनजीत सिंह परमार, आनंद सिंह, सतनाम सिंह देलवारा, मेजर सिंह परमार, हरजीत सिंह ,डॉक्टर जेएस बक्शी, सुरजीत सिंह बैंक, जगजीत सिंह परमार, गौरव सिंह, सत्येंद्र सिसोदिया, नितिन श्रीवास्तव एडवोकेट, हरकीरत सिंह, सुरेंद्र सिंह पप्पू, पूरन सिंधी, आदि उपस्थित थे संचालन महामंत्री सुरजीत सिंह सलूजा ने कियाहर्षोल्लास के साथ मनाया गया बैसाखी पर्व*
ललितपुर,श्री गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के तत्वावधान में खालसा पंथ स्थापना दिवस बैसाखी पर्व बड़े धूमधाम के साथ मनाया गया इस अवसर पर सुबह श्री साप्ताहिक पाठ जी का समापन हुआ उपरांत निशान साहिब जी के चोले की सेवा व लंगर की सेवा व 5 दिवसीय नितनेम साहिब जी के पाठ की सेवा सरदार पलविंदर सिंह परमार परिवार द्वारा हुई गुरुनानक धर्मशाला पर निशान साहिब के चोले की सेवा राजू सिंधी परिवार द्वारा हुई इस अवसर पर हजूर साहब नांदेड से पधारे ज्ञानी गुरबचन सिंह जी के जत्थे का अध्यक्ष ओंकार सिंह सलूजा परसन सिंह परमार,वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरविंदर सिंह सलूजा, मंत्री मनजीत सिंह सलूजा, कोषाध्यक्ष परमजीत सिंह छतवाल, व मुख्य ग्रंथी जसबीर सिंह, का मंत्री चरणजीत सिंह ने सरोपा भेट कर सम्मान किया इस अवसर पर छोटे-छोटे बच्चे रूबी कौर, कर्मन सिंह, हरजस कौर,अक्षय तिवारी, ने भी अपनी प्रस्तुति दी व इन सभी का सम्मान वीरेंद्र सिंह वीके सतवंत सिंह भोगल,व श्रीमती बिंदु कालरा ने किया हजूर साहिब नांदेड़ से पधारे ज्ञानी गुरबचन सिंह ने कहा कि खालसा पंथ की स्थापना 30 मार्च, 1699 को बैसाखी के दिन हुई थी. इसे सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने स्थापित किया था. खालसा पंथ की स्थापना
इस दिन गुरु गोबिंद सिंह ने सबसे पहले पांच प्यारों को अमृत पान करवाया था.
इसके बाद, उन्होंने उन पांच प्यारों के हाथों से खुद भी अमृत पान किया था.
इस दिन खालसा पंथ के नाम के पीछे ‘सिंह’ लग गया था.
गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ को ‘अकाल पुरख की फ़ौज’ कहा था.
उन्होंने खालसा पंथ के पांच प्रतीकों को भी परिभाषित किया था. ये प्रतीक थे – केश, कंघा, कड़ा, कछेरा, और कृपाण.
खालसा पंथ की स्थापना का मकसद सिखों को यह सिखाना कि कोई भी अनुष्ठान या अंधविश्वास सर्वशक्तिमान से ऊपर नहीं है.
इस्लामिक युग के दौरान हिंदुओं पर उत्पीड़न का जवाब देना.
अंतरात्मा और धर्म की आज़ादी के लिए आदेश देना.
खालसा पंथ की स्थापना गुरु गोबिन्द सिंह जी ने 13अप्रैल सन 1699, बैसाखी वाले दिन आनंदपुर साहिब में की इस अवसर पर अध्यक्ष ओंकार सिंह सलूजा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरविंदर सिंह सलूजा,मंत्री मनजीत सिंह सलूजा, कोषाध्यक्ष परमजीत सिंह छतवाल, चरणजीत सिंह, जगजीत सिंह, सतवंत सिंह भोगल, सतनाम सिंह भाटिया,अनिल वर्मा,अशोक स्वर्णकार,राजू सिंधी, मनिंदर सिंह मंगे,जसपाल सिंह पप्पू,गुरमुख सिंह,अवतार सिंह, वीरेंद्र सिंह बीके, मनजीत सिंह परमार, आनंद सिंह, सतनाम सिंह देलवारा, मेजर सिंह परमार, हरजीत सिंह ,डॉक्टर जेएस बक्शी, सुरजीत सिंह बैंक, जगजीत सिंह परमार, गौरव सिंह, सत्येंद्र सिसोदिया, नितिन श्रीवास्तव एडवोकेट, हरकीरत सिंह, सुरेंद्र सिंह पप्पू, पूरन सिंधी, आदि उपस्थित थे संचालन महामंत्री सुरजीत सिंह सलूजा ने किया