असम

विद्याभारती द्वारा आयोजित समुत्कर्ष महाशविर “में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा ।

एनपीटी असम ब्यूरो

असम विद्या भारती पूर्वोत्तर क्षेत्र द्वारा आयोजित समुत्कर्ष महासिविर का तीन दिवसीय भव्य आयोजन 29 जनवरी से 31 जनवरी तक असम के मुख शहर गुवाहाटी के सरुसजाई खेल परिसर में सफलता के साथ संपन्न हुआ। इस महासिविर में पूर्वोत्तर क्षेत्र के 700 से अधिक विद्यालयों के 8000 छात्र-छात्राओं ने भाग लिया और घोष वादन एवं शारीरिक प्रदर्शन किया। 31 जनवरी को आयोजित समापन सत्र में, पूर्वोत्तर के सात राज्यों से आई 5000 माताओं को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के असम प्रांत के क्षेत्र प्रचारक वशिष्ठ बुजरबरुआ ने संबोधित किया। उन्होंने अपने उद्बोधन में बताया कि बच्चों को संस्कार माता से ही प्राप्त होते हैं, जो उन्हें “नर से नारायण” बनने में सहायक बनते हैं। उन्होंने माताओं से आह्वान किया कि आदर्श परिवार निर्माण हेतु जन्म से अंतिम संस्कार तक भारतीय 16 संस्कारों का पालन करें और राष्ट्र के भविष्य व समाज के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। विद्या भारती के अखिल भारतीय सह-संगठन मंत्री जतीन्द्र शर्मा ने माताओं से लोकमाता अहल्या बाई के आदर्शों का अनुसरण कर राष्ट्र निर्माण में योगदान देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि बालिका शिक्षा के माध्यम से मातृशक्ति को सशक्त बनाना होगा, ताकि वे भविष्य में राष्ट्र को नेतृत्व प्रदान कर सकें। इस अवसर पर असम के मंत्री नंदिता गारलोसा, अरूणाचल प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री दसांगलु फुल, एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। प्रख्यात पूर्व छात्र सम्मेलन सिविर के दौरान आयोजित पूर्व छात्र सम्मेलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के डॉ. कृष्ण गोपाल शर्मा ने पूर्व छात्रों को संबोधित किया। दोपहर 2 बजे असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व शर्मा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। इस दौरान 8000 छात्र-छात्राओं ने 5 अलग-अलग घोष वादन प्रस्तुत किए, जिससे पूरा वातावरण मंत्रमुग्ध हो गया। साथ ही 1000 छात्रों ने बिहू नृत्य प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया। समारोह की अध्यक्षता उद्घाटन समिति के अध्यक्ष सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कलिता ने की। कार्यक्रम के आरंभ में पद्म भूषण से सम्मानित जतीन्द्र गोस्वामी को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल शर्मा ने कहा कि विद्या भारती छात्रों के शैक्षिक उत्थान के माध्यम से भारत की 5000 वर्षों की खोई हुई गौरवशाली परंपरा को पुनः जाग्रत कर, भारत को विश्वगुरु के पद पर स्थापित करने के लिए तत्पर है। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि ज्ञान से पवित्र कुछ भी नहीं है। प्राचीन काल में भारत आध्यात्मिकता, विज्ञान और ज्योतिष विद्या का केंद्र था। उन्होंने छात्रों को ज्ञान अर्जन हेतु तपस्या करने की प्रेरणा दी और कहा कि अतीत के गहरे स्रोत से ज्ञान का अमृत लेकर, भविष्य की तकनीक के साथ कदम मिलाकर हमें 2047 तक विकसित भारत का निर्माण करना होगा। उन्होंने कहा कि सेवा, शिक्षा का अनिवार्य अंग है, और छात्रों को जिज्ञासु प्रवृत्ति अपनाकर ज्ञान के अन्वेषण में तत्पर रहना चाहिए। अंत में मुख्यमंत्री ने विद्या भारती परिवार, छात्रों, शिक्षकों, एवं व्यवस्थापकों को इस स्वर्णिम यात्रा का साक्षी बनने के लिए बधाई दी। समारोह का समापन विद्या भारती पूर्वोत्तर क्षेत्र के महासचिव डॉ. जगदीन्द्र रायचौधुरी के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

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