प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के तत्वाधान में पूर्व केंद्र संचालिका ब्रह्माकुमारी कमला दीदी के ज्योति पुण्यतिथि पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी

एनपीटी बूंदी ब्यरो
बूंदी! प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के तत्वाधान में पूर्व केंद्र संचालिका ब्रह्माकुमारी कमला दीदी के चतुर्थ पुण्यतिथि के उपलक्ष्य पर उत्कृष्ट मीडिया के लिए *उज्जवल भविष्य के लिए नई शुरुआत* विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सभी ने दिवंगत राजयोगी पूर्व केंद्र संचालिका ब्रह्माकुमारी कमला दीदी को पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित। केंद्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी रजनी दीदी, गीता दीदी ने तिलक, ईश्वरीय सौगात देकर सभी का अभिनंदन किया । योग शक्ति ब्रह्मा कुमारी गीता दीदी ने कहा कि वैसे तो यह जिंदगी बहुत खूबसूरत है परंतु इसे समझने की जरूरत है।
यदि इस जिंदगी को समझ कर जीया जाए तो इस संसार में रहते हुए भी कोई ऐसा व्यक्ति नहीं, कोई ऐसी परस्थिति नहीं जो हमें परेशान कर सके या निराशा उदास कर सके लेकिन हम लोग जिंदगी को समझे बिना ही जिंदगी जीना शुरु कर देते हैं और सारी जिंदगी में संघर्ष चलता रहता है। ब्रह्माकुमारी गीता दीदी ने उज्जवल भविष्य के लिए एक नई शुरुआत विषय पर कहा कि यदि मनुष्य चाहे तो अपना भविष्य उज्ज्वल बना सकता है ,उज्जवल भविष्य बनाने के लिए उसे वर्तमान में अपने मन वचन और कर्म पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है पहरा देने की आवश्यकता है, कि कहीं भूल से भी मेरे मन से किसी भी व्यक्ति प्रकृति पशु पक्षी के लिए दुर्भावनाएं ना निकले मेरे मुख से किसी के लिए भी दुखदाई शब्द ना निकले ,और मेरे कोई भी कर्तव्य से किसी को दुख न पहुंचे क्योंकि हमारे मन वचन कर्म से जो कुछ भी निकल कर बाहर जाता है वही लौट कर हम तक वापस आता है और हमारा भविष्य हम स्वयं जो देते हैं इस आधार पर बनता है इसलिए इंसान को ना भूतकाल की सोचना चाहिए ना भविष्य काल की वर्तमान में रहकर के अपने वर्तमान के एक-एक कदम पर एक-एक क्षण पर किए जा रहे विचार बोल और कर्म पर ध्यान दिया जाए तो अपना सुंदर भविष्य बनाया जा सकता है क्योंकि श्रीमद् भागवत गीता कहती है जैसा कर्म करेगा वैसा फल देगा भगवान यह है गीता का ज्ञान ।रामचरितमानस कहती है कर्म प्रधान विश्व रची राखा जो जस करही तस फल चाखा लक्ष्मण गीता में कहा गया है कोउ नहीं सुख-दुख कर दाता निज कृत कर्म भोग सब भ्राता, जब हमारे कर्म ही हमको सुख-दुख देते हैं तो फिर हम किसी इंसान पर क्यों दोषारोपण करें। क्यों ना हमे अपने कर्मों को सुधारा जाए। आगे उन्होंने कहा कि यदि किसी व्यक्ति की गलती नहीं है और यदि उसके प्रति हमने बिना सोचे समझे किसी गलत बात का प्रचार प्रसार किया तो इसका भी हमारे जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है ।इसलिए हमें बहुत सोच समझ कर ही कोई भी बातों का प्रचार करना चाहिए । कर्मों के आधार पर ही यह संसार चलता है। अपने ही किए हुए कर्मों से व्यक्ति महान या कंगाल भी बनता है। अपने कर्मों में परिवर्तन लाने से ही हम बुराई से मुक्त बनते है। कर्मो मे परिवर्तन लाने हेतु ज्ञान की और समझ की आश्वयकता है। जब हम मेडीटेशन करते हैं तो हमारी इंद्रियां संयमित होती है, हमारा आत्मविश्वास, आत्म जाग्रति और मनोबल बढ़ता है जिससे हमें अच्छे, बुरे की परख होती है । उन्होंने बताया व्यक्ति जन्म से बुरा नहीं होता। जब वह इस संसार में आता है तो गलत संगत, नशा व्यसन, गलत खानपान, लोभ, लालच, क्रोध, तनाव या विपरीत परिस्थितियों उसे बुरा बनाती है। उन्होंने कहा कि जीवन की कुछ समस्या पिछले जन्मों के गलत कर्मों से आती है। व्यक्ति अपने कर्मों से कही भी भाग नहीं सकता। किए हुए कर्मों का फल खुद को ही भोगना पड़ता है। उन्होंने सभी को तीन मिनट मेडीटेशन भी कराया। साथ में अपने जीवन मे सकारात्मक सोचने की बात कही। उन्होंने कहा कि जीवन में समस्या रूपी बादल आते हैं, उसे सहनशीलता से, सकारात्मक सोच कुछ गलतियों को महसूस कर पार करना हैं।