ग्रामीणों ने डीसी से की शिकायत, महज दस वर्ष पूर्व बने सरकारी मदरसा भवन को ढाकर नया भवन निर्माण की प्रयास का लगाया संगीन आरोप

एनपीटी,
झारखण्ड के पाकुड़ से एक बड़ी खबर है। पाकुड़ में 10 साल पूर्व बने एक सरकारी मदरसा की इमारत / बिल्डिंग/ भवन को ढाकर/ तोड़कर नया भवन निर्माण करने का प्रयास करने की संगीन आरोप स्थानीय ग्रामीणों के द्वारा संवेदक सहित अभियंता पर लगाया जा रहा है। यानी पाकुड़ जिले के प्रखण्ड पाकुड़ क्षेत्र अन्तर्गत पंचायत गंधाईपुर में अवस्थित मदरसा दारुल उलूम, हरिगंज में 10 साल पूर्व बने मदरसा भवन को ढाकर / तोड़कर नये भवन निर्माण करने का दर हक़ीक़त प्रकाश में आया है। दरअसल पंचायत गंधाईपुर अन्तर्गत हरिगंज गांव के ग्रामीणों ने उपायुक्त, पाकुड़ को लिखित शिकायत ज्ञापन सौंपते हुए उल्लेख किया है कि पंचायत गंधाईपुर स्थित मदरसा दारुल उलूम, हरिगंज में 10 साल पूर्व बने भवन को ढाकर / तोड़कर नया भवन निर्माण करने का प्रयास किया जा रहा है। ग्रामीणों ने लिखित शिकायत आवेदन में कहा है कि जब उक्त सरकारी मदरसा में 10 साल पूर्व ही बिल्डिंग का निर्माण हुआ है और सटीक/ ठीक- ठाक अवस्था में है तो फिर उक्त भवन को तोड़कर /ढाकर नया भवन निर्माण करने की जरूरत ही क्या है? ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकारी राशि का बंदरबांट / दुरुपयोग करने की बदनियत से ही इसमें संलिप्त लोग सहित विभागीय अधिकारियों की मिली भगत से दुरुस्त/ ठीक-ठाक अवस्था में रहे मदरसा दारुल उलूम, हरिगंज की महज दस वर्ष पुरानी बिल्डिंग को ढाकर/ तोड़कर नया भवन निर्माण करने के फिराक में है। ग्रामीणों ने कहा है कि पूर्व में उपायुक्त, पाकुड़ को सौंप गये ज्ञापन के मुताबिक जांच का निर्देश भी दिया गया था और बीते मंगलवार को पंचायत सचिव की उपस्थिति में अभियंता यानी जांच टीम के द्वारा भवन का जायजा भी लिया गया। लेकिन भवन को तोड़कर/ ढाकर नया भवन निर्माण करने और सरकारी राशि का दुरुपयोग करने के बदनियत से संवेदक की ओर से गुरुवार को उक्त सरकारी मदरसा भवन को क्षतिग्रस्त कर दिया गया। जिसका वीडियो भी वायरल हो चुका है। ग्रामीणों ने उपायुक्त, पाकुड़ से आवश्यक कार्रवाई की मांग करते हुए कहा है कि इस वृतांत में संलिप्त लोगों के विरुद्ध नियम मुताबिक कार्रवाई करते हुए दोषियों को न्याय संगत सजा दी जाए। ग्रामीणों का कहना है कि विद्यार्थी के अनुपात में उल्लेखनीय मदरसा दारुल उलूम हरिगंज की भवन में मौजूद रुम काफी है और यदि बनाना ही है तो पुराने वाले भवन के छत के उपर यानी उसे दो मंजिला बना देने से ही काफी है। मगर सरकारी राशि की दुरुपयोग की बदनियत से अच्छा – खासा मदरसा भवन को ढाकर नया भवन निर्माण करना अनुचित होगा। मगर सवालिया निशान तब आता है कि जब महज 10 साल पहले ही बने उक्त सरकारी मदरसा दारुल उलूम, हरिगंज की भवन ठीक-ठाक और दुरुस्त अवस्था में है तो फिर उसे तोड़कर/ ढाकर नया भवन निर्माण करने की जरूरत ही क्या है? क्या विभागीय अधिकारी और अभियंता के द्वारा भवन निर्माण हेतु जांच प्रतिवेदन पूर्व में ही प्रस्तुत किया गया था? क्या 10 साल पूर्व बने भवन की अवस्था डैमेज हो गया था ? या फिर ठीक-ठाक अवस्था में थी की जांच प्रतिवेदन टेंडर प्रक्रिया शुरू होने से पहले जांच टीम के द्वारा दी गयी थी? या फिर सरकारी पैसों का दुरुपयोग करने के बदनियत से अभियंता और संवेदक या कुछ लोगों की मिली भगत से इस कार्य को अंजाम दिया गया? क्या उक्त भवन को ढाने का एनओसी संवेदक को प्राप्त है? ऐसे कई सारे सवाल अपने आप उभर कर आना जगजाहिर है। ग्रामीणों ने कहा कि यदि आवश्यक कार्रवाई नहीं की गयी तो उच्च स्तरीय अधिकारियों के संज्ञान में देने के साथ आवश्यक कारवाई की मांग की जायेगी। बाहरेहाल जो भी हो उल्लेखनीय सरकारी मदरसा दारुल उलूम, हरिगंज की भवन को तोड़-फोड़ कर क्षतिग्रस्त करने का वीडियो फुटेज भी प्रकाश में आया है। साथ ही ग्रामीणों के द्वारा पुलिस प्रशासन के समक्ष हाथ जोड़कर भवन क्षतिग्रस्त करने वाले को को रोकने की गुहार लगाते हुए भी वीडियो प्रकाश में आया है। और तो और उल्लेखनीय सरकारी मदरसा दारुल उलूम, हरिगंज की भवन तोड़-फोड़ करने से पूर्व जो भवन की वीडियो प्रकाश में आया है, उससे स्पष्ट प्रतित होता है कि शायद सरकारी राशि का बंदरबांट करने की बदनियत एवं निजी स्वार्थ के लिए ही दस वर्ष पहले बने मदरसा दारुल उलूम, हरिगंज की भवन को ढाकर/ तोड़कर नया निर्माण करने का प्रयास है, जो उच्च स्तरीय जांच का विषय है।