सिंगरौली

एसपी से हुई शिकायत, हमेशा से विवादों में घिरा रहा एएसआई।

नेशनल प्रेस टाइम्स ब्यूरो
विकास दुबे

सिंगरौली। अक्सर अवैध रेत खनन और मादक पदार्थ की बिक्री के लिए बदनाम रहा कोतवाली पुलिस की खाकी पर एक बार फिर दाग लगा है। इस बार एक मारपीट और गाली गलौज से पीड़ित व्यक्ति पर एएसआई द्वारा एफआईआर दर्ज करने के आरोप लगे हैं। पीड़ित ने एसपी से शिकायत की है कि विवेचक एएसआई ने 5000 रिश्वत लेकर पीड़ित और उसके पिता के ही खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दिया है। पुलिस अधीक्षक के नाम दिए शिकायती पत्र में विवेक कुमार दुबे पिता तुलसीराम दुबे ग्राम पड़खुरी ने लिखित शिकायत किया कि पचौर कॉलेज से लौटते समय धतुरा में कचनी क्षेत्र में अवैध शराब व गांजा बिक्री कराने का लग चुका है आरोप मोटरसाइकिल से जाते समय धतूरा के रहने वाले मुन्नीलाल उपाध्याय बीच सड़क पर रुकवा कर बिना कोई वजह के मां बहन की गाली देते हुए लाठी डंडे से मारपीट की। शिकायत की जांच एएसआई रजनीश उपाध्याय को दी गई लेकिन एएसआई ने पीड़ित को धमकी दी की दस हजार रिश्वत दो नहीं तो तुम्हारे खिलाफ ही मामला दर्ज कर दूंगा। एएसआई की धमकी से डर कर पीड़ित ने पांच हजार रिश्वत दे भी दिया। बावजूद इसके एएसआई ने पीड़ित और उसके पिता के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर दिया। पीड़ित ने कहा पुलिस द्वारा मांगे गए दस हजार रिश्वत नहीं देने पर झूठी एफआइआर दर्ज की गई है। वह एसपी मनीष खत्री से न्याय की गुहार लगाई है। चर्चा है कि यह कोई पहली मर्तबा नहीं है जब एएसआई पर आरोप लगे हैं इसके पहले भी अवैध गांजा और दारू बिक्री के कारोबारियों कुछ संरक्षण देने के आरोप लग चुके हैं।

पांच हजार कम दिया तो दर्ज कर दिया एफआइआर

पीड़ित ने आरोप लगाए हैं कि मेरे साथ मारपीट व गाली गलौज हुआ। मैंने खुटार चौकी में शिकायत की। शिकायत पर मामला दर्ज करने की बजाय एएसआई ने पीड़ित से दस हजार की रिश्वत की मांगी। नहीं देने पर फरियादी के खिलाफ भी मामला दर्ज करने के लिए धमकाया। जब पीड़ित एफआइआर के डर से पांच हजार रूपए रिश्वत दिए। लेकिन बचे हुए पांच हजार रिश्वत की रकम नहीं मिली तो एएसआई ने पीड़ित और उसके पिता के खिलाफ ही एफआइआर दर्ज कर दिया। पीड़ित का आरोप है कि यह कार्रवाई रिश्वत न देने के कारण की गई।

एएसआई ने लगाया खाकी पर दाग

कोतवाली पुलिस पर रेत और अवैध कारोबारियों से सांठगांठ करने के आरोप लगते रहे हैं लेकिन इस बार पुलिस पर पैसे ना देने पर एफआइआर कर देने का जो दाग लगा है, वह जन प्रतिनिधियों के कार्य पर भी सवाव खड़े कर रहा हैं। आम पीड़ित लोग जहां पुलिस के पास पहुंच न्याय की उम्मीद करते हैं तो वहीं पुलिस अब पीड़ित पर ही दबाव बनाकर अवैध वसूली करती हैं। ऐसे आरोप से पुलिस प्रशासन और सरकार दोनों की छवि खराब हो रही है।

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