सिंगरौली

नेता का चोला पहन कोतवाली क्षेत्र में कर रहे रेत का अवैध कारोबार

सिंगरौली : समाज सेवा की आड़ में भाजपा व कांग्रेस के स्थानीय नेता रेत के अवैध कारोबार में संलिप्त  कोतवाली क्षेत्र में रेत के अवैध कारोबार पर अंकुश लगाना पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। यहां कुछ स्थानीय भाजपा एवं कांग्रेस पार्टी के नेता रेत के कारोबार में संलिप्त हैं। जहां पुलिस एवं खनिज तथा राजस्व अमला नकेल कसने से परहेज करता है। गौरतलब है कि कोतवाली बैढ़न क्षेत्र के शासन में म्यार एवं रेण नदी से रेत का अवैध कारोबार चरम सीमा पर है। यहां शाम ढलते ही दो दर्जन से ज्यादा ट्रैक्टर उक्त नदियों से रेत के उत्खनन एवं परिवहन में जुट जाते है। जहां सुबह 6 बजे तक धमाचौकड़ी मचाते हुये ग्रामीणों को रात में सोना मुश्किल कर दिये हैं।

सूत्र बताते हैंं कि रेत के अवैध कारोबार में स्थानीय भाजपा के कुछ कार्यकर्ता व एक कांग्रेसी नेता शामिल है। जहां आरोप लगाया जा रहा है कि पुलिस एवं राजस्व तथा खनिज विभाग का अमला जान कर भी कार्रवाई नही कर रहा है। चर्चाएं यहां तक है कि पुलिस से अवैध रेत कारोबारियों के बीच बेहतर तालमेल है और एक रात का 3 से 5 हजार रूपये प्रति ट्रैक्टर से वसूल कर रोजाना लाखों रूपये की अतिरिक्त कमाई की जा रही है। वही ग्रामीण यह भी बताते हैं कि शिकायत करने पर तरह-तरह की धमकियां दी जाती है। डर के कारण ग्रामीण अब खुलकर शिकायत भी करना बंद कर दिये हैं। हालांकि रेत के अवैध कारोबार में स्थानीय भाजपा नेता एवं एक कांग्रेसी नेता खुलकर कार्य कर रहे हैं। जहां पुलिस एवं खनिज तथा राजस्व अमला सफेद पोशधारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए साहस नही जुटा पा रहा है।

नेतागिरी व समाज सेवा की आड़ में अवैध कारोबार,,,?

स्थानीय निवासियों का कहना है कि नेता जी खुद को समाजसेवी और राजनीतिक रसूखदार बताकर प्रशासन की आंखों में धूल झोंक रहे हैं और खुलेआम अवैध रेत कारोबार कर रहे हैं। यह भी आरोप है कि रेत के इस अवैध धंधे में कई ट्रक और ट्रैक्टरों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो रात के अंधेरे में नदी से अवैध रूप से रेत निकालकर अन्य स्थानों पर भेजी जाती है।

नेता जी के लिए प्रशासन मौन

लोगों का कहना है कि क्षेत्र में अवैध रेत खनन का धंधा कोई नया नहीं है, लेकिन हाल के दिनों में इसमें जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। हैरानी की बात यह है कि प्रशासन और पुलिस को सब कुछ पता होने के बावजूद इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही। यह संदेह पैदा करता है कि कहीं न कहीं प्रशासनिक मिलीभगत भी हो सकती है।

पर्यावरण को हो रहा नुकसान

अवैध रेत खनन से न केवल सरकारी राजस्व को बड़ा नुकसान हो रहा है, बल्कि पर्यावरण को भी गंभीर क्षति पहुंच रही है। नदियों के किनारे लगातार खनन किए जाने से जलस्तर घट रहा है, जिससे आसपास के गांवों में पानी की समस्या गहरा रही है। साथ ही, रेत खनन से नदियों का प्राकृतिक संतुलन भी बिगड़ रहा है, जिससे भविष्य में भारी भू-क्षरण और बाढ़ की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

क्षेत्र के जागरूक नागरिकों ने प्रशासन से अपील की है कि जल्द से जल्द इस अवैध कारोबार पर रोक लगाई जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो। यदि समय रहते इस अवैध धंधे पर लगाम नहीं लगाई गई तो आने वाले समय में इसका दुष्परिणाम पूरे क्षेत्र को भुगतना पड़ सकता है अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है या फिर अवैध रेत माफियाओं की दबंगई इसी तरह जारी रहेगी।

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