
चौसाना। कस्बे में छात्रा से हुई छेड़छाड़ की घटना को पांच दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक पुलिस के हाथ खाली हैं। घटना स्थल कोई सुनसान इलाका नहीं, बल्कि पुलिस चौकी से कुछ ही कदम की दूरी पर था। इसके बावजूद चौकी पुलिस की निष्क्रियता ने ग्रामीणों में आक्रोश पैदा कर दिया है। लोगों का कहना है कि यदि चौकी के पास ही छात्रा सुरक्षित नहीं, तो फिर पूरे क्षेत्र की बेटियां कैसे खुद को महफूज़ समझेंगी ?
बीते सप्ताह प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही छात्रा के साथ एक बाइक सवार युवक ने दिनदहाड़े छेड़छाड़ की। मामला जब सोशल मीडिया और स्थानीय लोगों के दबाव में आया, तब जाकर पुलिस ने आनन-फानन में मुकदमा दर्ज किया। घटना का सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया, लेकिन पांच दिन बाद भी आरोपी पुलिस की पकड़ से बाहर है।
पुलिस ने पहले कस्बे के मुख्य चौराहों और गलियों में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली, फिर आरोपी की पहचान न होने पर गांव-गांव जाकर उसकी ‘कद-काठी और बाइक’ के आधार पर सुराग ढूंढने की कोशिश की जा रही है। लेकिन अब तक यह प्रयास सिर्फ कागज़ों में सिमटता दिख रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस ने यह मामला सिर्फ दिखावे के लिए उठाया और अब उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। चौसाना निवासी अनीता देवी कहती हैं, “बेटियों के साथ अत्याचार बढ़ते जा रहे हैं, और पुलिस सिर्फ खानापूर्ति में लगी है। अगर पुलिस सक्रिय होती, तो आरोपी अब तक सलाखों के पीछे होता।”
महिला सशक्तिकरण की बातें मंचों तक ही सीमित रह गई हैं। जब किसी छात्रा के साथ खुलेआम ऐसी शर्मनाक घटना होती है और प्रशासन उसे सुरक्षा नहीं दे पाता, तो यह सिस्टम की असलियत को उजागर करता है।
ग्रामीणों का कहना है कि यदि यही हाल रहा तो वे अपनी बेटियों को कस्बे में अकेले भेजने से भी कतराएंगे। वहीं कुछ सामाजिक संगठनों ने भी पुलिस के रवैये की निंदा करते हुए कहा कि यदि जल्द आरोपी नहीं पकड़ा गया, तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।
अब सवाल यह है कि क्या चौसाना की बेटियां केवल स्लोगनों तक ही सशक्त रहेंगी या उन्हें वाकई न्याय मिलेगा? पुलिस की सुस्ती और कार्यशैली ने एक बार फिर कानून व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है।