14 मई से 20 मई के दरमियान कभी भी दस्तक दे सकते जांच टीम, बीआरपी – सीआरपी के कहने पर नहीं बल्कि अपने अनुसार स्कूल का करे निरीक्षण दल- निदेशक

एनपीटी,
राज्य में शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए झारखण्ड का स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग तेज़ी से काम कर रहा है। आधिकारिक घोषणा के साथ ही 14 मई से इसे लेकर स्कूलों में निरीक्षण का दौर शुरू हो गया है, जो 20 मई 2025 तक राज्यभर के स्कूलों में चलेगा। जिस हेतु अनुश्रवण अभियान के तहत गठित 61 सदस्यीय दलों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है। झारखण्ड शिक्षा परियोजना निदेशक शशि रंजन ने की। उन्होंने टीमों को “सुबह नाश्ते से पहले निरीक्षण” का मंत्र देते हुए निर्देश दिया कि गर्मियों में स्कूलों के सीमित समय को ध्यान में रखते हुए सभी निरीक्षण कार्य प्रातः काल ही किए जाए। निरीक्षण की रणनीति और प्राथमिकताएं निदेशक शशि रंजन ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि निरीक्षण केवल शिक्षक और स्टाफ के भरोसे नहीं, बल्कि छात्रों की सहभागिता से हो। निरीक्षण के दौरान बच्चों से सीधे संवाद करे, ताकि वास्तविक स्थिति का मूल्यांकन हो सके। उन्होंने यह भी कहा कि उन स्कूलों का विशेष निरीक्षण हो जिनका “आउट ऑफ स्कूल बच्चों” का आंकड़ा वर्षों से स्थिर है। निरीक्षण दल को केवल ‘हां-ना’ प्रारूप में रिपोर्ट देने से बचने की सलाह दी गई है। निदेशक ने कहा, “रिपोर्ट ऐसी बनाएं जो नीति निर्माण में उपयोगी हो। शिशु पंजी सर्वे, प्रयोगशालाओं की स्थिति, एमडीएम की गुणवत्ता और इंस्ट्रक्टर की उपस्थिति की गंभीरता से जांच करे।” निदेशक ने कहा कि स्कूलों का चयन बीआरपी या सीआरपी के कहने पर नहीं, बल्कि ऑन द स्पॉट निरीक्षण के आधार पर किया जाए। यदि बीआरपी-सीआरपी अपने कार्य में लापरवाह पाए जाएं, तो उनके विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी। जीरो ड्रॉप आउट और उपस्थिति पर विशेष जोर
जिन स्कूलों ने “जीरो ड्रॉप आउट” का दावा किया है, उनकी सत्यता की जांच की जाएगी। यदि दावा सही पाया गया, तो उन्हें प्रोत्साहित किया जाएगा, अन्यथा भ्रामक जानकारी देने पर कार्रवाई की जायेगी। निरीक्षण के दिन स्कूलों में कम-से-कम 75% छात्रों की उपस्थिति अनिवार्य होगी। ‘प्रयास’ कार्यक्रम और जीरो एनरोलमेंट स्कूलों की स्थिति की भी समीक्षा की जायेगी।