ललितपुर

पुण्यश्लोक महारानी अहिल्याबाई होलकर जी की तीन सौवीं जयन्ती मनाने को लेकर भारतीय जनता पार्टी की कार्यशाला सम्पन्न

नेशनल प्रेस टाइम्स,ब्यूरो

ललितपुर -भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगतप्रकाश नड्डा के निर्देश पर भारतीय जनता पार्टी सारे देश में पुण्य श्लोक महारानी अहिल्याबाई होलकर जी की तीन सौ वीं जयंती मनाने जा रही है । इसको लेकर ललितपुर में भी एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में मुख्य अतिथि एवं मुख्य बक्ता के रूप में भारतीय जनता पार्टी के महामंत्री संगठन धर्मपाल जी उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला अध्यक्ष हरिश्चंद्र रावत ने की एवं संचालन महामंत्री बंशीधर श्रीवास ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत में महारानी अहिल्याबाई होलकर जी को लेकर एक लघु फिल्म भी दिखाई गई।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि एवं मुख्य बक्ता भारतीय जनता पार्टी के महामंत्री संगठन धर्मपाल ने कहा कि पुण्यश्लोक महारानी अहिल्याबाई जी ने काशी विश्वनाथ से लेकर सोमनाथ तक अनेकों मन्दिरों का जीर्णोद्धार कराया। प्राचीनता और आधुनिकता का संगम जो उनके जीवन में था आज देश उसको आदर्श मान कर चल रहा है । उन्होंने कहा कि हम लोग इक्कीस मई से लेकर इकतीस मई तक सारे जिलों में महारानी अहिल्याबाई जी की त्रिशताब्दी के अवसर पर तीन सौ वीं जयंती मनाने जा रहे हैं । महामंत्री संगठन धर्मपाल ने आगे कहा कि महारानी अहिल्याबाई होलकर भारतीय इतिहास की पहली ऐसी रानी थीं जिसे प्रजा देवी स्वरूप मानती थी हालांकि वे इसका प्रतिवाद करती थी। महारानी के ससुर प्रसिद्ध योद्धा मल्हार राव होलकर एक साधारण परिवार के थे लेकिन यह बचपन से ही योद्धा थे और शीघ्र ही ये मराठा टुकड़ी में सैनिक वन गये, पेशवा बाजीराव की सेना में भर्ती होकर अपनी अद्भुत वीरता से सब को आकर्षित कर लिया।

मल्हार राव खांडो जी के परम भक्त थे और इन्होंने‌ अपने पुत्र का नाम खंण्डे राव रखा । एक दिन मल्हार राव होलकर अहमदनगर जिले के जामखेड़े क्षेत्र के ग्राम चौड़ी पहुंचे। मराठा साम्राज्य में ग्राम इकाई के प्रमुख अधिकारी पटेल कहलाते थे और राज्य अधिकारी पटेल के यहां ही रुकते थे।  

मल्हार राव,  उस गाँव के पटैल मन्कोजी शिन्दे के यहाँ रुके तो उनकी पुत्री को देखकर चकित रह गये। गाम्भीर्य लिए आकर्षण चेहरा और सादगीपूर्ण रहन सहन ने इन्हें आकर्षित कर लिया। मन्कोजी शिंदे ने अपनी पुत्री की घर पर ही शिक्षा दीक्षा की व्यवस्था की थी और उस छोटी आयू में ही अहिल्या बाई ने कई ग्रन्थों का अध्ययन कर डाला था। उनकी भक्ति मैं अत्याधिक रुचि थी। मन्कोजी शिंदे तो एक मामूली पटैल थे लेकिन मल्हार राव ने जब उनकी पुत्री की शादी की बात की तो वे राजी हो गए। एक भव्य समारोह में खण्डेराव एवं अहिल्याबाई की शादी हो गई । महारानी वनते ही उन्होंने सारे भारत के हिन्दुओं के लिए तीर्थ स्थानों पर सड़क, धर्मशाला, यात्रियों को मुफ्त अन्न वितरण की व्यवस्था करती रहीं और इतने विशाल राज्य की देख रेख करतीं रहीं।

एक युद्ध में दुर्घटना में खंडेराव का बलिदान हो गया था और मात्र 29 वर्ष की अवस्था में महारानी अहिल्याबाई विधवा हो गई । उन्होंने सोचा कि अपने वीर और पिता समान ससुर एवं पुत्र माले राव के सहारे वे विशाल जिंदगी काट लेंगी लेकिन भाग्य की बिडम्बना ने इन्हें एक और आघात दिया । जब ये तैतालीस साल मात्र की थी तब इनके पुत्र मालेराव का देहांत हो गया ऐसे में इन्हें इनकी पुत्री मुक्ताबाई और दामाद यशवंतराव ने काफी आत्मिक सहारा दिया और फिर से सीधा सादा जीवन यापन करने में ही लगी थी की इन्हें अपने पुत्री के पुत्र यानी दोहित्र नत्थू की मृत्यु की सूचना मिली और चार-पांच साल में ही इनके दामाद यशवंत राव की मृत्यु  हो गई और पुत्री मुक्ताबाई सती हो गई। 

इसके पूर्व अपनी आयू के चालीसवें दशक में जब इनके ससुर मल्हार राव मराठी सेना के साथ उत्तर की ओर युद्ध हेतु प्रयाण कर रहे थे तो

20 मई 1766 को यह बीर इस धरती से प्रयाण कर गये। इनके सेनापतियों ने तुकोजीराव होलकर जो कि मल्हार राव होलकर का करीबी रिश्तेदार था को कुछ बनाने का आग्रह महारानी से किया। 

देवी अहिल्या बाई द्वारा तुकोजीराव होलकर को राज्य का संरक्षक बना कर मालेराव को गद्दी पर आसीन कर दिया गया पर राजकाज का अधिकतर भाग महारानी अहिल्याबाई ने अपने हाथों में ले लिया । सबसे बड़ा काम जो इन्होंने हिंदू समाज के लिए किया जिसके हम लोग आजीवन ऋणी रहेंगे । हमारी संताने भी इनके ऋण को कभी चुका नहीं पाएंगी वह यह है कि इन्होंने जितने हमारे धार्मिक क्षेत्र थे वहां तीर्थ यात्रियों की सुरक्षा के लिए व्यवस्था की। रुकने के लिए धर्मशालाएं बनवाईं और अन्नप्राशन क्षेत्र खोलें ताकि यात्रियों को मुफ्त भोजन मिल सके। उस युग में जबकि भोजन भी एक महत्वपूर्ण चीज हुआ करती थी फ्री भोजन करवाना बहुत बड़ी  बात होती थी।

इन्होंने काशी के विश्वनाथ मन्दिर का पुनरोद्धार कर पुनर्निर्माण कराया। अयोध्या, मथुरा, काशी आदि कई तीर्थों मे नदियों पर घाट बनवाये। 

सबसे बड़ी बात यह है कि वे इतनी प्रभावशाली थीं कि सारे भारत के राजा उन्हें देवी का दर्जा देते थे और वे जिस किसी भी राजा के राज्य के अन्दर धार्मिक क्षेत्र में कोई भी विकास कार्य या निर्माण करवाती थीं तो वह राजा उन्हें रोकता नहीं था । सबसे बड़ा निर्माण तो उन्होने काशी से लेकर कोलकाता तक सड़क का पुनर्निर्माण करा कर कराया था। यह सड़क कई राजाओं के राज्य से गुजरती थी इसी से देवी अहिल्या बाई के प्रभाव का आकलन किया जा सकता है। अधेड़ आयू होने पर वे भगवान शिव जी की प्रतिमा सदैव अपने साथ रखती थीं और घन्टों पूजा ध्यान में वक्त देती थीं। उनके द्वारा कराये गये निर्माण हिन्दू धर्म की चौकियों सद्रश लगते हैं। वे अपनी राजधानी इन्दोर से महेश्वर ले आयीं थीं और महेश्वर को उन्होंने बहुत सुसज्जित कर दिया था और खूब निर्माण कराया था। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को इस सब की जानकारी हो इसके लिए हम कृत संकल्पित हैं।

अन्त में जिला महामंत्री बब्बू राजा बुन्देला ने सभी का आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर जिला अध्यक्ष हरिश्चंद्र रावत, जिला प्रभारी पं सुरेश अवस्थी कानपुर, बुन्देलखण्ड क्षेत्र के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष डा अनिल यादव, श्रम सेवा राज्यमंत्री मनोहर लाल पंथ उर्फ मन्नू कोरी, सदर विधायक रामरतन कुशवाहा एड, जिला पंचायत अध्यक्ष कैलाश नारायण निरंजन, नगर पालिका अध्यक्ष प्रतिनिधि मुन्ना लाल जैन सैदपुर, कार्यक्रम संयोजक श्रीमती लक्ष्मी रावत, पूर्व जिला अध्यक्ष गण प्रदीप चौबे, जगदीश सिंह लोधी एड, हरीराम निरंजन, रमेश कुमार सिंह लोधी एड, राजकुमार जैन, बरिष्ठ नेता अशोक गोस्वामी, जिला महामंत्री बब्बू राजा बुन्देला, महेश श्रीवास्तव भैया, बलराम सिंह लोधी, बंशीधर श्रीवास, जिला कोषाध्यक्ष रामेश्वर प्रसाद सड़ैया, जिला उपाध्यक्ष आशीष रावत, बसंती लारिया, रतीराम निरंजन, धर्मेन्द्र पाठक, किरण सैन, बसंती लारिया, हरी सिंह बुंदेला, जिला मीडिया प्रभारी देवेन्द्र गुरु, जिला मंत्री निखिल तिवारी, गौरव चौधरी, रमेश कुशवाहा नझाई, रजनी अहिरवार, धर्मेश द्विवेदी, आर के विश्वकर्मा, डा राजकुमार जैन, पूर्व विधायक रमेश कुशवाहा, क्षेत्रीय पदाधिकारी गण गौरव गौतम, अजय पटैरिया, हरिओम निरंजन, डा दीपक चौबे, घासी राम सहरिया, मण्डल अध्यक्ष गण भगतसिंह राठौर, शेलेन्द्र प्रताप सिंह बुंदेला,आशु पंडा, रामस्वरूप निरंजन, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष प्रतिनिधि घनश्याम दास साहू, मोहन लाल रैकवार, रुचिका बुन्देला, हरीराम राजपूत एड, दिनेश गोस्वामी एड, पूर्व नगर अध्यक्ष मनीष अग्रवाल, अनुराग जैन शैलू, प्रभाकर शर्मा, मनीष जैन बामोर,

अनुपमा जैन, ध्रुव सिंह सिसौदिया, दीपक पाराशर, रुपेश साहू, सुनीता पंथ, अवतार सिंह लोधी, विजय सिंह कुंआतला, महावीर प्रसाद दीक्षित, कमलापति रिछारिया, संदीप  बुन्देला, अजय जैन साईकिल, मोर्चा अध्यक्ष गण नीतेश संज्ञा, नासिर मंसूरी, सुरेन्द्र प्रताप रजक, रामचरन सहरिया, सुरेश टोंटे, नीतेश संज्ञा, महावीर प्रसाद दीक्षित, शशिशेखर पांडेय, नासिर मंसूरी, सन्तोष कुमार कुशवाहा, जिला पंचायत सदस्य अमर विश्वकर्मा घुटारी, सुनीता झां, मनविंदर कौर, रानी जहां, हेमंत गोस्वामी, पार्वती खटीक, रामरती रैकवार, अनुज शर्मा, शिवम पाराशर, मोनू पश्तोर, अमन द्विवेदी, दीपक वैद्य, धर्मेन्द्र सिंह यादव प्रधान, गब्बर अहिरवार, प्रदीप खटीक, अरविंद सिंघई, संदीप चौबे, सुनील मिश्रा, शोमित समईया, विक्रांत रावत, अखण्ड प्रताप एड, भरतसिंह आदि उपस्थित रहे।

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