शामली

यमुना नदी के भीतर उत्तर प्रदेश की सीमा में बांध बनाने का आरोप, नई नगला निवासी ने सीएम योगी से की कार्रवाई की मांग

जनसुनवाई पोर्टल पर की शिकायत, कहा-हरियाणा सिंचाई विभाग कर रहा अतिक्रमण, बन सकती है बाढ़ जैसी स्थिति

नेशनल प्रेस टाइम्स। ब्यूरो 

चौसाना। क्षेत्र के गांव नई नगला जाटान निवासी महिपाल सिंह ने आरोप लगाया है कि हरियाणा सरकार का सिंचाई विभाग यमुना नदी के भीतर उत्तर प्रदेश की सीमा में अवैध रूप से बांध का निर्माण कर रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मामले में हस्तक्षेप कर कार्रवाई की मांग की है।

महिपाल सिंह ने मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर दी गई शिकायत में बताया कि खसरा संख्या 108, जो हरियाणा के करनाल जिले के गांव ढ़ाकवाला से सटा हुआ है, वहां वर्ष 1974 में सर्वे विभाग द्वारा पिलर लगाए गए थे। उन्होंने उदाहरण के तौर पर पिलर संख्या ठ443 का उल्लेख किया। शिकायत के अनुसार, हरियाणा सिंचाई विभाग ने पिलर से लगभग 600 फीट भीतर यमुना नदी के अंदर बांध बना दिया है और पत्थर डलवाए हैं, जिससे नदी के प्राकृतिक बहाव में बाधा उत्पन्न हो रही है। महिपाल सिंह ने कहा कि इस मामले की जानकारी पहले भी एसडीएम और सिंचाई विभाग को दी जा चुकी है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। आरोप है कि हरियाणा के अधिकारी बार-बार यूपी सीमा के भीतर प्रवेश कर निर्माण कर रहे हैं, जबकि यूपी प्रशासन की ओर से कोई संज्ञान नहीं लिया जा रहा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि समय रहते निर्माण कार्य नहीं रोका गया तो यमुना का बहाव उत्तर प्रदेश की ओर मुड़ सकता है, जिससे बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है और क्षेत्र में जान-माल का नुकसान हो सकता है। महिपाल सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि जिलाधिकारी शामली को निर्देश दिए जाएं कि वे मौके पर जाकर अवैध निर्माण रुकवाएं और सीमांकन की पुनः जांच कराएं।

43 साल पुराने कब्जे से मुक्त कराई गई 2.75 बीघा भूमि, ग्रामीणों ने ली राहत की सांस

बल्ला मजरा में राजस्व विभाग की कार्रवाई, अब रास्ता होगा पहले जैसा सुगम

नेशनल प्रेस टाइम्स। ब्यूरो 

चौसाना। 

क्षेत्र के गांव बल्ला मजरा में सोमवार को राजस्व विभाग की टीम ने सख्त कार्रवाई करते हुए करीब 43 वर्षों पुराने अवैध कब्जे को हटवाया। खसरा संख्या 483 में दर्ज 0.1830 हेक्टेयर (लगभग 2.75 बीघा) सार्वजनिक भूमि, जो राजस्व अभिलेखों में ‘रास्ता’ के तौर पर दर्ज है, को कब्जे से मुक्त करा लिया गया।

इस भूमि पर गांव के ही एक व्यक्ति द्वारा लंबे समय से अवैध कब्जा कर गन्ने की खेती की जा रही थी, साथ ही पोपलर के पेड़ भी लगाए गए थे। इतना ही नहीं, उक्त भूमि का एक हिस्सा ऊन शुगर मिल को गन्ना तोल कांटे के उपयोग हेतु किराए पर दिया गया था, जिससे उसे वर्षों से आर्थिक लाभ भी हो रहा था।

इस की शिकायत ग्राम निवासी अब्बास पुत्र गफ्फार खान ने तहसील समाधान दिवस ऊन में की थी। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए उपजिलाधिकारी ऊन निधि भारद्वाज ने कार्रवाई के निर्देश दिए। आदेशों के अनुपालन में हल्का लेखपाल लोकेश सैनी, कानूनगो विनोद कुमार और पुलिस टीम ने मौके पर पहुंचकर पैमाईश के बाद कब्जा हटवाया।

कानूनगो विनोद कुमार ने बताया कि पैमाईश में जो पेड़ जमीन पर पाए गए, वे सभी सरकारी भूमि में स्थित थे। उन्होंने कहा कि भूमि को पूर्ववत रास्ते के रूप में चिह्नित कर दिया गया है और अब ग्रामीणों को आवाजाही में सहूलियत मिलेगी।

कार्रवाई के दौरान किसी प्रकार का विरोध नहीं हुआ। प्रशासन ने पूरी संवैधानिक प्रक्रिया के तहत भूमि को खाली कराया और मौके पर मौजूद लोगों को जानकारी दी कि यह जमीन सार्वजनिक उपयोग की है।

ग्रामीणों ने प्रशासन की इस कार्रवाई की सराहना करते हुए राहत की सांस ली और कहा कि वर्षों से बंद पड़ा यह रास्ता अब उनके लिए फिर से खुल गया है। अब स्कूल जाने वाले बच्चों, किसानों और राहगीरों को काफी सुविधा होगी।

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