सिंगरौली

प्रदूषण, बेरोजगारी सड़क हादसे और लचर स्वास्थ्य व्यवस्था से चीखती सिंगरौली मे मनेगा महोत्सव

सिंगरौली महोत्सव बनाम ज़मीनी हकीकत, विस्थापन का दर्द, प्रदूषण का दंश और लचर स्वास्थ्य व्यवस्था

नेशनल प्रेस टाइम्स ब्यूरो।

 सिंगरौली। सिंगरौली, श्रृंगी ऋषि की तपोभूम में 24 मई को मनोरंजन के लिए करोड़ों रुपए खर्च होने वाले हैं इसके लिए माया नगरी से प्लेबैक सिंगरों को बुलाया गया है स्थानीय प्रशासन एवं जिले के जनप्रतिनिधि खूब इस महफ़िल का लुत्फ़ उठाएंगे, इधर सिंगरौली वासी जिले में प्रदूषण की स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है कि हवा में पूरी तरह से जहर घुल चुका है इस जिले का पानी पीने लायक नहीं रह गया है सड़कें चलने लायक नहीं है क्योंकि यहां कोयला और राखड़ लोड बड़े-बड़े माल वाहक वाहन काल बनाकर सड़कों पर दौड़ रहे हैं यह किसी भी समय किसी को रौंद देते हैं और बेरोजगारी की बात करें तो कंपनियों में मजदूरी का काम भी मिलना मुश्किल हो गया है शिक्षित बेरोजगार घूम रहे हैं कुल मिलाकर सिंगरौली इन सभी दर्दों की वजह से कराह रही है लेकिन जिला प्रशासन एवं जन प्रतिनिधि हर वर्ष की तरह इस बार भी सिंगरौली महोत्सव गौरव दिवस मनाएंगे अब समस्या यह नहीं है कि सिंगरौली का गौरव दिवस क्यों मनाया जा रहा है बल्कि समस्या तब खड़ी हो जाती है जब इस महोत्सव के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च होते हैं क्योंकि सिंगरौली जिले में पैसे के अभाव में अभी कई ऐसे महत्वपूर्ण कार्य अधर में पड़े हुए हैं जो सिंगरौली महोत्सव के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च करने की इजाजत नहीं देते। 

एक ओर जिला प्रशासन 24 से 27 मई 2025 तक आयोजित होने वाले सिंगरौली महोत्सव की तैयारियों में जोर-शोर से लगा हुआ है, स्थानीय कलाकारों के ऑडिशन हो रहे हैं और महोत्सव के सफल आयोजन के लिए औद्योगिक घरानों के साथ बैठकें की जा रही हैं, वहीं दूसरी ओर ज़मीनी हकीकत इस “ऊर्जाधानी” के नागरिकों के लिए काफी भयावह बनी हुई है। विस्थापन का दर्द, जानलेवा प्रदूषण, स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली और जर्जर सड़कें लोगों का जीवन दूभर बना रही हैं, जबकि जिले को हर साल जिला खनिज फाउंडेशन (DMF) और कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) के तहत करोड़ों रुपये मिलते हैं। सिंगरौली महोत्सव को लेकर उत्साह और तैयारी स्वाभाविक है, लेकिन जिले की ज्वलंत समस्याओं को देखते हुए यह सवाल उठना लाज़मी है कि क्या सिंगरौली वास्तव में उत्सव मनाने के लिए तैयार है?

विस्थापन: एक अंतहीन दास्तान

सिंगरौली क्षेत्र दशकों से बड़े औद्योगिक और खनन परियोजनाओं के कारण विस्थापन का दंश झेल रहा है। बांधों, पावर प्लांटों और खदानों के निर्माण ने हजारों लोगों को उनकी जमीन और आजीविका से बेदखल कर दिया है। यह समस्या आज भी जारी है, जहां नए खनन पट्टों के कारण और लोग विस्थापन के कगार पर हैं। प्रभावित लोगों का दर्द और भविष्य की चिंताएं उनके दैनिक जीवन का हिस्सा बन गई हैं।

प्रदूषण: नरक बनी ज़िंदगी

सिंगरौली को देश की “ऊर्जाधानी” कहा जाता है, लेकिन यह तमगा यहां के लोगों के लिए अभिशाप बन गया है। कोयले की धूल, राख और थर्मल पावर प्लांटों से निकलने वाले विषैले धुएं ने हवा और पानी को बुरी तरह प्रदूषित कर दिया है। प्रदूषण का स्तर अक्सर खतरनाक सीमा को पार कर जाता है, जिससे लोगों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं, विशेष रूप से सांस और त्वचा संबंधी बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। यह प्रदूषण केवल वर्तमान को ही नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को भी नरक बना रहा है।

स्वास्थ्य व्यवस्था: खुद बीमार

जिले में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल काफी चिंताजनक है। जहां एक ओर औद्योगिक प्रदूषण स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा रहा है, वहीं दूसरी ओर बेहतर इलाज के लिए पर्याप्त और सुसज्जित अस्पतालों और प्रशिक्षित चिकित्सा कर्मियों की भारी कमी है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी अक्सर संसाधनों के अभाव से जूझते हैं। लोगों को अक्सर सामान्य बीमारियों के इलाज के लिए भी शहरों का रुख करना पड़ता है, जो महंगा और दुर्गम होता है।

बुनियादी ढांचा: सड़कों का बुरा हाल और परिवहन के साधनों का अभाव

सिंगरौली जैसे महत्वपूर्ण औद्योगिक जिले में बेहतर सड़कों और परिवहन के समुचित साधनों का घोर अभाव है। प्रमुख सड़कों की हालत खराब है और अंदरूनी इलाकों में संपर्क सड़कें या तो हैं ही नहीं या जर्जर स्थिति में हैं। सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था अपर्याप्त है, जिससे लोगों को आने-जाने में भारी कठिनाई होती है, खासकर स्वास्थ्य आपातकाल के दौरान।

DMF और CSR फंड: कहां खर्च हो रहा है करोड़ों का रुपया?

सिंगरौली जिले को खनन गतिविधियों से होने वाले लाभ का एक हिस्सा DMF फंड के तौर पर मिलता है, जिसका उद्देश्य खनन प्रभावित क्षेत्रों और समुदायों के विकास और कल्याण पर खर्च करना होता है। इसके अलावा, यहां कार्यरत औद्योगिक इकाइयां CSR के तहत सामाजिक कार्यों पर खर्च करती हैं। हर साल इन दोनों मदों से करोड़ों रुपये प्राप्त होते हैं।

महोत्सव के नाम पर खर्च होंगे करोड़ों रुपए

24 मई से शुरू होने वाले सिंगरौली महोत्सव कार्यक्रम के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च होने वाले हैं यह राशि कहां से आएगी और कितनी राशि किस काम के लिए खर्च हो रही है यह जानकारी जिले के बहुत ही कम लोगों तक सीमित रहेगी सिंगरौली जिले वासियों को इस महत्वपूर्ण जानकारी से अवगत नहीं कराया जाएगा उन्हें सिर्फ दूर से दर्शक दीर्घा का हिस्सा बनाया जाएगा। 

इनका कहना है। 

सिंगरौली महोत्सव के अवसर पर जिले के लिए कोई बड़ी घोषणा होनी चाहिए गौरव दिवस तब माना जाएगा जब करोड़ों रुपए मनोरंजन के लिए खर्च न कर वही पैसा जिले के विकास के लिए खर्च हो तभी सिंगरौली वासियों का तभी भला होगा। 

ज्ञानेंद्र द्विवेदी जिलाध्यक्ष ( ग्रामीण कांग्रेस कमेटी, सिंगरौली )

पूरा जिला प्रदूषण विस्थापन और सड़क हादसे जैसी गंभीर समस्याओं से बेहाल है और सिंगरौली के जनप्रतिनिधि और प्रशासन द्वारा मनोरंजन के लिए करोड रुपए खर्च किये जा रहे हैं यह निश्चित रूप से सिंगरौली वासियों के साथ घोर अन्याय है वही पैसा सिंगरौली के विकास के लिए के लिए खर्च होना चाहिए।

कामरेड संजय नामदेव  ( भाकपा, सिंगरौली )

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