बधौरा बना अवैध कारोबार और नशे का गढ़

पुलिस के संरक्षण में फल-फूल रहा अंधाधुंध अवैध धंधा…?
नेशनल प्रेस टाइम्स,ब्यूरो ।
सिंगरौली जिले का बधौरा क्षेत्र इन दिनों अवैध कारोबार और नशे के नेटवर्क का अड्डा बनता जा रहा है। हालात ऐसे हैं कि यहां न तो प्रशासन की सख्ती दिख रही है, और न ही पुलिस की निगरानी। अवैध रेत खनन, नशीले पदार्थों की तस्करी और अवैध शराब की बिक्री जैसी गतिविधियाँ बधौरा चौकी क्षेत्र में खुलेआम चल रही हैं। जबकि पुलिस अधीक्षक मनीष खत्री लगातार जिलेभर में अवैध नशे के कारोबार के खिलाफ सख्ती के निर्देश दिए हैं, लेकिन बधौरा में इन निर्देशों का कोई असर नहीं दिखता। यहा रात ढलते ही शुरू होता है काला कारोबार
स्थानीय ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के अनुसार, जैसे ही रात होती है, ट्रैक्टरों की गड़गड़ाहट और संदिग्ध गतिविधियाँ बढ़ जाती हैं। अवैध रूप से रेत का परिवहन, शराब की तस्करी और नशे की वस्तुओं की आपूर्ति बेलगाम जारी रहती है। ग्रामीणों का दावा है कि यह सब कुछ क्षेत्र के कुछ प्रभावशाली लोगों और पुलिस के कथित कर्मचारियों की मिलीभगत से हो रहा है।
चौकी प्रभारी की भूमिका पर उठे सवाल…?
सूत्रो की अगर मानें तो बधौरा चौकी प्रभारी कभी-कभार दिखावे के लिए छोटी-मोटी जब्ती या चालान की कार्रवाई करते हैं, लेकिन असल नेटवर्क को छूने की कोशिश तक नहीं होती। ये कार्रवाई मात्र औपचारिकता बनकर रह गई हैं। लोग ऐसे में सवाल उठता है की अगर पुलिस वास्तव में कार्रवाई करना चाहती, तो अब तक इस गोरखधंधे का जड़ से सफाया क्यों नहीं हुआ?
किसके इशारे पर चल रहा है ये खेल…?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब पूरे क्षेत्र में ये गतिविधियाँ आम हैं, तो क्या प्रशासन और खुफिया तंत्र को इसकी जानकारी नहीं है? या फिर कोई ‘ऊपरी संरक्षण’ इस कारोबार को बचा रहा है? लोगों का कहना है कि राजनीतिक और स्थानीय प्रभावशाली चेहरों की शह के बिना यह धंधा इस स्तर तक नहीं पहुँच सकता।
प्रशासन की चुप्पी पर उठते सवाल…?
बधौरा क्षेत्र की स्थिति अब गंभीर होती जा रही है। नशे की जद में आ रहे युवाओं का भविष्य खतरे में है, और कानून व्यवस्था को खुली चुनौती दी जा रही है। अगर प्रशासन ने समय रहते सख्त और निष्पक्ष कार्रवाई नहीं की, तो आने वाले समय में यह पूरा इलाका अपराध का केंद्र बन सकता है।
क्या करेगा जिला प्रशासन…?
अब जनता की निगाहें जिला कलेक्टर और एसपी मनीष खत्री पर टिकी हैं। क्या वो इस नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए चौकी स्तर से ऊपर जाकर उच्च स्तरीय जांच कराएंगे? क्या वे उन अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई करेंगे, जिन पर संरक्षण देने के आरोप लग रहे हैं?
बधौरा क्षेत्र में अवैध कारोबार का यह फैलता जाल न केवल कानून व्यवस्था के लिए खतरा है, बल्कि जिले की सामाजिक-सांस्कृतिक संरचना को भी खोखला कर रहा है। अब समय आ गया है जब सिर्फ बयान नहीं, बल्कि ठोस और साहसिक कार्रवाई हो। नहीं तो बधौरा जैसे क्षेत्रों की चुप्पी, एक दिन पूरे जिले के लिए शोर बन सकती है।