जिले में ट्रांसफर नीति की उड़ रही धज्जियां, मठाधीश बन बैठे अधिकारी
नेशनल प्रेस टाइम्स,ब्यूरो।
बागपत। प्रदेश सरकार द्वारा हर वर्ष जारी की जाने वाली ट्रांसफर नीति का इस बार भी जनपद बागपत में कुछ अधिकारियों पर कोई असर नहीं दिख रहा। शासन ने 6 मई को स्पष्ट गाइडलाइन जारी की कि तीन साल से अधिक समय से एक ही जिले में तैनात अधिकारियों का अनिवार्य रूप से स्थानांतरण किया जाएगा, लेकिन बागपत में ऐसे आधा दर्जन से अधिक अधिकारी हैं, जो तीन नहीं, सात से सोलह साल तक से जमे हुए हैं।
जानकारी के अनुसार, कुछ अधिकारी तो स्टे लेकर या उच्चाधिकारियों से सांठगांठ कर, नियमों को धता बताते हुए अब तक जिले में डटे हुए हैं। हालात यह हैं कि कई अधिकारियों के पास एक साथ 4-5 मलाईदार विभागों का प्रभार है।
कौन हैं ये मठाधीश अधिकारी?
- डॉ. यशवीर (डिप्टी सीएमओ) — 16 साल से जिले में तैनात
- राहुल भाटी (जिला सूचना अधिकारी) — 9 साल से जमे
- तूलिका शर्मा (पिछड़ा वर्ग अधिकारी) — 8 साल से जिला नहीं छोड़ा, विभागीय लापरवाही पर प्रतिकूल प्रविष्टि और भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच तक चल रही है
- विवेक वर्मा (अपर बचत अधिकारी) — 8 साल से लगातार बागपत में
- विनीता सिंह (सहायक श्रमायुक्त) — स्थानांतरण आदेश के बावजूद हाईकोर्ट से स्टे लेकर जिला छोड़ने से इनकार
- अर्चना तिवारी (उपायुक्त उद्योग), बाल गोविंद सिंह (जिला कृषि अधिकारी) — तीन साल से अधिक तैनाती
सूत्र बताते हैं कि कुछ अधिकारियों द्वारा हर साल “प्रसाद” चढ़ाकर जिले में बने रहने की सांठगांठ की परंपरा बना ली गई है। ये अधिकारी इतने प्रभावशाली हो चुके हैं कि स्थानीय प्रशासन और शासन के नियम इनके आगे बौने नजर आते हैं।
जनता और शासन दोनों असहाय?
जिला प्रशासन और शासन को स्पष्ट रूप से जानकारी होते हुए भी अब तक कोई कठोर कार्रवाई नहीं की गई है। आम जनमानस में सवाल उठ रहे हैं कि क्या बागपत ट्रांसफर नीति से बाहर है या फिर कुछ अधिकारी नियमों से ऊपर हैं?
अब देखने वाली बात यह है कि प्रदेश सरकार अपनी घोषित ट्रांसफर नीति को लागू करने का साहस दिखाएगी या फिर यह मठाधीशी व्यवस्था ऐसे ही चलती रहेगी।