पूर्व विधायक को व्हीव्हीआईपी गेट से परमिशन नहीं, जिला प्रशासन मुर्दाबाद का लगा नारा

सिंगरौली महोत्सव में प्रशासन की ‘महामहिमा’, सांसद लड़खड़ाए, विधायक रोके गए, लेकिन ठेकेदार व बाबू VIP!
नेशनल प्रेस टाइम्स, ब्यूरो।
सिंगरौली । सिंगरौली महोत्सव की 17वीं सालगिरह इस बार सजीव नाटकीयता और भर्रेशाही के इतिहास में दर्ज हो गई। ऐसा लग रहा था मानो मंच पर रिहर्सल नहीं, बल्कि प्रशासन का वास्तविक ‘नाट्य महोत्सव’ चल रहा हो – जहां जनप्रतिनिधि किरदार मात्र थे और असली सूत्रधार थे – पुलिस और प्रोटोकॉल!
घटना क्रम का पहला अंक शुरू होता है जब सीधी सांसद डॉ. राजेश मिश्रा कार्यक्रम में प्रवेश करने का दुस्साहस करते हैं। जैसे ही माननीय गेट पर कदम रखते हैं, पुलिस ने झट से चैनल गेट खींच मारा – और सांसद जी संतुलन खोकर मुँह के बल गिरते-गिरते बचे। उनका गमछा ज़मीन पर गिरा, जिसे उन्होंने स्वेच्छा से उठाया और धूल झाड़ते हुए भीतर प्रवेश कर गए – पर धूल क्या केवल गमछे पर थी?
तीन बार के विधायक, मगर परमिशन नहीं!
इसी महोत्सव में तीन बार के पूर्व विधायक रामलल्लू बैस भी मुख्य द्वार से प्रवेश करना चाह रहे थे, मगर उन्हें वही सदाबहार संवाद सुनाया गया – “सर, आपकी परमिशन नहीं है।” समर्थकों में जैसे लावा फूट पड़ा – “जिला प्रशासन मुर्दाबाद” के नारे गूंजे। बैस जी वही व्यक्ति हैं जिनकी पहल पर 2008 में सिंगरौली को जिला घोषित किया गया, मगर अब वे स्वयं अपने बनवाए जिले में मेहमान भी नहीं।
VIP में कौन? ठेकेदार, बाबू और उनके बच्चे!
व्हीव्हीआईपी सेक्शन की हालत और भी अद्भुत रही। जहां शहर के वरिष्ठ साहित्यकार, बुद्धिजीवी, जनसेवक बाहर धूप में खड़े रहे, वहीं “व्हीव्हीआईपी” पंडाल में तृतीय-चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी, ठेकेदार और उनके बीबी-बच्चे आराम से सोफ़ों पर पंखे की हवा लेते रहे। कुछ रिटायर्ड कर्मचारी तो ऐसे विराजमान थे जैसे जिलापंचायत अध्यक्ष खुद उनका स्वागत करवा के लाए हों।
सवाल ये है…
अब सवाल उठता है — क्या पूर्व विधायक रामलल्लू बैस की हैसियत एक तृतीय श्रेणी कर्मचारी के बेटे से भी कम हो गई? क्या सांसद की गरिमा गेट पर गिरते ही धूल में मिल गई? और क्या अब जनप्रतिनिधियों से अधिक ज़रूरी हो गए हैं “पारिवारिक ठेकेदार”? सिंगरौली महोत्सव ने इस बार प्रशासन की ‘कलात्मक कल्पनाशीलता’ का ऐसा प्रदर्शन किया है कि व्यंग्यकारों को आने वाले वर्षों तक मसाला मिल गया है।
