सीपीआई(एम) ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा पर सत्ता की लालसा में और अधिक साम्प्रदायिक ओर आक्रामक होने का लगाया आरोप।

नेशनल प्रेस टाइम्स, ब्यूरो।
असम : असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व शर्मा 2026 के असम विधानसभा चुनाव से पहले सत्ता की लालसा में और अधिक आक्रामक हो गए हैं और इसी वजह से उन्होंने अपनी सांप्रदायिक राजनीति का असली चेहरा दिखा दिया है। सीपीआई(एम) की असम राज्य कमेटी ने चिंता जताते हुए इस संदर्भ में एक बयान जारी किया है। कल 28 मई को राज्य कैबिनेट के फैसले को प्रेस कॉन्फ्रेंस में समझाते हुए मुख्यमंत्री शर्मा ने घोषणा किया था कि बरपेटा, धुबरी, नगांव जैसे संवेदनशील इलाकों में, खासकर धार्मिक अल्पसंख्यकों के बहुल क्षेत्रों में ‘खिलंजिया’ लोगों को हथियारों के लाइसेंस दिए जाएंगे। उनका कहना है कि इन जिलों के ‘खिलंजिया’ लोग संदिग्ध बांग्लादेशी हमले के खतरे में हैं, इसलिए राज्य सरकार जल्द ही उनकी सुरक्षा के लिए उन्हें हथियारों का लाइसेंस देगी। इसी संदर्भ में सीपीआई(एम) ने अपने बयान में कहा है कि वास्तव में मुख्यमंत्री और असम सरकार की नजर में पूर्व बंगाल मूल के धार्मिक अल्पसंख्यक ही ‘संदिग्ध बांग्लादेशी’ हैं। कानूनी प्रक्रिया के बिना ही इन्हें अवैध और संदिग्ध नागरिक मानकर पुलिस और प्रशासन लगातार परेशान कर रहा है और उन पर अमानवीय अत्याचार हो रहे हैं। बयान में यह भी कहा गया है कि पिछले पांच दिनों में कई लोगों को अवैध नागरिक बताकर जबरन बांग्लादेश भेजा गया है, जिससे सीमा पर तनाव बढ़ गया है। असम सरकार का हाल ही में हुए कैबिनेट फैसला बेहद सांप्रदायिक और भारतीय संविधान के खिलाफ है। इससे राज्य में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण और हिंसा को बढ़ावा मिलेगा। चुनाव से पहले बीजेपी और सरकार सत्ता में बने रहने के लिए बेतुका व्यवहार कर रही है और कानून-व्यवस्था बनाए रखने में अपनी विफलता दिखा रही है। सीपीआई(एम) ने कहा कि सभी भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है। लेकिन सरकार अब ‘खिलंजिया’ की सुरक्षा के नाम पर कुछ लोगों को हथियार देकर राज्य में खून-खराबा और साम्प्रदायिक संघर्ष को बढ़ावा देना चाहती है। सीपीआई(एम) का आरोप है कि पुलिस राज स्थापित करने के बाद अब सरकार आम लोगों के हाथ में हथियार देकर राज्य को अराजकता की ओर धकेल रही है। इससे उग्रवादी और सांप्रदायिक ताकतें भी हथियार जुटा सकती हैं। इसीलिए सीपीआई(एम) असम राज्य कमेटी ने इस फैसले का तीव्र विरोध किया है और इसे तुरंत वापस लेने की मांग की है। सीपीआई(एम) ने असम की शांति, सद्भावना और एकता के लिए सभी लोगों से एकजुट होकर सरकार के इस आत्मघाती फैसले का विरोध करने की अपील किया है।