अन्य प्रांतों की भाँति प्रदेश में लीजहोल्ड औद्योगिक भूमि को फ्री होल्ड करने की प्रदेश के औद्योगिक संगठनों की सरकार से माँग।

इससे उद्योगों का विकास तथा सरकार को अतिरिक्त राजस्व की प्राप्ति होगी।
प्रदेश में ईज़ ऑफ डूइंग मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने हेतु आवश्यक।
उत्तर प्रदेश में एक हेक्टेयर या उससे बड़े औद्योगिक भूखंडों को फ्री होल्ड करने की नीति लागू है, जिसका प्रदेश के एमएसएमई को लाभ नहीं।
नेशनल प्रेस टाइम्स,ब्यूरो।
गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश के विकास एवं प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि की असीम संभावनायें हैं, जिसके लिए प्रदेश में उद्योगों का विकास तीव्र गति से होना आवश्यक है। इस विकास की गति में एक बाधक कारक प्रदेश के उद्योगों को सरकार द्वारा लीज पर दी गई भूमि है।
औद्योगिक भूमि के लीज होल्ड होने से उद्यमियों को अपने उद्योग में छोटे से छोटे कार्य के लिए यूपीसीडा का अथवा उद्योग निदेशालय से अनुमति लेने के लिए चक्कर लगाने पड़ते हैं जिसके कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैंः-
यदि उद्यमी को अपने उद्योग में कोई नया उत्पाद बनाना है।
बैंक लिमिट में बदलाव करना है या बैंक बदलना है।
अपने उद्योग को Blood Relation में हस्तांतरित करना हो।
उद्योग की भूमि एवं भवन किराये पर देने हों अथवा भूमि का अमल्गमेशन या सेपरेशन करना हो।
इस प्रक्रिया में कई बार उद्यमी भ्रष्टाचार का भी शिकार बन जाते है। इसके अतिरिक्त इन अनुमतियों को जारी करने की प्रक्रिया में यूपीसीडा अथवा उद्योग निदेशालय के कर्मचारियों एवं अधिकारियों का भी बहुमूल्य समय नष्ट होता है।
उपरोक्त समस्याओं के समाधान हेतु इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन एवं प्रदेश के अन्य औद्योगिक संगठन (A-20) लंबे समय से प्रदेश सरकार से मांग कर रहे हैं कि प्रदेश में लीज होल्ड औद्योगिक भूमि को फ्री होल्ड इस शर्त के साथ कर दिया जाए कि इसका भू-उपयोग केवल औद्योगिक ही रहे व अन्य किसी प्रयोजन के लिए उपयोग न हो, जब तक सरकार का इस संबंध में कोई अन्य आदेश जारी ना हो तथा जो इकाइयाँ एक निश्चित समय से उत्पादन में हैं, उनको ही फ्री होल्ड किया जाए।
उल्लेखनीय है कि देश के अन्य राज्यों जैसे- हरियाणा, दिल्ली, पश्चिम-बंगाल, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और तमिलनाडु में लीज होल्ड भूमि को फ्री होल्ड में बदलने की पालिसी लागू है।
यह भी उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विकास विभाग द्वारा विभिन्न कम्पनियों हेतु अधिग्रहित की गयी भूमि को फ्री होल्ड किये जाने सम्बन्धी नीति वर्ष 2016 में जारी कर दी गयी है, जो एक हेक्टेयर अथवा उससे अधिक क्षेत्रफल में कार्यरत इकाइयों के लिए लागू है, जिससे सूक्ष्म और लघु उद्योग इस सुविधा से वंचित हैं।
लीज होल्ड भूमि आवंटन का कानून, अंग्रेजी शासन के समय से चला आ रहा है, जब अंग्रेजों का देश के निवासियों पर विश्वास नहीं था। आज़ादी के अमृत काल में केंद्र एवं प्रदेश सरकारों द्वारा गुलामी के प्रत्येक अंश से मुक्ति पाने का प्रण लिया है। अतः आज इस लीज होल्ड भूमि के कानून को बदलने की नितांत आवश्यकता है।
इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के साथ अन्य औद्योगिक संगठनों (A-20) का मानना है कि लीज होल्ड औद्योगिक भूमि को फ्री होल्ड करने से निम्नलिखित लाभ होंगेः-
प्रशासनिक परेशानियाँ कम होने से उद्यमियों के समय की बचत होगी, जिससे प्रदेश में औद्योगिक विकास तीव्र होगा।
प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद और राजस्व में वृद्धि होगी, जिससे सरकार का 1 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था का लक्ष्य भी शीघ्र पूरा होगा।
फ्री होल्ड भूमि पर नए औद्योगिक निवेश के अवसर पैदा होंगे, जो सरकार की भी प्राथमिकता है।
नए रोजगार सृजित होंगे, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार ढूँढने बाहर नहीं जाना पड़ेगा।
लीज होल्ड भूमि को फ्री होल्ड करने पर जो राजस्व सरकार को मिलेगी, उससे सरकार नये औद्योगिक क्षेत्र सृजित कर सकेगी।
UPSIDA एवं उद्योग निदेशालय में कर्मचारी एवं अधिकारी अपना समय औद्योगिक विकास की अन्य गतिविधियों में लगा सकेंगे जिससे औद्योगीकरण बढेगा।
उत्तर प्रदेश की रैंकिंग “Ease of Doing Business” के साथ-साथ “Ease DoingManufacturing” में भी बढ़ेगी, जिससे लीज होल्ड के कारण “Tease of Doing Business” समाप्त होगी।
यह भी उल्लेखनीय है की औद्योगिक भूमि जब लीज होल्ड पर सरकार द्वारा उद्यमी को दी जाती है, तो उस समय का ज़मीन का पूरा मूल्य, डेवलपमेंट चार्जेस एवं प्रीमियम उद्यमी से लिया जाता है। इस प्रकार जब सभी कॉस्ट उद्यमी द्वारा दी जा चुकी है और सरकार की मंशा के अनुसार उद्योग स्थापित कर चलाया जा रहा है, तो उद्यमी को किरायेदारी से मालिकाना हक दिया जाना न्यायसंगत होगा।
प्रेस वार्ता के इस अवसर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज सिंघल, सीईसी सदस्य मनोज कुमार, चैप्टर चेयरमैन संजय अग्रवाल, सचिव हर्ष अग्रवाल, कोषाध्यक्ष संजय गर्ग सहित विभिन्न पदाधिकारी प्रदीप गुप्ता, अमित नागलिया, यश जुनेजा, साकेत अग्रवाल तथा गाजियाबाद इण्डस्ट्रीज फेडरेशन के अध्यक्ष अरूण शर्मा, एआईएमए के अध्यक्ष सुशील अरोड़ा, एआईएमएमए के अध्यक्ष ब्रिजेश अग्रवाल, एएससीएमए के अध्यक्ष सत्यभूषण गुप्ता उपस्थित रहे।