भारत सरकार ने ब्राजीली नागरिक को पद्मश्री पुरस्कार क्यों दिया ?

कौन हैं ब्राजीली वेदांत जोनास मसेट्टी ?
नेशनल प्रेस टाइम्स,ब्यूरो।
नई दिल्ली। गत 28 मई को भारत के राष्ट्रपति द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान देने वाले लोगों को सम्मानित किया। जिसमें एक ऐसा नाम था जिसने सभी को चौंकाने वाला था। वह थे ब्राजील नागरिक जोनास मसेट्टी!
जिन्हें विश्वनाथ के नाम से भी जाना जाता है, एक ब्राज़ीलियाई वेदांत आचार्य हैं जिन्हें भारतीय संस्कृति और वेदांत दर्शन के प्रचार-प्रसार के लिए 2025 में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया। उनका जीवन एक इंजीनियर से आध्यात्मिक गुरु तक की प्रेरक यात्रा का प्रतीक है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा :
जन्म और पृष्ठभूमि: जोनास मसेट्टी का जन्म ब्राज़ील के रियो डी जनेरियो में हुआ था।
शिक्षा: उन्होंने मिलिट्री इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग (IME) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की।
करियर: उन्होंने ब्राज़ीलियाई सेना में पांच वर्ष तक सेवा दी और बाद में स्टॉक मार्केट में स्ट्रैटेजिक कंसल्टेंट के रूप में काम किया। हालांकि, भौतिक सफलता के बावजूद, उन्हें जीवन में आध्यात्मिक खालीपन महसूस हुआ।
आध्यात्मिक यात्रा :
वेदांत की ओर आकर्षण: 2003 में जोनास ने योग और वेदांत की ओर रुख किया। इस खोज ने उन्हें भारत लाया, जहां उन्होंने कोयंबटूर के अर्ष विद्या गुरुकुलम में स्वामी दयानंद सरस्वती के मार्गदर्शन में चार साल तक वेदांत, भगवद् गीता, संस्कृत और वैदिक परंपराओं का अध्ययन किया।
गुरु परंपरा: वे पहले ग्लोरिया एरिएरा और फिर स्वामी दयानंद सरस्वती के शिष्य बने।
विश्व विद्या गुरुकुलम स्थापना : 2014 में जोनास ब्राज़ील लौटे और पेट्रोपोलिस में विश्व विद्या गुरुकुलम की स्थापना की।
कार्य : इस संस्था के माध्यम से वे वेदांत, भगवद् गीता, योग, संस्कृत और रामायण की शिक्षा देते हैं। उनकी शिक्षाएं सरल और गहरी हैं, जो पश्चिमी दर्शकों के लिए भारतीय दर्शन को समझने में सहायक हैं।
प्रभाव: उनके मिशन ने अब तक 1.5 लाख से अधिक विद्यार्थियों को प्रभावित किया है, जो ब्राज़ील और अन्य लैटिन अमेरिकी देशों में फैले हैं।
जीवन शैली और दर्शन :
सादगी: जोनास नंगे पैर रहते हैं, गले में रुद्राक्ष की माला और सूती परिधान पहनते हैं, जो उनकी सादगी और भारतीय संस्कृति के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
दर्शन: वे मानते हैं कि वेदांत केवल धर्म नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया है कि वे भारतीय संस्कृति और योग को अपनाएं, क्योंकि यह जीवन का असली मकसद बताता है।
सम्मान और मान्यता
पद्म श्री: 28 मई, 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें नई दिल्ली में पद्म श्री से सम्मानित किया। इस दौरान उनकी सादगी और भारतीय परिधान ने सबका ध्यान आकर्षित किया।
प्रधानमंत्री की प्रशंसा: पीएम नरेंद्र मोदी ने 2020 में “मन की बात” में जोनास को भारत का सांस्कृतिक राजदूत करार दिया और उनकी तारीफ की।
वैश्विक प्रभाव: जोनास ने आधुनिक तकनीक का उपयोग कर वैदिक ज्ञान को वैश्विक मंच पर पहुंचाया, जिससे सनातन धर्म की पहुंच ब्राज़ील जैसे देशों तक बढ़ी।
व्यक्तिगत विचार
जोनास का कहना है कि यह सम्मान उनके लिए नहीं, बल्कि पूरी वैदिक परंपरा के लिए है। वे इसे युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति की ओर आकर्षित करने का माध्यम मानते हैं। उनकी कहानी सच्चाई की खोज और सांस्कृतिक सीमाओं को पार करने की प्रेरणा देती है।