सरकारी तंत्र के चक्रव्यूह में फँसी वृद्ध महिला ने कलेक्टर से लगाई न्याय की गुहार

नेशनल प्रेस टाइम्स, ब्यूरो।
सिंगरौली । सिंगरौली जिला की प्रशासनिक व्यवस्था की हकीकत एक बार फिर सामने आई है, जहाँ आम जनता अपनी न्याय की गुहार के लिए दर-दर भटक रही है। इसी कड़ी में एक मार्मिक मामला सामने आया है, जिसमें एक वृद्ध महिला न्याय की आस में लगभग 100 किलोमीटर की दूरी तय कर जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंची। यह मामला सिंगरौली जिले के सरई थाना क्षेत्र के अंतर्गत का है जहां वृद्ध महिला का आरोप है कि तहसील और बैंक के बीच उलझे हुए तंत्र ने उसकी फरियाद को कभी गंभीरता से नहीं लिया। महिला ने बताया कि उसके बेटे को एक सर्फ दुर्घटना हुई थी जिसके कारण उसे “सर्पदंश सहायता योजना” या अन्य आपदा राहत राशि मिलनी थी। लेकिन महीनों से वह बैंक और तहसील के चक्कर काटती आ रही है।
न कोई सुनवाई, न समाधान सिस्टम बना मूक दर्शक
महिला का कहना है कि जब वह बैंक गई तो उसे तहसील भेज दिया गया, और जब तहसील पहुंची तो वहां से फिर बैंक भेजा गया। इस तरह लगातार कई महीनों से वह सरकारी तंत्र के इस चक्रव्यूह में फँसी हुई है। जिम्मेदार अधिकारियों की संवेदनहीनता इस बात से झलकती है कि इतनी उम्रदराज महिला को महीनों तक सिर्फ आश्वासन दिया गया, समाधान नहीं।
इस पूरे घटनाक्रम में न तो स्थानीय जनप्रतिनिधि ने ध्यान दिया, और न ही तहसील या बैंक स्तर पर कोई संज्ञान लिया गया। मजबूरन वृद्ध महिला अपने पुत्र के साथ जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंची और अपनी व्यथा सुनाते हुए न्याय की गुहार लगाई।
मानवता पर सवाल, प्रशासन पर आरोप ?
सवाल यह उठता है कि जब वृद्धजन और पीड़ित नागरिकों की बात तहसील या बैंक स्तर पर नहीं सुनी जाती, तो वो कहाँ जाएं? क्या उन्हें हर बार कलेक्टर कार्यालय की चौखट चूमनी होगी? एक ओर सरकारें योजनाओं और जनकल्याण की बात करती हैं, वहीं जमीनी हकीकत यह दर्शा रही है कि व्यवस्था सिर्फ कागज़ों पर सजी-संवरी है, आमजन को उसका लाभ मिलना एक सपना जैसा लगता है।
क्या कहता है प्रशासन?
फिलहाल, जिला प्रशासन द्वारा मामले को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। परंतु जिस तरह यह वृद्ध महिला लगभग 100 किलोमीटर की दूरी तय कर न्याय की आशा लेकर पहुंची, वह अपने आप में इस बात का प्रमाण है कि सिंगरौली जिले की व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है।