सरकारी दफ्तरों में अवैध वसूली पर एंटी करप्शन का शिकंजा,ज़िले में रिश्वत से रंगे अधिकारियो के हाथ

नेशनल प्रेस टाइम्स, ब्यूरो।
गाज़ियाबाद / मोदीनगर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त निर्देशों के बावजूद नोएडा, गाजियाबाद और मोदीनगर जैसे क्षेत्रों में सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार की जड़ें और गहरी होती जा रही हैं। आम नागरिकों से मामूली कामों के बदले अवैध वसूली की जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक, अधिकांश सरकारी विभागों में छोटे- छोटे कार्यों के लिए भी रिश्वत मांगी जा रही है। विभागीय अधिकारी एवं कर्मचारी संविदा कर्मियों के माध्यम से सुविधा शुल्क की मांग कर रहे हैं। विरोध करने वालों के काम जानबूझकर लटकाए जाते हैं और बार-बार अधिकारियों के चक्कर काटने के बावजूद सुनवाई नहीं होती।
हाल ही में मोदीनगर तहसील में एक बड़ी कार्रवाई सामने आई, जब एंटी करप्शन टीम ने तहसील मोदीनगर में तैनात लेखपाल सरित कुमार को एक लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा था। इसके चंद दिनों बाद ही वहीं दुसरी कार्रवाई में जीडीए का एक सुपरवाइजर दो लाख की रिश्वत लेते समय रंगे हाथों पकड़ा गया जबकि जेई मौके से फरार होने में कामयाब हो गया। रिश्वतखोरी के मामले में फंसे सुपरवाइजर को गिरफ्तार कर लिया गया है,
हालांकि, जीडीए के वीसी ने गिरफ्तारी के बाद सुपरवाइजर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है और जेई के खिलाफ भी कार्रवाई के आदेश जारी किए हैं। इसके बावजूद सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं।
बिजली विभाग में भी स्थिति चिंताजनक है। जानकारी के अनुसार, विभागीय अधिकारी संविदा कर्मियों के माध्यम से आम नागरिकों से भारी भरकम अवैध वसूली करवा रहे हैं। जिन लोगों ने इस मनमानी का विरोध किया, उनके काम लटकाए जा रहे हैं।
अब गंभीर सवाल यह उठता है कि जब एंटी करप्शन विभाग नागरिकों की शिकायत पर त्वरित कार्रवाई कर भ्रष्ट अधिकारियों को गिरफ्तार कर सकता है, तो फिर संबंधित विभागों के मुखिया अपने ही अधीनस्थ कर्मचारियों पर कठोर कार्रवाई करने में क्यों नाकाम हैं?
एंटी करप्शन विभाग की सतर्कता से यह तो साफ है कि भ्रष्टाचार में लिप्त और भी भ्रष्ट अधिकारी जल्द ही शिकंजे में आएंगे। लेकिन, जब तक विभागों के शीर्ष अधिकारी स्वयं सख्त कदम नहीं उठाते, तब तक ये कार्रवाइयाँ सिर्फ अस्थायी समाधान ही साबित होंगी।