मुरादाबाद

मुरादाबाद जहां इतिहास की गूंज और पीतल की चमक साथ चलती है

 नेशनल प्रेस टाइम्स, ब्यूरो
मुरादाबाद । उत्तर प्रदेश का ऐतिहासिक शहर मुरादाबाद, जिसे दुनियाभर में ‘पीतल नगरी’ के नाम से जाना जाता है, आज अपनी बेजोड़ कारीगरी और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के दम पर अंतरराष्ट्रीय पहचान बना चुका है। मुगल इतिहास से जुड़ा यह शहर न केवल धार्मिक और सामाजिक समरसता का प्रतीक है, बल्कि भारत के सबसे बड़े पीतल निर्यात केंद्र के रूप में भी अपनी खास पहचान रखता है
चौपला नामक चार गांवों का समूह था
शहर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की बात करें तो इसका नामकरण मुगल सम्राट शाहजहां के पुत्र मुराद बख्श के नाम पर हुआ। इतिहासकारों के अनुसार मुरादाबाद कभी चौपला नामक चार गांवों का समूह था जिसे 1624 में रुस्तम खान ने जीतकर रुस्तमनगर नाम दिया। बाद में शाहजहां के आदेश पर मुराद बख्श ने इस पर अधिकार किया और इसका नाम ‘मुरादनगर’ रखा जो कालांतर में ‘मुरादाबाद’ बन गया।
मूर्तियों की वैश्विक मांग लगातार बढ़ रही
आज मुरादाबाद की पहचान उसकी विश्वविख्यात पीतल कला के कारण है। यहां के कारीगरों द्वारा बनाए जाने वाले पीतल के बर्तन, आभूषण, मूर्तियां और सजावटी सामान अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देशों में निर्यात किए जाते हैं। खासतौर पर हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों की वैश्विक मांग लगातार बढ़ रही है।
देश का भी नाम रोशन किया
शहर की एक और अनूठी विशेषता इसकी सांप्रदायिक सौहार्द है। यहां हिंदू और मुस्लिम समुदायों की संख्या लगभग बराबर है, और दोनों समुदाय मिलकर न सिर्फ सामाजिक समरसता का उदाहरण पेश करते हैं, बल्कि पीतल उद्योग को भी समान रूप से आगे बढ़ा रहे हैं। मुरादाबाद अब केवल एक ऐतिहासिक शहर नहीं रह गया है, बल्कि यह भारतीय हस्तशिल्प की आधुनिक राजधानी के रूप में उभर चुका है। यहां के शिल्पकारों की रचनात्मकता और मेहनत ने न सिर्फ शहर, बल्कि देश का भी नाम रोशन किया है।
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