बागपत

“विकास नहीं, परिवर्तन की शुरूआत है यह” – सांसद डॉ. राजकुमार सांगवान के पहले वर्ष की उपलब्धियों पर एक दृष्टि

बागपत। राजनीति में कई नेता आते हैं, पर कुछ ही ऐसे होते हैं जो अपने पहले वर्ष में जनता के दिलों में विश्वास और उम्मीद की लौ जगा देते हैं। बागपत लोकसभा से निर्वाचित सांसद डॉ. राजकुमार सांगवान ने अपने पहले कार्यकाल के मात्र एक वर्ष में यह सिद्ध कर दिया है कि जब संकल्प साफ हो और दृष्टि दूरदर्शी, तो परिवर्तन असंभव नहीं होता।
 जनता से जुड़ाव, योजनाओं से बदलाव
डॉ. सांगवान ने सांसद बनते ही ‘जनता दरबार नहीं, जन संवाद’ का मंत्र अपनाया। वे खुद गाँव-गाँव पहुँचे, चौपालों में बैठे, किसानों, युवाओं, महिलाओं से संवाद किया। समस्याएं सुनीं, उसी वक्त समाधान के आदेश दिए। यह शैली उन्हें परंपरागत नेताओं से अलग बनाती है।
 सड़कें नहीं, संबंध बने हैं – बुनियादी ढाँचे में ऐतिहासिक निवेश
बड़ौत-बिनौली, बागपत-रटौल और रमाला-पिलाना मार्गों का चौड़ीकरण, दर्जनों ग्रामीण सड़कों का नवीनीकरण, और नई इंटरलॉकिंग गलियों का निर्माण सांसद निधि और केंद्रीय योजनाओं के माध्यम से संभव हुआ। पहली बार क्षेत्रवासियों ने देखा कि योजना कागज़ पर नहीं, ज़मीन पर उतर रही है।
 स्वास्थ्य: केवल इलाज नहीं, सुविधा और सम्मान
बड़ौत व बागपत के सीएचसी में ऑक्सीजन प्लांट, सोनोग्राफी यूनिट और डिजिटल एक्स-रे जैसी सुविधाएं सांसद निधि के सहयोग से शुरू की गईं। ग्रामीण स्वास्थ्य शिविरों में हजारों लोगों ने लाभ उठाया।
“गांव की मां-बेटियों को दिल्ली नहीं दौड़ना पड़े, यही मेरा सपना है”, डॉ. सांगवान कहते हैं।
 शिक्षा और युवा: किताबें, करियर और कौशल
सरकारी विद्यालयों में डिजिटल कक्षाएं, लाइब्रेरी और शौचालय निर्माण की पहल ने स्कूलों का चेहरा बदला है। साथ ही, कैरियर गाइडेंस सेमिनार, स्पोर्ट्स मीट और कौशल विकास कार्यशालाएं युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम हैं।
 रेलवे और परिवहन: मांग से मंजूरी तक
बड़ौत रेलवे स्टेशन पर एस्केलेटर, वेटिंग रूम और डिजिटल बोर्ड लगाए गए हैं। दिल्ली-शामली रेलमार्ग के दोहरीकरण, बागपत-गाजियाबाद सीधी बस सेवा और बड़ौत को दिल्ली मेट्रो से जोड़ने के प्रस्ताव पर गंभीरता से काम हो रहा है।
 किसानों की बात, किसानों के साथ
नहरों की सफाई, सूखे पड़े ट्यूबवेलों की मरम्मत, और फसल बीमा के लंबित क्लेम के निपटारे जैसे कामों में सांसद ने व्यक्तिगत दखल देकर तेजी लाई। गन्ना किसानों के बकाया भुगतान को लेकर भी चीनी मिलों से सीधा संवाद किया गया।
 एक वर्ष, एक विश्वास – और एक विज़न
डॉ. सांगवान मानते हैं कि सांसद होना सिर्फ एक पद नहीं, बल्कि एक जनपक्षीय आंदोलन है। उनका यह पहला वर्ष न सिर्फ काम का रहा, बल्कि जन भरोसे की नींव भी रहा।
“मैं विकास नहीं, विश्वास गढ़ रहा हूँ। और यह शुरुआत है, अंत नहीं।” – यह कहते हुए वे अगले चार वर्षों की विकास यात्रा के लिए प्रतिबद्ध नजर आते हैं।
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