रक्तदान की प्रेरक कहानी

नेशनल प्रेस टाइम्स,ब्यूरो।
सीकर : रक्तदाता की यह कहानी एक ऐसे रक्तदाता की है जिसने अब तक अपने जीवन में 30 बार एसडीपी और 17 बार रक्तदान कर अब तक अपने जीवन में 47 बार रक्तदान कर चुके हैं सुनील घोराणा ने देश में आई विषम परिस्थिति कोरोना काल में जब लोगों को घर से बाहर निकलने में भी डर लगता था ऐसी विपरीत परिस्थितियों में भी एक महीने में पांच बार एसडीपी डोनेट कर लोगों का जीवन बचाने का काम किया था घोराणा ने अपने जीवन में प्रथम बार 2010 मैं अपने दोस्त की बहन के ऑपरेशन में रक्त की जरूरत पड़ने पर अपने जीवन का पहला रक्तदान किया था इसके बाद निरंतर रक्तदान के जरिए लोगों की सेवा करने की भावना सुनील के मन में लगातार आती रही और लाइव डोनर की जरूरत पड़ने पर सुनील घोराणा और उनकी टीम के सदस्य तुरंत लोगों की मदद करने के लिए रक्तदान करने के पहुंच जाते हैं घोराणा रक्तदान के क्षेत्र में काम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर भी सम्मानित हो चुके हैं सुनील वर्तमान में फुले ब्रिगेड के जिलाअध्यक्ष का दायित्व निभाते हुए समाजसेवा के अनुकरणीय कार्य कर रहे हैं उनकी टीम के द्वारा 1 साल में तीन से चार ऐतिहासिक रक्तदान शिविर कराए जाते हैं जिनमें हजारों युवा रक्तदान कर रक्त ब्लड बैंकों में रक्त की आपूर्ति करते हैं