विश्व में सबसे प्राचीन है सनातन धर्म : आनंद पुरुषार्थी

मेहरमा (गोड्डा): प्रखंड अंतर्गत चपरी गांव में आयोजित चार दिवसीय सामवेद पारायण ज्ञान यज्ञ के दौरान विचार अंतरराष्ट्रीय वैदिक प्रवक्ता पूज्य आचार्य आनंद पुरुषार्थी ने कहा कि जितने भी संप्रदाय, मत-मतांतर वर्तमान में प्रचलित हैं वास्तव में वे सभी करीब चार हजार वर्ष के अंदर ही हुए हैं। इसके पूर्व सृष्टि के प्रारंभ से ईश्वर द्वारा प्रतिपादित सत्य सनातन वैदिक धर्म ही रहा है। उन्होंने कहा कि मध्यकाल में जब भारत परतंत्रता की बेड़ियों में बंधा तो अनेक विधर्मियों ने हमारे धर्मग्रंथों में मिलावट वेदभाष्य को प्रदूषित किया। भोले-भाले हिंदू विभिन्न प्रकार के अंधविश्वास और रुढ़ियों में फंसते चले गये। धर्म के नाम पर हमें अधर्म पढ़ाया गया, तब गुजरात के टंकारा में बहुप्रतिभा संपन्न बचचे का जन्म हुआ। बाद में युवावस्था में गृह बंधनों से विरत रहकर पूरे देश का भ्रमण किया, तत्कालीन परिस्थिति देखकर आर्य समाज की स्थापना की, आर्यों को नारा दिया कि वेदों की ओर लौटी। देश को गुलामी से मुक्ति के लिए नरम व गरम दल दोनों में आयें समाज के अनुयायियों ने अभूतपूर्व योगदान दिया। इस कारण न केवल देश आजाद हुआ, वेदों का पुनरुद्धार हो सका। इतिहासकारों के हवाले से उन्होंने कहा कि जेलों में बंद 80 फीसदी से ज्यादा कैदी आर्य समाजी थे। आर्य समाज के कारण तात्कालीन भटकती हिंदू जाति को मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। इस कारण शताधिक गुरुकुल खुले, हजारों लाखों बच्चे वेदों के विद्वान बने, माता बहनों को यज्ञ करने का अधिकार मिला। शुद्र भाइयों को यज्ञवेदी में बैठकर आहुति देने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। अनाथालय खुले, अनाथ बच्चों को सहारा मिला। 16 संस्कारों की परंपरा प्रारंभ हुई, गोशालाएं बनी। गौ माता पर जो सदियों से अत्याचार होता था अब बंद हुआ, शुद्ध त्रैतवाद की स्थापना हुई।
पूरे भारत में समाज सुधार के जितने काम थे आर्य समाज ने क्रमश: सभी में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जो स्कूल नहीं जा सकती थी उन बेटियों के लिये स्कूल व गुरुकुल खोले, आर्य समाज मंदिरों की स्थापना की गयी। पथरगामा मूल के अभी दिल्ली में गुरुकुल गौतम नगर के निवासी प्रख्यात आचार्य प्रियव्रत शास्त्री व ऋया आर्या की ओर से कई भजन प्रस्तुत किये गये। इसके पूर्व आचार्य आनंद पुरुषार्थ द्वारा आर्य समाज मंदिर पचरी में वैदिक हवन यज्ञ कराया गया, इस अवसर पर राजमान के रूप में सुबोध कुमार आर्य और उनकी पत्नी के अलावा पुरोहित विद्यानिधि आर्य, धीरज कुमार आर्य, राजकुमार आर्य, पत्रकार अनिल आनंद, प्रभाष साह, नकुल साह सहित अन्य उपस्थित थे।