मुरादाबाद

जिला उद्यान अधिकारी के खिलाफ विकास भवन पर किसानों ने किया प्रदर्शन

मुरादाबाद के किसानों ने बुधवार को विकास भवन परिसर में जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी किसानों का आरोप था कि जिला उद्यान अधिकारी (डी.एच.ओ.) की ओर से न तो योजनाओं का लाभ सही तरीके से दिया जा रहा है।

नेशनल प्रेस टाइम्स ब्यूरो,

मुरादाबाद । किसानों ने बुधवार को विकास भवन परिसर में जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी किसानों का आरोप था कि जिला उद्यान अधिकारी (डी.एच.ओ.) की ओर से न तो योजनाओं का लाभ सही तरीके से दिया जा रहा है, और न ही पारदर्शिता बरती जा रही है। किसानों ने कहा कि कई बार शिकायत करने के बावजूद उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ है।

प्रदर्शन के दौरान किसानों ने नारेबाजी करते हुए डी.एच.ओ. को हटाने की मांग की। उनका कहना था कि अधिकारी की कार्यशैली से क्षेत्र के किसान परेशान हैं और उन्हें योजनाओं का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है।

लहसुन का बीज गया बाजार में, किसान देखते रह गए

सरकार की योजना थी कि किसानों को अक्टूबर-नवंबर में सब्सिडी पर लहसुन का बीज दिया जाएगा, लेकिन विभाग ने यह बीज मुरादाबाद के किसानों को देने के बजाय बाहर के जनपदों में ऊँचे दाम पर बेच दिया। उस समय लहसुन की कीमत आसमान छू रही थी, और यह बीज बाजार में बेशकीमती बन गया था। जिन किसानों के नाम पर बीज वितरण दिखाया गया, उन्हें तो यह तक नहीं पता कि उनके नाम पर कुछ आया भी था।

कागज़ों में बंटी स्कीमें, असल में सब सन्नाटा

ड्रिप सिंचाई, ट्रैक्टर, मधुमक्खी पालन, पावर ट्रेलर और पैक हाउस जैसी तमाम योजनाएँ बस कागज़ों पर चलाई जा रही हैं। किसानों को इन योजनाओं की न तो जानकारी दी गई, न ही कोई प्रचार-प्रसार किया गया। अमर उजाला, दैनिक जागरण, हिंदुस्तान जैसे अखबारों में एक विज्ञापन तक नहीं छापा गया, जिससे किसान जागरूक हो सकें।

हरे-भरे पेड़ों की अवैध कटाई का आरोप

इसके अलावा, जिले में आम सहित अन्य हरे-भरे पेड़ों की अवैध कटाई का मामला भी प्रकाश में आया है। जानकारी के अनुसार, बिना जिलाधिकारी की अनुमति के पेड़ों को मोटी रकम लेकर कटवाया गया है, जिसमें कई विभागों की संलिप्तता की आशंका जताई जा रही है।

जांच की माँग, दोषियों पर कार्रवाई की दरकिनार 

अब किसान संगठनों ने मांग की है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए। इसके लिए एक स्वतंत्र जांच कमेटी बनाई जाए, जिसमें दूसरे विभाग के अधिकारी और किसान संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हों। दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो ताकि भविष्य में कोई और किसान ठगा न जाए।

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