पंजाबी समाज की एकता और अधिकारों के लिए बैठक आयोजित

नेशनल प्रेस टाइम्स,ब्यूरो।
अलवर। पंजाबी समाज की एकता और अधिकारों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से पुरुषार्थी धर्मशाला, स्कीम 2, अलवर में एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में समाज के प्रबुद्धजनों ने भाग लिया और आगामी जातिगत जनगणना में पंजाबी समाज के प्रत्येक सदस्य को जाति में “खत्री” और भाषा में “पंजाबी” लिखने के प्रति जागरूक करने पर विशेष चर्चा की।
बैठक में वक्ताओं ने कहा कि “खत्री” एक मान्यता प्राप्त जाति है, जिसे राजस्थान सहित देश के अधिकांश राज्यों में सामान्य वर्ग के रूप में दर्ज किया गया है जबकि “अरोड़ा,” “कपूर,” “सेठी,” “चोपड़ा” जैसी उपजातियाँ सरकारी सूची में स्वतंत्र पहचान के रूप में शामिल नहीं हैं।
वक्ताओं ने स्पष्ट किया कि यदि जनगणना में अलग-अलग उपनाम लिखे जाते हैं, तो पंजाबी समाज की वास्तविक संख्या बिखर जाती है, जिससे सामूहिक पहचान कमजोर होती है और सरकारी नीतियों में प्रतिनिधित्व भी कमज़ोर पड़ता है।
भाषा के संदर्भ में “पंजाबी” लिखने पर भी जोर दिया गया।
वक्ताओं ने बताया कि पंजाबी हमारी मूल भाषा है, लेकिन जनगणना में यदि इसे “हिंदी”, “राजस्थानी” या कोई अन्य भाषा लिखा जाता है, तो सरकारी रिकॉर्ड में पंजाबी समाज की संख्या कम दिखाई देती है। इससे शिक्षा, संस्कृति, प्रशासनिक योजनाओं और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में हमारी भागीदारी सीमित हो जाती है।
यदि सभी पंजाबी समाज के लोग एकजुट होकर “पंजाबी” भाषा दर्ज करेंगे, तो न केवल हमारी सांस्कृतिक पहचान मजबूत होगी, बल्कि अधिकारों के लिए आवाज भी बुलंद होगी।
बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि इस संदेश को समाज के हर घर तक पहुंचाया जाएगा, ताकि जनगणना में पंजाबी समाज की सही संख्या दर्ज हो और राजनीतिक एवं सामाजिक स्तर पर मजबूत पहचान स्थापित हो सके।
अंत में, समाज के प्रबुद्धजनों ने सामाजिक एकता को बल देने के लिए संगठित होने का आह्वान किया और इस अभियान को एक जन आंदोलन के रूप में आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई।