
नेशनल प्रेस टाइम्स,ब्यूरो।
ललितपुर : श्री गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के तत्वाधान में आज तीसरे गुरु गुरु अमर दास जी महाराज का प्रकाश पर्व गुरुद्वारा साहिब लक्ष्मीपुरा में उत्सहा व श्रद्धा भावना के साथ मनाया गया इस अवसर पर श्री साप्ताहिक पाठ साहिब जी की समाप्ति व लंगर का आयोजन संतोष कालरा वरुण कालरा परिवार की ओर से हुआ व सहज पाठ की सेवा सुरजीत सिंह खालसा परिवार की ओर से हुई बरेली से पधारे रागी गुरविंदर सिंह लवजीत सिंह के जत्थे ने गुरबाणी कीर्तन व कथा द्वारा संगत को निहाल किया इस अवसर पर गुरु सिंह सभा के अध्यक्ष ओंकार सिंह सलूजा ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि गुरु अमरदास जी का जन्म मई 1479 को बसारके गाँव में हुआ था।
उनके पिता का नाम तेज भान भल्ला और माता का नाम भक्त कौर था। उनका विवाह मंसा देवी से हुआ और उनके चार बच्चे थे: मोहरी, मोहन, दानी, और भानी।
वह एक दुकानदार थे और अमृतसर के पास बसर्के नामक गाँव में रहते थे। गुरु अंगद देव जी द्वारा सिख धर्म के दूसरे गुरु नियुक्त किए जाने के बाद, गुरु अमरदास ने उनसे दीक्षा ली और एक समर्पित सिख बन गए उन्होंने सिख धर्म में सामाजिक सुधारों को प्रोत्साहित किया, जैसे कि अंतर्जातीय विवाह और विधवाओं को पुनर्विवाह की अनुमति देना।
उन्होंने सती प्रथा का विरोध किया और अपने अनुयायियों को इससे दूर रहने का आदेश दिया।
गुरु अमरदास जी ने लंगर की परंपरा को और मजबूत किया, जो सिख धर्म की एक महत्वपूर्ण विशेषता है। वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरविंदर सिंह सलूजा ने कहा कि उन्होंने “आनंद साहिब” नामक भजन का लेखन किया, जो सिखों की एक प्रमुख बाणी है।
गुरु अमरदास जी ने मंजी और पीढ़ी नामक धार्मिक संस्थानों की शुरुआत की, जो सिख धर्म की संगठित प्रणाली का आधार बने।
उन्होंने महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया, और उन्होंने अपने अनुयायियों को धार्मिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए भी कहा।
गुरु अमरदास जी ने गुरु नानक देव जी और गुरु अंगद देव जी की शिक्षाओं को लोगों तक पहुंचाने का काम किया।
उन्होंने सिखों और हिंदुओं को जज़िया कर से छूट दिलाने के लिए मुगल बादशाह अकबर से संपर्क किया।गुरु अमरदास जी ने सिख धर्म को एक संगठित और प्रभावी धर्म बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उन्होंने सिख धर्म की शिक्षाओं को व्यापक रूप से प्रचारित किया और इसे एक मजबूत धार्मिक और सामाजिक आंदोलन बनाया।
गुरु अमरदास जी ने सामाजिक सुधारों को प्रोत्साहित किया और सिख धर्म को एक समावेशी धर्म बनाया।
उन्होंने सिख धर्म को एक शक्तिशाली और महत्वपूर्ण धर्म बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस अवसर पर गुरु सिंह सभा के अध्यक्ष ओंकार सिंह सलूजा ,वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरविंदर सिंह सलूजा, कोषाध्यक्ष परमजीत सिंह छतवाल, राजू सिंधी, गोपी डोंडवानी ,गुरमुख सिंह, चरणजीत सिंह ,जगजीत सिंह ,दलजीत सिंह, अरविंदर सिंह सागरी ,जसपाल सिंह पप्पू ,अवतार सिंह ,सतनाम सिंह भाटिया ,वरुण कालरा ,आनंद सिंह ,गौरव सिंह ,कुलजीत सिंह, अशोक कपूर ,देवेंद्र कालरा, दलजीत सिंह ,कमल कालरा, हरजीत सिंह ,गुणवीर सिंह ,आदि उपस्थित थे संचालन महामंत्री सुरजीत सिंह सलूजा ने किया