अलवर

अलवर में बने नए ज़माने के नए शिक्षक; 4 ग्रामीण स्कूलों में टीवी व कंप्यूटर की सुविधा 

अलवर ग्रामीण स्कूलों में विधिवध रूप से नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए राज्य सरकार ने नींव टीचर फ़ेलोशिप को अलवर व जयपुर में मई 2024 से पाइलट प्रोग्राम शुरू करने की अनुमति दी थी । इस फ़ेलोशिप का आगमन अलवर में मई 2024 में 19 शिक्षकों के साथ व जयपुर में जून 2024 में 11 शिक्षकों के साथ किया गया। ये सभी शिक्षक ग्रामीण स्कूलों में प्राथमिक कक्षाओं को पढ़ते हैं व पिछले 3 साल में नियुक्त किए गए हैं । नींव फ़ेलोशिप अलवर की समाज सेवी संस्था रेशम देवी नानक चंद मित्तल फ़ाउंडेशन की शाखा अश्वत्थ लर्निंग कम्यूनिटीज़ द्वारा संचालित करी जा रही है। 

आज शिक्षकों के एक साल पूरा करने पर उनके लिए होटल स्वरूप विलास में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया जहाँ अलवर के 8 शिक्षकों को सम्मानित किया गया । इस अवसर पर सभी शिक्षकों ने विस्तार से नींव में अपने सफ़र पर चार्ट, वीडियो व पीपीटी के माध्यम से बेहतरीन प्रस्तुतियाँ दीं। इन प्रस्तुतियों से स्पष्ट था कि नींव कार्यक्रम में जुड़ने से शिक्षकों व बच्चों दोनों का आत्मविश्वास बढ़ा है और अब सरकारी टीचर्स अपने स्कूल को प्राइवेट स्कूल से कम नहीं आंक रहे हैं ।प्रस्तुतियों में शिक्षकों ने कार्यक्रम में उपस्थतित विभागीय अधिकारियों व अलवर शहर के भामाशाहों के समक्ष अपने स्कूल और छात्रों की ज़रूरतों की व्याख्या भी करी। इन ज़रूरतों में मूलभूत सुविधाएँ जैसे की पीने का पानी, शौचालय, बच्चों की बैठने की व्यवस्था के लिए फर्नीचर के साथ साथ ग्रामीण बच्चों को 21वीं सदी के लिए सशक्त बनाने हेतु पुस्तकालय, स्मार्ट क्लास, प्रिंटर व कंप्यूटर के सुझाव भी रखे। 

कार्यक्रम में अलवर शहर के भामाशाह श्री प्रमोद गुप्ता, श्री मन्तोष जैन, श्री दौलत हज़राती, श्रीमती नीलू जैन, श्रीमती शुचि गुप्ता व आरडीएनसी मित्तल फाउंडेशन के मुख्य ट्रस्टी डॉ एस सी मित्तल, डॉ महेश चंद जैन, अलका मित्तल व मुक्ता मित्तल ने भाग लेकर शिक्षकों का उत्साह वर्धन किया। साथ ही फर्नीचर, पीने के पानी व प्रिंटर आदि की व्यवस्था करवाने के लिए वादा किया। कार्यक्रम में रामगढ़ ब्लॉक के एसीबीओ श्री रमेश गांधी जी, आरपी राधे श्याम जी व जितेंद्र मोदी जी भी उपस्थित थे। उन्होंने शिक्षकों व फाउंडेशन का धन्यवाद देते हुए अपने पूर्ण सहयोग का वादा किया। 

कार्यक्रम की संयोजक आरुषि मित्तल ने नींव फैलोशिप की जानकारी दी और बताया कि अभी तक नींव में रामगढ़ व लक्ष्मणगढ़ (अलवर) और आमेर व जामवा रामगढ़ (जयपुर) के 40 शिक्षक भाग ले चुके हैं जिनमें से अगस्त 2024 में आमेर ब्लॉक के 4 विद्यालयों में टीवी, टेबलेट व स्मार्ट टीवी दिए गए हैं । इन स्कूलों में बच्चों की नियमितता व उनके सीखने के मापदंड दोनों में सुधार देखा गया है । इस सुधार का मुख्य कारण हैं नींव फ़ेलोज़ – जो कि अश्वत्थ के साथ जुड़कर कई अधिक प्रभावी और प्रेरित शिक्षक बन रहे हैं । जुलाई में इन टेक्नोलॉजी उपकरणों की सुविधा 9 विद्यालयों में और उपलब्ध कराई जाएगी जिनमें से 4 अलवर ज़िले में हैं । उन्होंने ये भी बताया कि ये उपकरण सिर्फ़ उन विद्यालयों में लगाए जा रहे हैं जहां के शिक्षक क्लास में बच्चों के सीखने के स्तर और व्यवहार में अपनी मेहनत व लगन से बदलाव लेकर आ पा रहे हैं।

इस प्रोग्राम की रूप रेखा ख़ासकर नए व युवा शिक्षकों का इक्स्पोज़र, मार्गदर्शन और सहयोग करने के लिए बनायी गयी है जिससे इन शिक्षकों की नींव मज़बूत हो और आगे जाकर वो बच्चों की नींव मज़बूत करें । इस प्रोग्राम में नए शिक्षकों में SMART कौशल (सब्जेक्ट एक्स्पर्ट, मैनज्मेंट ओफ़ क्लैस्रूम, ऐक्टिविटी एंड लेसॉन प्लानिंग, रेलेशन्शिप बिल्डिंग व टेक्नॉलजी एंड इंग्लिश) का निर्माण करने के लिए ट्रेनिंग के साथ साथ व्यक्तिगत फ़ीड्बैक व संसाधन भी दिए जाते हैं । नींव फ़ेलोज़ हर दिन लेसॉन प्लान करके, हर बच्चे की संज्ञानात्मक, मानसिक व भावनात्मक ज़रूरतों का ख़याल रखते हुए क्लास में पढ़ाते हैं। ये २१वीं सदी के शिक्षक छोटे बच्चों की नियमितता व पढ़ाई में रुचि बढ़ाने के लिए सुंदर टीचिंग ऐड का प्रयोग करते हैं व ज़रूरत पड़ने पर बच्चों के घर जाकर उनके अभिभावकों से मिल समस्याओं का समाधान निकालते हैं । 

आरुषि ने ये भी बताया कि अधिकतर सरकारी विद्यालय में टेक्नोलॉजी उपकरणों की देख रेख व उपयोग काफ़ी कम रहता है क्योंकि इसके लिए शिक्षकों को प्रेरित, प्रशिक्षित नहीं किया जाता और पर्याप्त संसाधन भी नहीं दिए जाते। नींव की चयन प्रक्रिया व दो वर्षीय प्रशिक्षण प्रोग्राम के तहत इन परेशानियों का समाधान किया जा रहा है। अश्वत्थ संस्था का मानना है की टेक्नोलॉजी उपकरणों से इन पिछड़े इलाक़े के ग्रामीण स्कूल में बच्चों की डिजिटल स्किल्स व २१वीं सदी के कौशल जैसे की क्रिएटिविटी और कोलैबोरेशन का निर्माण होगा। साथ ही स्कूल का नामांकन व बच्चों की नियमितता बढ़ेगी, सब्जेक्ट में रुचि व सीखने के प्रतिफलों में सुधार होगा और एक ही पीरियड में कई क्लासों को पढ़ाने में प्राइमरी शिक्षकों को ख़ासा मदद मिलेगी। नींव से जुड़े जिन शिक्षकों के क्लासरूम अधिगम में पर्याप्त बदलाव नहीं हुआ है, उनको एक और मौक़ा दिया जाएगा जिससे इन उपकरणों का सही उपयोग करने के लिए वह पूर्णतः तैयार हो सकें।

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