‘साँस’ योजना से बागपत के नवजातों को मिलेगी नई जिंदगी

सुरेंद्र मलानिया
बागपत। जन्म के कुछ ही क्षणों में जब नवजात अपने पहले सांस के लिए संघर्ष करता है, तब उसका जीवन मात्र कुछ सेकंड्स की सावधानी और देखभाल पर निर्भर करता है। बागपत जिले में अब ऐसी अनमोल जिंदगियों को बचाने की उम्मीदें और मजबूत हो गई हैं। यहां ‘साँस’ (SAANS – The First Breath) कार्यक्रम की शुरुआत हो चुकी है, जिसका उद्देश्य है – हर नवजात को सुरक्षित पहली साँस दिलाना।
इस जनकल्याणकारी योजना का आगाज़ जिलाधिकारी अस्मिता लाल के निर्देशन में किया गया, जिसे लिटिल फीट संस्था के संस्थापक और प्रसिद्ध बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अभिनव तोमर ने तकनीकी मार्गदर्शन और प्रशिक्षण के माध्यम से आकार दिया।
जब साँसें रुक जाती हैं तो एक प्रशिक्षित हाथ जीवन दे सकता है: डॉ. अभिनव तोमर
कार्यक्रम के दौरान आयोजित विशेष कार्यशाला में डॉ. अभिनव तोमर ने कहा –
“हर बार जब कोई बच्चा जन्म लेता है, तो वह इस दुनिया में साँसों के साथ आता है। लेकिन कई बार, वह पहली साँस नहीं ले पाता। ऐसे में यदि स्वास्थ्यकर्मी प्रशिक्षित हों, तो वह एक पल में उस जीवन को वापस लौटा सकते हैं। मैंने कई बार देखा है कि एक प्रशिक्षित हाथ कैसे मौत को मात देता है। यही ‘साँस’ कार्यक्रम की आत्मा है।”
उन्होंने बताया कि नवजात शिशु के जन्म के तुरंत बाद का समय उसके जीवन का सबसे नाजुक दौर होता है। अगर सही समय पर नवजात पुनर्जीवन तकनीकों (Newborn Resuscitation Techniques) का उपयोग कर लिया जाए, तो कई मौतें टाली जा सकती हैं।
उन्होंने लेबर रूम में साफ-सफाई, तापमान नियंत्रण, तत्काल ब्रीदिंग सपोर्ट, और सही उपकरणों के इस्तेमाल पर विशेष बल दिया। प्रशिक्षण सत्र के दौरान उन्होंने प्रतिभागियों को प्रैक्टिकल डेमो भी दिए जिससे वे इन तकनीकों को बेहतर ढंग से समझ सकें।
एकजुटता में शक्ति: WHO, यूनिसेफ और स्थानीय तंत्र का सहयोग
कार्यक्रम में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), यूनिसेफ, लिटिल फीट फाउंडेशन, और स्वास्थ्य विभाग की टीमें एकजुट होकर उपस्थित रहीं। इन संगठनों का यह सामूहिक प्रयास बागपत को नवजात देखभाल के क्षेत्र में एक मॉडल जिला बना सकता है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. तीरथ लाल, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एस. मलिक, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. दीपा सिंह, डॉ. कशिश, डॉ. रजनी सहित जिले के तमाम वरिष्ठ चिकित्सकों और अधिकारियों ने इस पहल की सराहना की।
जिलाधिकारी अस्मिता लाल की संवेदनशील पहल
जिलाधिकारी अस्मिता लाल ने कहा –
“जब कोई माँ अपने बच्चे को जन्म देती है, तो उसकी आँखों में केवल एक ही ख्वाहिश होती है – उसका बच्चा जीवित रहे, स्वस्थ रहे। ‘साँस’ योजना उसी माँ की उम्मीद का जवाब है। हम सुनिश्चित करेंगे कि हर अस्पताल, हर डिलीवरी प्वाइंट पर प्रशिक्षित स्टाफ और आवश्यक संसाधन मौजूद रहें।”
उन्होंने स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश दिए कि यह योजना केवल जिला अस्पताल तक सीमित न रह जाए, बल्कि ब्लॉक स्तर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और उपकेंद्रों तक इसका विस्तार हो।
इस पहल के तहत स्वास्थ्य विभाग जल्द ही जिले के सभी निजी व सरकारी अस्पतालों के डिलीवरी स्टाफ के लिए क्रमिक प्रशिक्षण सत्र आयोजित करेगा। साथ ही नवजात देखभाल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए मॉनिटरिंग सेल और फॉलोअप सिस्टम भी सक्रिय किए जाएंगे।
एक जीवन, एक साँस, एक उम्मीद
डॉ. अभिनव तोमर ने कार्यशाला का समापन एक भावुक अपील के साथ किया:
“हर बार जब हम किसी नवजात को उसकी पहली साँस लेते हुए देखते हैं, तो वह सिर्फ एक मेडिकल उपलब्धि नहीं होती – वह एक माँ के जीवन की सबसे बड़ी खुशी होती है। ‘साँस’ कार्यक्रम से अगर हम एक भी नवजात की जान बचा सकें, तो हमारा हर प्रयास सफल है।”
‘साँस’ योजना एक सरकारी कार्यक्रम से बढ़कर, एक मानवीय जिम्मेदारी है – एक ऐसा अभियान जो माँ के आँचल में मुस्कराती नई जिंदगी को सुरक्षित रखने का वादा करता है। बागपत की धरती पर इस नेक शुरुआत से अब हजारों नवजातों को मिलेगा एक नया जीवन और नई उम्मीद।