अखिल भारतीय साहित्य परिषद,बहराइच की ओर से काव्य एवं विचार गोष्ठी आयोजित की गयी।
एनपीटी उत्तर प्रदेश ब्यूरो
बहराइच। देश आजाद तो हुआ किन्तु सांस्कृतिक परतंत्रता ने हमें अभी तक मुक्त नहीं किया है। पाश्चात्य जीवन शैली पर आधारित प्रारंभिक शिक्षा ने हमारी विगत और वर्तमान दोनों पीढ़ियों को उनके उत्कृष्ट विरासत से दूर कर दिया है। आज परिवार टूट चुके हैं। माँ-बाप अपने छोटे से बच्चे को किसी बेबीसिटर संस्था में छोड़ कर चले जाते हैं। बच्चा माँ माँ चिल्लाता है। वही बच्चा जब बड़ा हो जाता है तब वह भी अपने मां-बाप को वृद्धा आश्रम में छोड़कर चल देता है। हमारी परंपरा कुटुंब की रही है, एकल परिवार की नहीं। इस विषय के प्रति जन-जागरण हेतु आज अखिल भारतीय साहित्य परिषद, बहराइच के तत्वावधान में एक काव्य व विचारगोष्ठी राम जानकी मंदिर, छावनी बाजार बहराइच में आयोजित हुई।
सभा ने बांग्लादेश में हिन्दू उत्पीड़न का विरोध प्रदर्शन किया।”परिवार की आवश्यकता” विषय पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद् की कहानी प्रतियोगिता में योगदान हेतु छात्रों एवं साहित्यकारों को प्रोत्साहित किया गया।जनपद के प्रसिद्ध कवि राम संवारे द्विवेदी ‘चातक’ द्वारा रचित पन्द्रहवाँ खण्डकाव्य “त्रिशंकु लोक” का विमोचन किया गया। जनपद के गौरव राधा कृष्ण शुक्ल ‘पथिक’, परिषद् के अध्यक्ष राधाकृष्ण पाठक, गुलाब चन्द्र जायसवाल, नरेंद्र कुमार मिश्र, महामंत्री रमेश चन्द्र तिवारी, गयाप्रसाद मिश्र ‘मधुकर’, श्रवण कुमार द्विवेदी, अयोध्या प्रसाद शर्मा ‘नवीन’,राजकिशोर पांडेय ‘राही’,रामसूरत वर्मा”जलज’, मनोज शर्मा, लखनऊ से कमल नारायण अग्रवाल, राजेश ‘आत्मज्ञानी’, शिव कुमार अग्रवाल, विमलेश जायसवाल ‘विमल’, आर. पंडित ‘मशरिक़ी’, विद्याविलास पाठक, विनोद कुमार पांडेय ‘विनोद’, राकेश रस्तोगी ‘विवेकी’, छोटे लाल गुप्त, सुनील सिंह, ओम प्रकाश यादव ‘बहराइची’, बुद्धि सागर पांडेय, राम कुमार शर्मा, धनञ्जय शर्मा, राम गोपाल चौधरी, रॉकी श्रीवास्तव, साधू श्रीवास्तव, आदित्य शर्मा, आदि कवि, समाज सेवक, विचारक सहित श्रोता प्रेमियों ने इस कार्यक्रम में काव्य पाठ अथवा वक्तव्य से सहयोग प्रदान किया ।