जातीय जनगणना पर भाजपा – कांग्रेस पर विजय शंकर नायक का आरोप

एनपीटी,
रांची, आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केन्द्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने भाजपा – कांग्रेस के द्वारा सरना धर्म कोड पर आदिवासी समाज को भ्रमित कर वोट की राजनिति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा – कांग्रेस सरना धर्म कोड को लेकर घड़ियाली आंसू बहा रही हैं। जब सत्ता में थे, तब आदिवासियों के अधिकारों को कुचला, और अब वोट के लिए सिर्फ नौटंकी कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि सरना धर्म कोड पर कांग्रेस और भाजपा सिर्फ पाखंड करने का कार्य कर रही है । सरना धर्म कोड के मुद्दे पर कांग्रेस और भाजपा की ढोंग भरी राजनीति की आदिवास मूलवासी जनाधिकार मंच कड़े शब्दों में निंदा करती हैं। कहा दोनों दल आदिवासी समुदाय की धार्मिक पहचान को लेकर केवल वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं। नायक ने आगे कहा कि कांग्रेस ने 2014 में यूपीए सरकार के दौरान सरना धर्म कोड को खारिज कर आदिवासियों की धार्मिक पहचान को नजर अंदाज किया था। अब झारखण्ड में सत्ता की सहयोगी होने के बावजूद, वह केवल आन्दोलन का दिखावा कर रही है। कहा सांसद सुखदेव भगत एवं बन्धु तिर्की की उछल कुद तथा हालिया बयान, जिसमें उन्होंने केन्द्र पर आरोप लगाए, मात्र राजनीतिक नौटंकी है, क्योंकि कांग्रेस ने स्वयं केन्द्र में रहते हुए इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि भाजपा-कांग्रेस सरना धर्म कोड पर समर्थन दिखाना एवं आन्दोलन करने का नाटक सिर्फ घड़ियाली आंसू भर हैं। जब सत्ता में थे, तब आदिवासियों के अधिकारों को कुचला, और अब वोट के लिए नाटक कर रहे हैं। नायक ने यह भी कहा की भाजपा भी इस मुद्दे पर दोहरा चरित्र दिखा रही है। 2020 में झारखंड विधानसभा द्वारा सरना धर्म कोड के लिए प्रस्ताव पारित होने के बावजूद, केन्द्र में भाजपा सरकार ने इसे लागू नहीं किया। उन्होंने कहा कि असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने हाल ही में वादा किया कि भाजपा सत्ता में आने पर सरना धर्म कोड लागू करेगी, लेकिन यह केवल चुनावी जुमला है। भाजपा ने 2011 की जनगणना में सरना को धर्म के रूप में शामिल नहीं किया, जिससे लाखों आदिवासियों को अपनी पहचान खोनी पड़ी। कहा “भाजपा का सरना धर्म कोड का वादा खोखला है और केन्द्र में तीसरी दफा सत्ता में होने के बावजूद, आदिवासियों की धार्मिक पहचान को मान्यता देने में नाकाम रही। और तो और उन्होने जनगणना कालम से अन्य के कालम को भी हटाकर जबरदस्ती आदिवासी समाज को हिन्दू बनाने का षडयंत्र रचा जो आदिवासी समाज के साथ सरासर धोखा था। नायक ने आगे कहा कि हम मांग करते हैं कि दोनों दलो के राष्ट्रीय अध्यक्षो से कि आदिवासी समुदाय के साथ राजनीतिक पाखंड बंद करे और सरना धर्म कोड को तत्काल लागू कराने की दिशा मे सकरात्मक एंव ठोस पहल करे। यह आदिवासियों का मौलिक अधिकार है, जिसे जनगणना में शामिल कर उनकी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को संरक्षित किया जाए।