जनमानस की आवाज दबाने और अधिवक्ताओं को कमजोर करने के लिये यह बिल लाया जा रहा है

एनपीटी हापुड़ ब्यूरो
हापुड़। समाजवादी पार्टी के पूर्व जिला प्रवक्ता अनिल आजाद एडवोकेट ने अधिवक्ता संशोधन बिल खारिज करने की मांग को लेकर राष्ट्रपति को पत्र लिखा।
वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल आजाद ने पत्र लिखकर बताया कि भारत सरकार लगातार सविधान की मूल भवनाओं और जनमानस के अधिकारों को दबाने के लिये कार्य कर रही है। अधिवक्ताओं को कमजोर करने के लिये विधि मंत्रालय भारत सरकार द्वारा अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 लाया जा रहा है जिसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जाएगा। अधिवक्ता ही सरकार के गलत कार्यों का विरोध करते हुए जनमानस की आवाज को सड़को से उच्चतम न्यायालय तक उठता है। तथा जनमानस को न्याय दिलाता है। यही बात वर्तमान सरकार के चाटुकारों को नागवार गुजर रही है। जनमानस की आवाज को दबाने के लिये अधिवक्ताओं को कमजोर करने के लिये यह बिल लाया जा रहा है। जिसकी अधिवक्ता समाज निन्दा करता है। अधिवक्ता भारत का एक मजबूत स्तम्भ होने के साथ न्याय व्यवस्था की मजबूत कड़ी है। अधिवक्ता आम जनमानस के अधिकारों की रक्षा के लिये ही तानाशाहो से नोकझोंक करता है और हडताल कर कोर्ट का बहिष्कार करता है। ओर संविधान द्वारा प्रदत अधिवक्ताओं की आजादी के अधिकार के तहत करता है जिसे सरकार संशोधन बिल की आड़ में छीनना चाहती है जिसे तत्काल रोककर सरकार को आदेश दिया जाए कि वह अधिवक्ता हित में अधिवक्ताओं के प्रोटेक्शन मेडिकल इंश्योरेंस अधिवक्ता की मृत्यु उपरांत उनके परिवार को आर्थिक सहायता दिलाने के लिए कार्य करे सरकार के दमनकारी प्रस्तावित संशोधन बिल के विरोध में हापुड़ के अधिवक्ता न्यायिक कार्य से विरत है समाजवादी पार्टी हापुड़ भी अधिवक्ताओं का समर्थन करते हुए मांग करती है कि इस जन्म विरोधी दमनकारी प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधन बिल को खारिज कराया जाए।