बाल विवाह रोकथाम, बाल संरक्षण एवं यस टू स्कूल अभियान पर संवाद सत्र आयोजित’

एनपीटी बून्दी ब्यरो
बून्दी, 25 फरवरी। जिले में आगामी अक्षय तृतीया पर बाल विवाह होने की संभावना को देखते हुए बाल विवाह रोकथाम, बाल संरक्षण तथा शिक्षा के महत्व को लेकर मंगलवार को जिला बाल संरक्षण इकाई एवं बाल अधिकारिता विभाग एवं चाइल्ड हेल्पलाइन द्वारा महिला एवं बाल विकास विभाग के सहयोग से बूंदी उपखंड में कार्यरत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओ के साथ एक प्रभावशाली एवं महत्वपूर्ण संवाद सत्र का आयोजन किया। सहायक निदेशक जिला बाल संरक्षण इकाई हुकम चंद जाजोरिया ने बताया कि जिसमें बाल विवाह रोकथाम, बाल संरक्षण और यस टू स्कूल अभियान पर विशेष ध्यान केंद्रित करते हुए बच्चों के अधिकारों, सुरक्षा, शिक्षा और विकास के विषय में चलाए जा रहे विभिन्न योजनाओं, कार्यक्रमों एवं अभियानों पर विस्तृत चर्चा व विचार-विमर्श किया गया।
’बाल विवाह रोकथाम’
इस सत्र में बाल संरक्षण अधिकारी गोविंद कुमार गौतम ने बाल विवाह के कारणों, उनके खतरों और इससे होने वाली सामाजिक-आर्थिक समस्याओं पर चर्चा करते हुए सभी सहभागियों ने बच्चों को शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से इस कुप्रथा से मुक्त करने के महत्व पर जोर दिया। साथ ही, इस दिशा में चलाए जा रहे जागरूकता अभियानों, सरकारी योजनाओं और कानूनी प्रावधानों की जानकारी भी साझा की गई।
’बाल संरक्षण’
ओ डब्लू दीपिका वशिष्ठ ने बताया कि बच्चों का संरक्षण समाज की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। इस कार्यक्रम में बाल संरक्षण के अधिकारों और कानूनों पर विस्तार से चर्चा की गई। साथ ही बच्चों के मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक विकास के लिए सुरक्षित माहौल बनाने की आवश्यकता पर बल दिया गया। बाल श्रम, शोषण और दुर्व्यवहार जैसे गंभीर मुद्दों पर बात करते हुए इसके निवारण के उपायों को साझा किया गया।
’यस टू स्कूल अभियान’
एक्शन एड यूनिसेफ के जिला समन्वयक जहीर आलम ने यस टू स्कूल अभियान के तहत बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने और स्कूलों में नामांकन बढ़ाने के प्रयासों की भी चर्चा की गई। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य बच्चों को स्कूल भेजने और उनकी शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए समाज में जागरूकता फैलाना है ताकि वह अपना भविष्य संवार सके और समाज में सकारात्मक योगदान दे सके। इस अभियान के तहत बच्चों के लिए स्कूलों में नामांकन बढ़ाने और शिक्षा के प्रति उनकी रुचि को जागृत करने के लिए कई उपायों की जानकारी दी गई। साथ ही, बच्चों की पढ़ाई में आर्थिक समर्थन देने के लिए कई योजनाओं का विवरण भी साझा किया गया।
’पालनहार योजना व स्पॉन्सरशिप योजना की दी जानकारी’
संरक्षण अधिकारी गोविंद कुमार गौतम ने पालनहार व स्पॉन्सरशिप योजनाओं की जानकारी दी इन योजनाओं के तहत बच्चों के पालन-पोषण के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। यह योजनाएं उन बच्चों के लिए है जिनके माता-पिता की मृत्यु हो चुकी है या वे किसी कारणवश उनकी देखभाल नहीं कर पा रहे हैं। इस योजना के अंतर्गत सरकार द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है ताकि बच्चों का समुचित पालन-पोषण और शिक्षा सुनिश्चित हो सके।
’चाइल्ड हेल्प लाइन की जानकारी’
परिता शर्मा और मुकेश गोस्वामी ने चाइल्ड हेल्प लाइन (1098) के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि राष्ट्रीय आपातकालीन सेवा है, जिसका उद्देश्य बच्चों को तत्काल सहायता और सुरक्षा प्रदान करना है। यह सेवा विशेष रूप से उन बच्चों के लिए है जो किसी प्रकार के संकट या खतरे में होते हैं, जैसे कि बाल शोषण, बाल श्रम, बाल विवाह, मानसिक या शारीरिक उत्पीड़न, या अपहरण जैसी घटनाओं का सामना कर रहे होते हैं। यह एक अत्यधिक प्रभावी और विश्वसनीय संसाधन है जो बच्चों को संकट की स्थिति में मदद प्रदान करता है।
कार्यक्रम के अंत में एक्शन एड यूनिसेफ समन्वयक जहीर आलम ने उपस्थित सभी प्रतिभागियों को बाल विवाह, बाल श्रम, लैंगिक भेदभाव रोकथाम व बाल संरक्षण की शपथ दिलवाई। इस संवाद सत्र के दौरान, सभी साथिनों ने समाज में बच्चों के अधिकारों के संरक्षण और उनके बेहतर भविष्य के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया। सभी ने मिलकर बाल विवाह की कुप्रथा को खत्म करने, बच्चों को शिक्षा दिलाने और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए हर संभव प्रयास करने का संकल्प लिया।