लुप्त हो चुकी हुरंगे की परंपरा एक बार फिर हुई जीवंत

एनपीटी मथुरा ब्यूरो
मथुरा। वृंदावन में श्री राधारानी मानसरोवर मंदिर में लुप्त हो चुकी हुरंगे की परंपरा को एक बार फिर जीवंत किया गया। संतों के सानिध्य में इस प्राचीन आयोजन को भव्य रूप से मनाया गया। श्री राधारानी मानसरोवर वही पावन स्थल है, जहां श्रीकृष्ण ने राधारानी के मान मनौव्वल की अद्भुत लीलाएं की थीं। साथ ही भगवान शिव ने भी महारास में सम्मिलित होने के लिए यहीं स्नान कर गोपी वेश धारण किया था। इसी कारण यहां हुरंगे के आयोजन की सैकड़ों वर्षों से परंपरा रही, जो बीसवीं सदी के प्रारंभ में लुप्त हो गई थी। इस परंपरा के पुनर्जीवन का संकल्प निर्मोही अखाड़े के महामंडलेश्वर एवं रास मंडल के महंत लाडली शरण महाराज ने लिया। उन्हें इस कार्य में राधावल्लभ संप्रदाय के रसिक संत रसिक माधव दास महाराज सहित ब्रज के कई सुप्रसिद्ध संतों का सहयोग प्राप्त हुआ। इस अवसर पर श्री राधारानी और प्रिया लालजू के अभिषेक, पूजन, पुष्पार्चन एवं गुलाल अर्चन के साथ आयोजन की शुरुआत हुई। इसके बाद ब्रज गोपिकाओं और ग्वालों के बीच लठामार होली एवं हुरंगे का आयोजन किया। इस मौके पर महंत किशोर देव दास महाराज, आचार्य गोस्वामी हितेंद्र कुमार महाराज, महामंडलेश्वर गंगा दास महाराज, प्रसिद्ध भागवत कथा प्रवक्ता रसिया बाबा, मदन मोहन दास, महंत मानसरोवर नीरज शास्त्री, जगदीश प्रधान आदि मौजूद रहे।