उत्तर प्रदेश

दृढ़ संकल्प व आत्म नियंत्रण से लक्ष्य के प्रति समर्पित हो पार्वती ने शिव को पाया : गायत्री नंदन

एनपीटी उत्तर प्रदेश ब्यूरो

उत्तर प्रदेश कुशीनगर तमकुही विकास खंड के ग्राम पंचायत राजापाकड़ के शिवाला टोला मे 120 वर्ष पूर्व स्थापित शिवमंदिर परिसर में वर्ष 1965 से लगने वाले महाशिवारात्रि मेला के निमित्त आयोजित 11 दिवसीय श्री श्री 1008 श्री रामचरित मानस नवाह परायण महायज्ञ के छठवें व कथा प्रवचन के चौथे दिन शुक्रवार की सायं अयोध्याधाम से पधारे कथावाचक गायत्री नंदन महाराज ने पार्वती तपस्या प्रसंग का वर्णन किया।
कथावाचक ने कहा कि सती का जन्म पुनः पार्वती के रूप में राजा हिमाचल के यहां हुआ। शिवानुरागी होने के कारण पुनः शिव को पति रूप मे पाने के लिए पार्वती ने कठोर तप करना शुरू किया। वर्षाकाल में वे खुले आकाश के नीचे शिलाखंड पर बैठकर दिन-रात जलधारा से शरीर को सींचती रहीं। भयंकर शीत-ऋतु में जल के मध्य रात-दिन बैठकर उन्होंने कठोर तप किया। इस प्रकार निराहार रहकर पार्वती ने पंचाक्षर मंत्र का जप करते हुए सकल मनोरथ पूर्ण करनेवाले भगवान सदाशिव के ध्यान में मन को लगाया। कई हजार सालों तक वे सिर्फ पत्तियों को खाकर आराधना मे लीन हुई और अपर्णा नाम से विख्यात हुई । दृढ़ संकल्प और कठोर आत्म नियंत्रण से लक्ष्य के प्रति समर्पित होने के कारण ही माता पार्वती शिव को पाने मे सफल रहीं। नारद ने गुरु के रुप मे पार्वती की भगवान शिव में आस्था को और प्रगाढ़ किया। कथावाचक ने कहा कि व्यक्ति को गुरु, ग्रंथ व गोविंद के प्रति अटूट आस्था रखनी चाहिए। दिन में अयोध्याधाम से पधारे कथावाचक प्रेमशरण महाराज ने राम के चरित्र की विशेषता बताई। अधिवक्ता अखिलेश तिवारी, प्रबंधक आनंद संजय पाठक, प्रधानाचार्य ईश्वर प्रकाश पाठक, भीखम सिंह, राहुल जायसवाल, गनपत कुशवाहा, सुरेश मंडल, गणेश मिश्र, राजू मिश्र, दुर्गेश शर्मा, गोपाल यादव, जोखू यादव, हरिकेश यादव, मुंशी बाबूलाल ने व्यास पीठ का पूजन किया। संचालन पं. दीपक मिश्र ने किया। यज्ञाचार्य पं. राकेश पांडेय के नेतृत्व में यजमानों ने पूजन किया। नवाह परायण का पाठ किया गया। इस दौरान आयोजक हरिदास महाराज, यज्ञ समिति के अध्यक्ष राजू यादव, सत्यनारायण यादव, साधु यादव, उपेंद्र यादव, रामप्रीत प्रसाद, विनोद ठाकुर, सुनील पटेल, जयप्रकाश वर्मा, राजेंद्र यादव, पं. संतोष मिश्र, दिनेश मिश्र, रामप्रकाश आदि श्रद्धालु मौजूद रहे।

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