नगर निगम का कारनामा
एनपीटी बरेली ब्यूरो
बरेली। सिविल लाइंस में डेढ़ सौ वर्ग गज में बने एक मकान को एक करोड़ का हाउस टैक्स बिल भेज दिया गया तो पटेल चौक के पास स्थित एक बड़े शोरूम का हाउस टैक्स का साढ़े तीन करोड़ का बिल चुटकियों में 10 लाख का हो गया। टैक्स के बिलों में हुए ऐसे तमाम उलटफेर इस बात की गवाही दे रहे हैं कि नगर निगम में क्या चल रहा है और शहर के आम आदमी को टैक्स के जंजाल में कितनी बुरी तरह फंसा दिया गया है।
एक तरफ छोटे घरों में रहने वाले लोगों की हाउस टैक्स के अनापशनाप बिलों को ठीक कराने के लिए नगर निगम की दौड़ खत्म होने का नाम नहीं ले रही है तो दूसरी ओर करोड़ों के बिल पल भर में लाखों के रह जा रहे हैं। पटेल चौक स्थित शोरूम के साढ़े तीन करोड़ के बिल को स्वकर निर्धारण के जरिए 10 लाख रुपये कर दिए जाने के अलावा करीब 19 और ऐसे लोग हैं जिन पर 50 लाख से एक करोड़ तक का बकाया था लेकिन टैक्स विभाग में हुए ”सुधार” के बाद यह रकम कई गुना कम हो गई।
पार्षद राजेश अग्रवाल के मुताबिक बांके बिहारी मंदिर और सौदागरान स्थित प्राचीन ठाकुरद्वारा मंदिर पर कभी टैक्स लागू नहीं किया गया था लेकिन इस बार मंदिर के उस छोटे हिस्से का भी बिल भेज दिया गया जिसमें पुजारी रहते हैं। टैक्स विभाग ने बिलों में कहीं किसी मकान का क्षेत्रफल बढ़ाकर दिखाया है तो किसी की संपत्ति का बिल किसी और के नाम जारी कर दिया है।ब्यूरो
बरेली। सिविल लाइंस में डेढ़ सौ वर्ग गज में बने एक मकान को एक करोड़ का हाउस टैक्स बिल भेज दिया गया तो पटेल चौक के पास स्थित एक बड़े शोरूम का हाउस टैक्स का साढ़े तीन करोड़ का बिल चुटकियों में 10 लाख का हो गया। टैक्स के बिलों में हुए ऐसे तमाम उलटफेर इस बात की गवाही दे रहे हैं कि नगर निगम में क्या चल रहा है और शहर के आम आदमी को टैक्स के जंजाल में कितनी बुरी तरह फंसा दिया गया है।
एक तरफ छोटे घरों में रहने वाले लोगों की हाउस टैक्स के अनापशनाप बिलों को ठीक कराने के लिए नगर निगम की दौड़ खत्म होने का नाम नहीं ले रही है तो दूसरी ओर करोड़ों के बिल पल भर में लाखों के रह जा रहे हैं। पटेल चौक स्थित शोरूम के साढ़े तीन करोड़ के बिल को स्वकर निर्धारण के जरिए 10 लाख रुपये कर दिए जाने के अलावा करीब 19 और ऐसे लोग हैं जिन पर 50 लाख से एक करोड़ तक का बकाया था लेकिन टैक्स विभाग में हुए ”सुधार” के बाद यह रकम कई गुना कम हो गई।
पार्षद राजेश अग्रवाल के मुताबिक बांके बिहारी मंदिर और सौदागरान स्थित प्राचीन ठाकुरद्वारा मंदिर पर कभी टैक्स लागू नहीं किया गया था लेकिन इस बार मंदिर के उस छोटे हिस्से का भी बिल भेज दिया गया जिसमें पुजारी रहते हैं। टैक्स विभाग ने बिलों में कहीं किसी मकान का क्षेत्रफल बढ़ाकर दिखाया है तो किसी की संपत्ति का बिल किसी और के नाम जारी कर दिया है।