उत्तर प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश और हरियाणा में बदलता मौसम: बढ़ती गर्मी और घटती सर्दी से विशेषज्ञ चिंतित

एनपीटी ब्यूरो/ सुरेंद्र मलानिया।
उत्तर प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश और हरियाणा में मौसम के बदलते मिजाज ने विशेषज्ञों को चिंतित कर दिया है। बढ़ती गर्मी, घटती सर्दी और लगभग खत्म होते बरसात के मौसम ने किसानों और आम जनता के लिए नई चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन और बढ़ते प्रदूषण के कारण इन राज्यों में मौसम के पैटर्न में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
मौसम विज्ञानियों के अनुसार, इन राज्यों में सर्दियों का समय लगातार छोटा हो रहा है, जबकि गर्मियों की अवधि लंबी और तीव्र होती जा रही है। इसके अलावा, बरसात का मौसम भी अनियमित हो गया है, जिससे कृषि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्रीनहाउस गैसों का बढ़ता उत्सर्जन, वनों की कटाई और शहरीकरण इस परिवर्तन के प्रमुख कारण हैं।
क्या हैं इसके परिणाम?
कृषि संकट: अनियमित बरसात और बढ़ती गर्मी के कारण फसलें प्रभावित हो रही हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।
स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ: अधिक गर्मी के कारण हीट स्ट्रोक और अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ रही हैं।
जल संकट: बारिश के अभाव में भूजल स्तर में गिरावट आ रही है, जिससे पानी की किल्लत हो रही है।
बचाव के उपाय
- पौधारोपण और वनीकरण: अधिक से अधिक वृक्षारोपण करके पर्यावरण को संतुलित किया जा सकता है।
- जल संरक्षण: वर्षा जल संग्रहण और पानी के मितव्ययी उपयोग को अपनाना आवश्यक है।
- स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग: पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की जगह सौर और पवन ऊर्जा का उपयोग करके प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
- जनजागरूकता अभियान: लोगों को जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों के बारे में जागरूक करना जरूरी है।
मौसम में आ रहे इन बदलावों को नजरअंदाज करना खतरनाक साबित हो सकता है। समय रहते यदि ठोस कदम नहीं उठाए गए तो इसका असर न केवल पर्यावरण पर बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों पर भी पड़ेगा। इसलिए, व्यक्तिगत स्तर से लेकर सामूहिक स्तर तक हर किसी को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।
बदलते मौसम के इस गंभीर मुद्दे पर जागरूकता और कार्रवाई की सख्त जरूरत है, ताकि हम आने वाले समय में एक सुरक्षित और संतुलित पर्यावरण सुनिश्चित कर सकें।