उत्तराखंड

एमआईईटी कुमाऊं में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में सतत विकास और नवाचार पर हुई विस्तृत चर्चा

एनपीटी उत्तराखंड ब्यूरो

हल्द्वानी। शिक्षा नगर लामाचौड़ स्थित एमआईईटी कुमाऊं कॉलेज में “सतत विकास के लिए कृषि विज्ञान, स्टैम और स्वास्थ्य में उभरते रुझान” विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ किया गया। इस सम्मेलन का आयोजन उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (यूएसर्क) के सहयोग से किया गया।
सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा के वाइस चांसलर डॉ. सतपाल सिंह बिष्ट, विशिष्ट अतिथि उत्तराखंड बायोटेक्नोलॉजी काउंसिल के निदेशक डॉ. संजय कुमार, मुख्य वक्ता उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी के पूर्व निदेशक एवं रजिस्ट्रार डॉ. आर.सी. मिश्रा, इनोवेशन लीड अटल इनोवेशन मिशन नीति आयोग के सोहेल शेख, उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ. पी.डी. पंत, गवर्नमेंट पीजी कॉलेज बाजपुर के प्रिंसिपल डॉ. कमल के. पांडेय, एमआईईटी कॉलेज के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. बहादुर सिंह बिष्ट,कार्यकारी निदेशक डॉ. तरुण सक्सेना, कॉन्फ्रेंस संयोजक एसीआईसी देवभूमि फाउंडेशन के सीईओ डॉ. कमल रावत ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया।
प्रबंध निदेशक डॉ. बी.एस. बिष्ट ने बताया कि इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में कुल 307 शोध पत्रों ने भाग लिया, जिनमें से पहले दिन 183 शोध पत्रों पर गहन चर्चा की गई। सम्मेलन में कृषि, जीवन विज्ञान, रसायन विज्ञान, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी से जुड़े शोधकर्ताओं ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। साथ ही, 28 अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय वक्ताओं ने अपने विचार साझा किए।
मुख्य अतिथि डॉ. सतपाल सिंह बिष्ट ने रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध उपयोग से मिट्टी की घटती उत्पादकता और पर्यावरण पर इसके प्रभाव पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने सतत कृषि के महत्व पर जोर देते हुए पहाड़ी कृषि के लिए ठोस नीतियों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को रोजगार सृजन का साधन मानते हुए इसे अवसर के रूप में देखने की बात कही।

विशिष्ट अतिथि डॉ. संजय कुमार ने कहा कि देश की 17% जनसंख्या पहाड़ी क्षेत्रों में निवास करती है, लेकिन केवल 2% भूमि ही कृषि योग्य है। उन्होंने रोजगारपरक शिक्षा, विज्ञान, तकनीक और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने छात्र-छात्राओं को प्रेरित करते हुए कहा कि उद्यमिता विचारों की शक्ति पर निर्भर करती है, धन बाद में आता है।
मुख्य वक्ता डॉ. आर.सी. मिश्रा ने श्रीमद्भागवत गीता को सतत विकास से जोड़ते हुए कहा कि इसमें विज्ञान, महा-विज्ञान और प्रौद्योगिकी से भी परे ज्ञान निहित है। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को आत्मरक्षा से जोड़ते हुए बताया कि हमारा शरीर पंचतत्वों से बना है, ठीक वैसे ही जैसे प्रकृति। यदि हमें अपना स्वास्थ्य बनाए रखना है, तो प्रकृति का संरक्षण करना अनिवार्य है।
अटल इनोवेशन मिशन के इनोवेशन लीड सोहेल ने अटल टिंकरिंग लैब, अटल कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर और अटल इनोवेशन मिशन की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मिशन का उद्देश्य शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में नवाचार, अनुसंधान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना है, जिससे ग्रासरूट इनोवेटर्स को मुख्यधारा से जोड़ा जा सके और सतत विकास को साकार किया जा सके। उन्होंने कहा नवाचार तभी संभव है जब शिक्षा के क्षेत्र,चिकित्सा, उद्योग,एग्रीकल्चर के क्षेत्र के लोग एक साथ मिलकर काम करेंगे, तभी इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा इस पहल के लिए एसीआईसी एमआईईटी देवभूमि फाउंडेशन को शुभकामनाएं दी।
सम्मेलन के दौरान शोधपत्र कॉन्फ्रेंस पुस्तिका का विमोचन किया गया। इस अवसर पर यूनिवर्सिटी ऑफ क्वाज़ुलुनतल, साउथ अफ्रीका के प्रोफेसर डॉ. अनेश कुमार महाराज, जी.बी. पंत एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, पंतनगर की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. छाया शुक्ला, ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पुष्पा नेगी, एम.बी. गवर्नमेंट पीजी कॉलेज, हल्द्वानी के प्रोफेसर डॉ. नवल किशोर लोहानी, प्रोफेसर डॉ. नरेंद्र कुमार सिंह, प्रोफेसर डॉ. एके प्रतिहार, मारवाड़ी यूनिवर्सिटी, गुजरात के प्रोफेसर डॉ. सुशील कुमार सिंह और डॉ. एर.एस. जादौन ने अपने विचार प्रस्तुत किए।इस अवसर पर सह-समन्वयक वात्सल्य शर्मा, सोनम भंडारी,चरनजीत सिंह, नेहा रौतेला,प्रिंसिपल नर्सिंग उषा पॉल, प्रिंसिपल शेफाली, अजय चौधरी,अखिल गौतम,मनोज,हेड हेमा नेगी,तारादत्त तिवारी, विमला,आकांशा,ललिता आदि उपस्थित रहे।

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